लखनऊ (ब्यूरो)। भारत में ओवर द काउंटर (ओटीसी) दवा लेने और देने के लिए कई कानून हैं लेकिन इनका सख्ती से पालन नहीं होता है। जबकि बिना डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के दवा लेना कानूनन जुर्म है। इसको लेकर एफएसडीए कार्यवाही भी करता है। अधिकारियों की माने तो मेडिकल स्टोर के साथ लोगों को भी जागरुक होना पड़ेगा कि ओटीसी दवा लेना उनकी सेहत के लिए कितनी खतरनाक है।
लगातार कर रहे कार्रवाई
भारत में दवाओं का विनिर्माण, भंडारण, ट्रांसपोटेशन और वितरण को ड्रग्स और कॉस्मेटिक एक्ट के लाइसेंस प्राप्त और विनियमित किया जाता है। मेडिसिन की दुकान खोलने के लिए एफएसडीए से रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। इसके बावजूद दुकानदार बिना पर्चा दवाएं दे देते हैं। ब्रजेश यादव, सहायक आयुक्त, लखनऊ मंडल, एफएसडीए बताते हैं कि शेड्यूल्ड व नार्कोटिक्स दवाओं का मिसयूज न हो इसके लिए कार्रवाई के साथ जागरुकता अभियान चलाते हैं। साथ ही इसके लिए शेड्यूल्ड एच1 का रजिस्टर बनवाते हैं जो हर मेडिकल स्टोर को मैनटेन करना जरूरी है। साथ ही बिना प्रिस्किप्शन दवाएं न दें इसको लेकर निर्देश दिए जाते हैं।
लगातार कर रहे कार्रवाई
सहायक आयुक्त, ब्रजेश यादव बताते हंै कि हर माह मेडिकल स्टोर्स का इंस्पेक्शन कर सैंपल कलेक्ट करते हैं। लोगों की शिकायत, आइजीआरएस पर शिकायत, रेंडम सूचना या अन्य विभाग जैसे एसटीएफ आदि द्वारा मिली सूचना के आधार पर भी जांच और कार्रवाई होती है। अगर बिना लाइसेंस बिक्री करते मिलते हैं तो दुकान सीज होती है। वहीं, लाइसेंस है और गड़बड़ी मिली तो पहले बिक्री बंद करवाते हैं और इसके बाद लाइसेंस तक सस्पेंड करवाते हैं। हाल ही में बिना लाइसेंस के लखनऊ में 8-10 करोड़ की दवा को पकड़ा और सीज किया गया। शिकायतों व जांच के आधार पर लखनऊ मंडल में 150 के करीब लाइसेंस सस्पेंड किए जा चुके हैं।
लोगों का जागरुक होना होगा
दवाओं के मिसयूज को रोकने के लिए लोगों का जागरुक होना जरूरी है। इसके लिए एसोसिएशन के साथ जागरुकता अभियान, नियमों के जानकारी आदि का काम करते हैं ताकि लोग ऐसी दवाएं बिना प्रिस्क्रिप्शन लेने से बचें और दुकानदार भी बिना डॉक्टर के कोई दवा खुद से न ले।
2 माह से अधिक की दवा नहीं
कैंसर संस्थान के एमएस डॉ। देवाशीष शुक्ला बताते हंै कि शेड्यूल्ड एक्स की दवाओं को दो माह के लिए ही दी जाती है। ऐसे में मेडिकल स्टोर्स को चाहिए कि जब कोई दोबारा वहीं दवाएं लेने आये तो बिना सही जानकारी के देने से मना करना चाहिए। इसके अलावा लोगों को चाहिए कि जब डॉक्टर कोई दवा लिखे तो दोबारा खुद से लेने से बचना चाहिए।
सेल्फ मेडिकेशन से बचना होगा
केजीएमयू के मेडिसिन विभाग के डॉ। डी हिमांशु बताते हैं कि लोग आंख, बुखार, बॉडी बिल्डिंग, कद बढ़ाने आदि के लिए खुद से दवा खरीद कर खाने लगते हैं। जिससे उनकी किडनी, लिवर, हार्ट व आंख आदि पर बुरा असर पड़ता है। ओपीडी में इस तरह के 5-10 फीसदी मरीज हर माह आ आते हैं। जो सेल्फ मेडिकेशन के चलते परेशान होते हैं।
भारत में एक आम समस्या
वहीं, लोहिया संस्थान के एमएस डॉ। विक्रम सिंह बताते हंै कि ओटीसी दवाएं भारत में एक आम समस्या हो गई है। जिसको कोई गंभीरता से नहीं लेता है। ओपीडी में सेल्फ मेडिकशन से बनी समस्या के 3-4 पर्सेंट मामले हर माह आ जाते हैं। जिसमें, 20-30 फीसदी मामलों में इसकी वजह से मर्ज गंभीर या लाइलाज तक हो जाता है। इसको लेकर लगातार लोगों को जागरुक करने की जरुरत है।
शिकायतों व जांच के आधार पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। अबतक 150 से अधिक लाइसेंस निरस्त किए जा चुके है। लोगों को जागरुक करना बेहद जरूरी है।
-ब्रजेश यादव, सहायक आयुक्त औषधि, लखनऊ मंडल
शेड्यूल्ड एक्स की दवाएं कानूनन दो माह से अधिक की नहीं दी जा सकती है। अगर कोई इसके बाद भी बिना डॉक्टर की सलाह के ले तो गलत बात है। लोगों को अपनी सेहत के प्रति ध्यान रखना चाहिए।
-डॉ। देवाशीष शुक्ला, एमएस, कैंसर संस्थान