लखनऊ (ब्यूरो)। परिवहन विभाग ने सड़क हादसों पर लगाम लगाने के लिए एआरटीओ-रोड सेफ्टी और असिस्टेंट मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर (एएमवीआई) की पोस्ट का प्रपोजल बनाकर शासन में भेजा था। पर अधिकारी इस कदर लापरवाह बने हुए हैं कि अबतक इसके लिए कोई मीटिंग तक नहीं हो सकी है। अगर मीटिंग का दिन तय भी होता था तो किसी कारण से उसे कैंसिल कर दिया जाता था। खुद सीएम के सख्त आदेश थे कि इन पदों को भरा जाये, पर इसके बावजूद अधिकारी सुनने को तैयार नहीं हैं।

प्रदेश के अनुपात में अधिकारियों की संख्या कम

प्रदेश की बढ़ती आबादी, बढ़ता रोड नेटवर्क और बढ़ती गाड़ियों की संख्या के मुकाबले यहां परिवहन अधिकारियों की संख्या बेहद कम है, जबकि यूपी से छोटे अन्य राज्यों में इससे अधिक अधिकारी मौजूद हैं। प्रदेश में लगातार सड़क हादसे भी बढ़ते जा रहे हैं। इसी को देखते हुए महाराष्ट्र की तर्ज पर एएमवीआई की पोस्ट का प्रपोजल तैयार किया गया था, जिसके तहत तहसील स्तर पर करीब 351 पदों का प्रपोजल बनाया गया था। वहीं, जिला मुख्यालय स्तर पर एआरटीओ-रोड सेफ्टी के तहत 75 पदों पर तैनाती होनी थी ताकि वाहनों की सघन चेकिंग का काम आसानी से हो सके और अनफिट या बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे वाहनों पर कार्रवाई हो। इससे सड़क हादसों में कमी आने की उम्मीद थी, पर अबतक इस दिशा में कोई काम नहीं हो सका है।

मीटिंग तक नहीं हो सकी है

मुख्यालय स्तर से इसको लेकर प्रपोजल बनाकर कई बार शासन में इसके प्रजेंटेशन का प्रयास किया जा चुका है ताकि इन नए पदों पर नियुक्ति का रास्ता साफ हो सके। इसके लिए कई बार शासन स्तर पर इसको लेकर मीटिंग की कोशिश की गई। पर अचानक मीटिंग को बिना किसी स्पष्ट कारण के कैंसिल कर दिया जाता है। सूत्रों के अनुसार, हाल ही में एसीएस वित्त के पास प्रजेंटेशन के लिए जाना था, पर वो मीटिंग भी कैंसिल हो गई। ऐसे में, प्रपोजल लगातार लटकता जा रहा है, जबकि सीएम ने बीते साल के अंत में ही एआरटीओ-रोड सेफ्टी के पदों को लेकर जानकारी मांगी थी। पर इसके बावजूद अधिकारी इसको लेकर लापरवाह बने हुए है। जो बताता है कि अधिकारी सड़क हादसों को रोकने में कितनी गंभीरता दिखा रहे है।

फिलहाल मामले को लेकर कुछ हुआ नहीं है। शासन से अनुमति मिलने के बाद ही आगे कुछ किया जाएगा। उम्मीद है कि जल्द ही फैसला हो जाएगा।

-चंद्र भूषण सिंह, कमिश्नर, परिवहन