लखनऊ (ब्यूरो)। परिवहन निगम में यात्री टिकट से हुई आय को जमा कराने की जगह आईपीएल में सट्टा लगाने का हैरतअंगेज मामला सामने आया है। जहां संविदा बस कंडक्टर टिकटों से हुई 65 हजार रुपये की आय से भरा कैश बैग करीब दस दिनों तक लेकर फरार रहा। यह खुलासा तब हुआ जब पता चला कि आरोपी ने कैसरबाग डिपो इंचार्ज की मिलीभगत से 10 दिनों के बाद कैश जमा किया था। मामले को लेकर कैसरबाग डिपो के एआरएम ने संविदा बस कंडक्टर पंकज तिवारी से जवाब-तलब करते हुए उसे बस ड्यूटी से हटा दिया है। जांच में यह भी पता चला कि कंडक्टर पर पहले भी ऐसे आरोप लग चुके हैं।
कैसरबाग से देहरादून गई थी बस
कैसरबाग ड्यूटी रूम रजिस्टर के अनुसार, संविदा बस कंडक्टर पंकज तिवारी बीते पांच अप्रैल को कैसरबाग डिपो से बस लेकर दिल्ली गया था। वहां से बस देहरादून गई और आठ अप्रैल को बस लेकर वापस कैसरबाग डिपो लौटा। इस दौरान टिकट आय की रकम करीब 65 हजार रुपये थी। नियमानुसार कंडक्टर को यह राशि नौ या दस अप्रैल तक निगम में जमा करानी थी, पर पैसा जमा करने की जगह संविदा कंडक्टर पैसे लेकर फरार हो गया और सरकारी धन का दुरुपयोग किया।
नहीं दर्ज कराई एफआइआर
कैसरबाग बस स्टेशन के इंचार्ज एसके गुप्ता की जिम्मेदारी थी कि वह समय रहते कैश बैग जमा कराएं, लेकिन स्टेशन इंचार्ज ने इस मामले को 10 दिनों तक दबाए रखा। इसके बाद चुपके से कैश बैग जमा करा दिया गया। बस कंडक्टर की इस हरकत को अधिकारियों ने गुपचुप तरीके से रफा-दफा कर दिया, जबकि इस मामले को लेकर बस कंडक्टर के खिलाफ कोई एफआईआर तक नहीं दर्ज कराई गई, जोकि बेहद हैरान करने वाला मामला था।
बस कंडक्टर पर पहले भी लग चुके हैं आरोप
संविदा बस कंडक्टर पंकज तिवारी की तैनाती पहले बाराबंकी डिपो में थी। जहां से उनका तबादला कैसरबाग डिपो कर दिया गया। तबादले के बाद लखनऊ परिक्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक ने बीते 29 जनवरी को एक लेटर कैसरबाग डिपो के एआरएम को लिखकर कंडक्टर द्वारा कैश बैग समय से जमा नहीं करने का आदी बताते हुए चेताया था। पर इसके बावजूद जिम्मेदारों ने लेटर को गंभीरता से नहीं लिया।
मामले को लेकर कंडक्टर को जवाब-तलब किया गया है। फिलहाल उसे रूट ऑफ कर दिया है। जवाब आने के बाद आगे की कार्रवाई के लिए आरएम को रिपोर्ट भेजी जाएगी।
-अरविंद कुमार, एआरएम, कैसरबाग डिपो