लखनऊ (ब्यूरो)। चालान के डर से लोग हेलमेट और सीट बेल्ट तो लगाने लगे हैं। हालांकि, अभी भी बेसिक नियमों की अनदेखी की जा रही है, खासतौर पर जेब्रा क्रॉसिंग की। ट्रैफिक पुलिस भी इस ओर ध्यान नहीं दे रही है। पैदल चलने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए चौराहों पर जेब्रा क्रॉसिंग बनाई जाती है। हालांकि, सिग्नल रेड होते ही लोग जेब्रा क्रॉसिंग पर ही गाड़ियां खड़ी कर देते हैं। ज्यादातर चौराहों पर वाहन चालक जेब्रा क्रॉसिंग की स्टॉपलाइन से काफी आगे जाकर ब्रेक लगाते हैं। ऐसे में, रेड लाइट होने के बावजूद पैदल चलने वालों को ट्रैफिक से बचते हुए रोड क्रॉस करनी पड़ती है। इससे हादसा होने का खतरा तो बना ही रहता है, ट्रैफिक व्यवस्था भी बिगड़ जाती है।

रेड लाइट जंप करने जैसा जुर्माना

रेड सिग्नल होने पर वाहन चालकों को अपनी कार या बाइक सड़क पर बनी पट्टी के पीछे खड़ी करनी होती है। उस पट्टी के आगे जेब्रा क्रॉसिंग बनाई जाती है, ताकि पैदल चल रहे लोग उससे पार जा सकें, लेकिन अकसर देखा गया है कि वाहन चालक पीली पट्टी को पार कर जेब्रा क्रॉसिंग पर वाहन खड़े कर देते हैं। गौरतलब है कि पीली पट्टी से आगे वाहन खड़ा करने पर रेड सिग्नल जंप करने जैसा ही जुर्माना लग सकता है। जेब्रा क्रॉसिंग पर वाहन खड़ा करने पर रेड सिग्नल जंप के नाम पर एक हजार रुपये का चालान या जुर्माना वाहन स्वामी को भरना पड़ सकता है।

क्यों बनाई जाती है जेब्रा क्रॉसिंग?

जेब्रा क्रॉसिंग एक क्रॉसवॉक है, जो चौड़ी सफेद पट्टियों की एक श्रृंखला होती है। यह क्रॉसिंग बिंदु को इंगित करता है, जहां से पैदल यात्रियों को रास्ता पार करने का अधिकार होता है। ये क्रॉसिंग लोगों की सुरक्षा के लिए बनाई बनाई जाती है। वाहन चलाने वाले लोगों को पता होता है कि उन्हें कहां पर गाड़ी की स्पीड धीमी करनी है या रोकनी है और रोड क्रॉस करने वालों को पता रहता है कि रास्ता कहां से क्रॉस करना है।

सीन 1

हजरतगंज चौराहा

चारों तरफ जेब्रा लाइन होने के बावजूद रेड सिग्नल होने पर ज्यादातर गाड़ियों के चालक नियमों की अनदेखी करते दिखे। ट्रैफिक पुलिसकर्मी भी जेब्रा क्रॉसिंग की अनदेखी करने वालों को टोकने की जहमत नहीं उठा रही थी। शहर में सबसे अधिक गाड़ियां इसी चौराहे से गुजरती हैं। ऐसे में सिग्नल रेड होने के दौरान भी पैदल चलने वालों के लिए सड़क क्रॉस करने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा।

सीन 2

केडी सिंह बाबू स्टेडियम मेट्रो स्टेशन

मेट्रो स्टेशन से निकलने और वहां पहुंचने वालों के लिए जेब्रा क्रॉसिंग बनाई गई है। हालांकि, सिग्नल न लगा होने से लोगों को कब रुकना है और कब चलना है, इसका पता ही नहीं चलता। पुलिस भी तैनात न होने से गाड़ियां बिना रुके दौड़ती रहती हैं।

