लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी की ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने के लिए तीन माह पहले लखनऊ कमिश्नरेट ने एक बड़ा एक्शन प्लान तैयार किया था। इस प्लान के तहत एक-एक ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन किया जाना था। उनकी कोडिंग के साथ उनके रूट व जोन तय करने के साथ कलर स्टीकर भी फिक्स किया गया। इस व्यवस्था को शुरू करने के लिए एक जून की तारीख भी फिक्स कर दी गई थी, पर दो महीने का समय बीतने के बाद भी व्यवस्था का कोई अता-पता नहीं है।

45 हजार से ज्यादा दौड़ रहे ई-रिक्शा

सिटी की रोड्स पर 45 हजार से ज्यादा ई-रिक्शा दौड़ रहे हैं, जो न केवल जाम का कारण बन रहे हैं बल्कि उनके चलते आए दिन हादसे भी हो रहे हैं। मई में पहली बार लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट ने इस पर लगाम कसने के लिए कलर कोडिंग व जोन वार रूट फिक्स किया था। लॉटरी सिस्टम से रूट तय किए गए थे। शहरी इलाके में केवल 8 हजार ही ई-रिक्शा के चलने की व्यवस्था बनाई गई थी, जबकि आउट स्कर्ट व रूरल एरिया में 10 हजार से भी ज्यादा ई-रिक्शा का रूट आवंटित कर दिया गया था।

हर जोन में केवल 500 ई-रिक्शा चलते थे

तत्कालीन जेसीपी लॉ एंड आर्डर उपेंद्र अग्रवाल ने ई-रिक्शा के लिए शहर को 16 जोन में बांटा था। हर जोन में केवल पांच 500 ई-रिक्शा को रूट का आवंटन किया गया था बाकियों को आउट स्कर्ट और रूरल एरिया में रूट में भेजने की तैयारी थी। 10 जून से लॉटरी सिस्टम से रूट तय करने के बाद 10 जुलाई तक कलर कोडिंग का अंतिम दिन तय किया गया था। 11 जुलाई से तय रूट पर न चलने वाले ई-रिक्शा के खिलाफ कार्रवाई होनी थी।

चौक में सबसे ज्यादा ई-रिक्शा की भीड़

ई-रिक्शा का रूट तय करने के लिए सर्वे किया गया था। सर्वे के दौरान चरक चौराहे से केजीएमयू और पाटा नाला के बीच जब ई-रिक्शा की गिनती शुरू की गई तो करीब 600 ई-रिक्शा दो किमी के एरिया में पाए गए थे। अब रूट आवंटन के बाद इस एरिया में 500 से ज्यादा ई-रिक्शा नहीं चलने का प्रस्ताव तैयार किया गया था।

हर साल होना था ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन

ई-रिक्शा ड्राइवर्स का जोन आवंटन एक साल के लिए किया गया था। हर साल फिर से लॉटरी के जरिए जोन डिसाइड होना था। लॉटरी में जिन लोगों का नाम आया था, उन्हें ही शहरी इलाकों में ई-रिक्शा चलाने की परमिशन दी गई थी। लॉटरी के लिए हर ई-रिक्शा ड्राइवर से तीन जोन वरीयता में मांगे गए थे। लॉटरी में उसी के अनुसार जोन आवंटित किए गए।