लखनऊ (ब्यूरो)। लोग अकसर देर रात तक गैजेट्स से चिपके रहते है और बाद में नींद न आना, मोटापा व बीपी आदि बढ़ने की परेशानी का शिकार होते हैं। दरअसल, इस समस्या की बड़ी वजह स्क्रीन से आने वाली ब्लू लाइट है, जो बॉडी में मेलाटोनिन निकलने को रोकती है। इससे नींद प्रभावित होती है। इसके अलावा ब्लड शुगर लेवल बढ़ना समेत अन्य समस्याएं भी होती हैं। यह खुलासा केजीएमयू के बायोकेमिस्टी विभाग के प्रो। ज्ञानेंद्र कुमार सोनकर की स्टडी में हुआ है।
बॉडी पर पड़ता है बुरा असर
डॉ। ज्ञानेंद्र कुमार सोनकर ने बताया कि हमारी बॉडी सूरज के उगने व अस्त होने के अनुसार काम करती है। जहां हाइपोथेलेमस पूरी बॉडी को गवर्न करता है कि कब सोना, जागना और खाना है। पर आजकल बच्चे और बड़े, सभी देर रात तक गैजेट्स यूज करते हैं, शाम को बॉडी एक्टिविटी स्लो हो जाती है। गैजेट्स से निकलने वाली ब्लू लाइट आंखों में रेटिना को हिट करती हैं, जो गैंगलियोनिक सेल को प्रभावित करता है। जिसकी वजह से मेलाटोनिन हार्मोन नहीं निकलता है, जबकि यह हार्मोन रात में सोने में मदद करता है। देर रात तक स्क्रीन देखने से दिमाग कहता है कि दिन है। ऐसे में दूसरे दिन लोग सही से काम नहीं करते, उन्हें टाइम से नींद नहीं आती और स्लीप डिस्आर्डर हो जाता है। ऐसे में ब्लड शुगर बढ़ सकता है, जिसके कारण वेट बढ़ेगा और आगे चलकर बीपी बढ़ना समेत अन्य समस्याएं होने लगती है।
चूहों पर किया रिसर्च
डॉ। सोनकर ने बताया कि यह स्टडी हम लोगों ने चूहों पर करीब तीन माह तक की थी, जिसमें दो ग्रुप बनाये गये थे। एक को नेचुरल लाइट तो दूसरे को आर्टिफिशियल ब्लू लाइट के अंदर रखा गया। हर दिन उनकी निगरानी की गई, जिसमें पाया गया कि ब्लू लाइट के एक्सपोजर के कारण चूहों का बॉडी वेट बढ़ा, इंसुलिन कम होने समेत अन्य समस्याएं दिखीं। जब उन्हें नेचुरल लाइट में रखा गया तो धीरे-धीरे इस समस्याओं में कमी आने लगी और वे दोबारा से ठीक हो गये। अगर लोग अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करें तो इस समस्या को रिवर्स किया जा सकता है।
देर रात तक स्क्रीन से निकलनी वाली ब्लू लाइट के एक्सपोजर में रहने से बॉडी क्लॉक पर बुरा असर पड़ता है। ब्लड शुगर व वेट बढ़ने के साथ बीपी तक की समस्या होने लगती है इसलिए रात में स्क्रीन का उपयोग कम करना चाहिए।
-प्रो। ज्ञानेंद्र कुमार सोनकर, केजीएमयू