लखनऊ (ब्यूरो)। जल्द ही फिजियोथेरेपी विधा का नाम बदल सकता है। आगे चलकर अन्य पैथी की तरह इसे भी फिजियोपैथी कहा जा सकता है। पैथी का दर्जा दिलाने के लिए जल्द ही प्रस्ताव तैयार कर भेजा जाएगा। इसके अलावा फिजियोथेरेपिस्ट की तैनाती जल्द ही सीएचसी-पीएचसी में करने की कवायद की जायेगी ताकि नए रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकें। यह जानकारी डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने रविवार को अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कंवेंशन सेंटर में फिजियोथेरेपी के 5वें राष्ट्रीय सम्मेलन यूपीकॉन-2024 के उद्घाटन अवसर पर दी।
घुटना ट्रांसप्लांट से बचाया जा सकता है
आयोजन के दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ। संजीव के झा ने कहा कि फिजियोथेरेपी का सही उपयोग करके काफी लोगों को घुटने के प्रत्यारोपण से बचाया जा सकता है। फिजियोथेरेपिस्ट पूरा प्रयास करते हैं कि घुटना अपने वास्तविक स्वरूप में वापस आ जाए। वहीं, डॉ। सुदीप सक्सेना ने बताया कि नई तकनीक ने फिजियोथेरेपी को और अधिक कारगर बनाया है। लेजर थेरेपी ऐसी ही एक तकनीक है जिसके माध्यम से लोगों को शरीर के विभिन्न अंगों के दर्द से निजात दिलाई जाती है। जबकि, डॉ। नम्रता सूरी ने बताया कि कपिंग थेरेपी इस समय लोगों में काफी पसंद की जा रही है। इसमें शरीर पर क्रीम लगाकर दबाव के माध्यम से कप चिपका दिए जाते हैं। इसके बाद उनको इधर-उधर खिसकाया जाता है। इससे मांसपेशिशयां मजबूत होती हैं तथा दर्द भी कम हो जाता है।
एआई का भी हो सकेगा उपयोग
डॉ। वीएम पाठक ने फिजियोथेरेपी में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को लेकर बताया कि नई तकनीक से यह पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति के किस अंग में समस्या है या फिर होने वाली है। डॉ। संजीव झा ने रोबोटिक के माध्यम से फिजियोथेरेपी की भूमिका के बारे में बताया कि फिजियोथेरेपी की भूमिका को देखते हुए अब बड़ी कंपरियां इस क्षेत्र में शोध के लिए निवेश भी कर रही हैं।