लखनऊ (ब्यूरो)। आज के इस दौर में अधिकतर लोग आधुनिक जीवनशैली अपना चुके हैं। हालांकि इसके बाद भी उनका रुझान आध्यात्म की ओर बरकरार है। यंगस्टर्स इससे अधिक आकर्षित हो रहे हैं। इसका सीधा प्रमाण यह है कि रुद्राक्ष के प्रति उनका लगातार बढ़ता क्रेज। यंगस्टर्स रुद्राक्ष को बीमारियों से बचने के लिए भी पहन रहे हैं, वहीं फैशन का भी एक हिस्सा बन चुका है।

लगातार बढ़ रही है डिमांड

इंडिया में यंगस्टर्स का रुद्राक्ष के प्रति क्रेज बढ़ा तो इसकी डिमांड में भी काफी इजाफा हो गया। इस बढ़ी डिमांड को देखते हुए नकली रुद्राक्ष भी बाजार में उतार दिए गए हैं। जिनकी पहचान आसान नहीं है। इन नकली रुद्राक्षों को असली के नाम पर बेचा जा रहा है।

रुद्राक्ष पहनने से मिलती है पॉजिटिव एनर्जी

अपने हाथ में रुद्राक्ष पहनने वाले अर्पित दयाल सक्सेना ने बताया कि इसे पहनने से पॉजिटिव एनर्जी महसूस होती है। साथ ही यह भी याद रहता है कि हमें अपनी नैतिक सीमा का उल्लंघन नहीं करना है। इससे ध्यान लगाने में भी मदद मिलती है।

आत्मविश्वास बढ़ता है

मुकुल यादव रुद्राक्ष की माला पहनते हैं। उन्होंने बताया कि जब से इसे पहना है, सेल्फ कॉन्फिडेंस बढ़ गया है। पॉजिटिव एनर्जी साफतौर पर पता चलती है और सुरक्षा का भाव भी मन में बना रहता है।

भगवान से जुड़ने में मिलती है मदद

यश अग्रवाल शिव भक्त हैं और हाथ में रुद्राक्ष पहनते हैं। उन्होंने बताया कि इससे भगवान शिव की आराधना में मदद मिलती है। मन में गलत विचार नहीं आते हैं और ध्यान लगाने की क्षमता में भी वृद्धि होती है।

क्या है रुद्राक्ष का महत्व

एस्ट्रोलाजर डॉ। प्रभाष प्रधान ने बताया कि रुद्राक्ष सीधे आपके दिमाग पर असर करता है। इससे मन शांत रहता है और सकारात्मक विचार आते हैं। कई रिसर्च यह साबित कर चुके हैं कि रुद्राक्ष की माला पहनने से बीपी सामान्य हो जाता है और हार्ट बीट भी कंट्रोल रहती है। रुद्राक्ष पहनने वालों के दिमाग का सबकांशियस भाग एक्टिव हो जात है और सोचने की शक्ति में इजाफा होता है। मंत्रों की शक्ति से भी रुद्राक्ष को जागृत किया जाता है। रुद्राक्ष जितना छोटा होगा, उसकी शक्ति उतनी ही अधिक होगी।

किन देशों में पाया जाता है रुद्राक्ष

रुद्राक्ष मुख्य रूप से नेपाल में ही पाया जाता है। इसके अलावा यह इंडोनेशिया के जावा द्वीप, म्यांमार और कुछ साउथ ईस्ट एशियन देशों में मिलता है। इन्हीं जगहों से इन्हें पूरी दुनिया में भेजा जाता है। आमतौर पर रुद्राक्ष हिमालय पर पांच से छह हजार फीट की ऊंचाई पर मिलता है।

कैसे पहचानें असली रुद्राक्ष

अधिकतर लोगों का मानना है कि असली रुद्राक्ष पानी में डूब जाता है। असली रुद्राक्ष की यह पहचान सही नहीं है। अब नकली रुद्राक्ष के सुराखों में लेड लगा दिया जाता है, जिससे वह भी पानी में डूब जाता है। आइए जानते हैं असली रुद्राक्ष की पहचान कैसे की जाती है।

- रुद्राक्ष को लेंस से देखें, अगर नक्काशी ज्यादा शार्प दिखे तो समझ लें कि इसे मशीन या हाथ से बनाया गया है। यह असली रुद्राक्ष नहीं है।

- एक मुखी रुद्राक्ष काफी दुर्लभ होता है, इसके नाम पर मिलने वाले अधिकतर रुद्राक्ष नकली होते हैं।

- जिन रुद्राक्ष में त्रिशूल की आक्रति बनी होती है, वे भी अधिकतर नकली होते हैं। त्रिशूल अधिकतर हाथ से ही बनाया जाता है।

- अगर किसी रुद्राक्ष का मुख कटा हुआ होता है तो वो छूने से पता चल जाता है। वो जगह हलकी चिकनी होती है।