सीन 3

जवाहर भवन तिराहा

कई सरकारी ऑफिस के मुख्यालय होने के चलते जवाहर भवन तिराहा बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। पेड़ों के बीच छुपने के कारण सिग्नल लाइट नजर नहीं आती। मौके पर तैनात ट्रैफिक सिपाही के इशारे पर ही लोगों को रुकने-चलने की जानकारी होती है। ऐसे में, अचानक हाथ का इशारा होने पर लोग ब्रेक लगाते हैं और तब तक कई बार स्टॉप लाइन क्रॉस हो चुकी होती है।

सीन 4

परिवर्तन चौक

कैसरबाग, कलेक्ट्रेट और लखनऊ यूनिवर्सिटी की तरफ यहां से रास्ता जाता है। इसी चौराहे पर कई तरफ से ट्रैफिक आता है। हालांकि, यह कुछ रोड वनवे भी हैं। प्रेस क्लब की तरफ और भातखंडे की तरफ जेब्रा क्रॉसिंग ही नहीं बनी है। केवल कलेक्ट्रेट के रूट पर जेब्रा लाइन बनी है। यहां न तो सिग्नल लगे हैं और न ही ट्रैफिक पुलिस की ड्यूटी लगती है। इससे सब तरफ का ट्रैफिक बिना रुके दौड़ता रहता है और पैदल चलने वालों का सड़क पार करना खतरे से खाली नहीं रहता।

यह है नियम

रेड सिग्नल होने पर वाहन चालकों को जेब्रा क्रॉसिंग से पहले बनी पीले रंग की पट्टी के पीछे गाड़ी रोकनी होती है ताकि पैदल लोगों को सड़क पार करने के दौरान दिक्कत न हो।

पैदल चलने का सिग्नल

जेब्रा क्रॉसिंग के दोनों तरफ पैदल चलने का सिग्नल देने वाली लाइटें भी होनी चाहिए। इसका मकसद होता है कि पैदल यात्री को पता चल सके कि कब आगे बढ़ना है।

क्या बोली पब्लिक

जेब्रा क्रॉसिंग पैदल चलने वाले लोगों की सुविधा के लिए बनाई जाती है। हालांकि, राजधानी में न तो पैदल चलने वालों को इसका कोई फायदा मिलता है और न ही बहुत से लोगों को इसके महत्व के बारे में जानकारी है। ट्रैफिक पुलिस को जेब्रा क्रॉसिंग के फायदे के संबंध में लोगों को अवेयर करने की जरूरत है।

- राजेश सोनी

लखनऊ के करीब-करीब हर चौराहे पर जेब्रा क्रॉसिंग बनी है, लेकिन किसी भी क्रॉसिंग पर ट्रैफिक नियम फॉलो नहीं किए जाते हैं। रेड सिग्नल होने पर वाहन को जेब्रा क्रॉसिंग पर ही खड़ा कर देते हैं। ट्रैफिक विभाग भी ऐसे वाहनों का न तो चालान करता है और न उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की जाती है। छोटी-छोटी चीजों से ही व्यवस्था में सुधार आता है, जिसमें जेब्रा क्रॉसिंग भी शामिल है।

- विक्रम मिश्रा

चौराहों व तिराहों पर जेब्रा क्रॉसिंग बनाने के नियम को तो फॉलो किया गया है, लेकिन कई चौराहे व तिराहे ऐसे हैं जहां डिवाइड के भीतर ही जेब्रा क्रॉसिंग बना दिया गया। जबकि नियम है कि चौराहे के अंदर और डिवाइडर के खत्म होने वाले प्वाइंट पर जेब्रा क्रॉसिंग बनाई जाती है ताकि लोगों को रोड क्रॉस करने में सुविधा हो। पहले ट्रैफिक विभाग नियम व मानकों को खुद फॉलो करे और फिर लोगों को इसके प्रति जागरूक करें।

- मनीष तिवारी

यातायात माह में लोगों को जागरूक करना हमारी प्राथमिकता है। लगातार यह किया भी जा रहा है। जहां तक जेब्रा क्रॉसिंग पर वाहन खड़े करने की बात है तो इसके लिए भी लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ चौराहों पर लगे कैमरों के जरिए चालान किए जा रहे हैं। लोगों पर भी ट्रैफिक नियमों का पालन करने की जिम्मेदारी है।

-प्रबल प्रताप सिंह, डीसीपी ट्रैफिक