लखनऊ (ब्यूरो)। जब एक मरीज किसी डॉक्टर के पास जाता है तो उसे पूरा विश्वास होता है कि न केवल उसे बेहतर इलाज मिलेगा बल्कि वह उसके अधिकारों की भी रक्षा करेगा। इसी को लेकर सेंट्रल हेल्थ मिनिस्ट्री द्वारा मरीजों के अधिकारों और जिम्मेदारियों का चार्टर भी तैयार किया गया है। जिसमें मरीजों को बीमारी से लेकर दवा तक की जानकारी हासिल करने का अधिकार है। ऐसा न करने पर कार्रवाई तक का प्रावधान है।
बीमारी से लेकर जांच तक की दें जानकारी
एक मरीज और उसके तीमारदार के पास किसी भी क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट से जरूरी जानकारी हासिल करने का अधिकार है, जिसमें बीमारी की प्रकृति, कारण, प्रस्तावित जांच और देखभाल, उपचार के अपेक्षित परिणाम, संभावित जटिलताओं और अपेक्षित लागतों के बारे में जानकारी हासिल करना आदि शामिल है। इसके अलावा, क्लीनिक या अस्पताल आदि में दी जाने वाली प्रत्येक प्रकार की सेवा और उपलब्ध सुविधाओं के लिए ली जाने वाली दरों की जानकारी देना जरूरी है। यह सभी जानकारी स्थानीय और अंग्रेजी भाषा में एक प्रमुख स्थान पर प्रदर्शित करना होगा। साथ ही केस पेपर, मरीज के रिकॉर्ड, जांच रिपोर्ट और विस्तृत बिल की एक प्रति प्राप्त करना होगा।
महिला की मौजूदगी जरूरी
इतना ही नहीं, उपचार के दौरान गोपनीयता, मानवीय गरिमा और निजता का अधिकार देता है। साथ ही पुरुष चिकित्सक द्वारा महिला मरीज की शारीरिक जांच के दौरान महिला की उपस्थिति सुनिश्चित करना होगा। अस्पताल द्वारा किसी भी कारण से मरीज के शव को छोड़ने से इनकार नहीं किया जा सकता।
चुन सकते हैं पसंद की फार्मेसी
-मरीजों के अधिकारों के तहत डॉक्टर द्वारा लिखी जाने वाली दवाइयों या परीक्षणों को प्राप्त करने के लिए स्रोत चुनने का अधिकार है।
-अस्पतालों, विशेष रूप से कॉर्पोरेट अस्पतालों और अन्य क्लीनिकल प्रतिष्ठानों को रोगियों को अस्पताल की फार्मेसी से दवा खरीदने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए। वह उस फार्मेसी को चुन सकता है जहां से वह दवा खरीदना चाहता है।
-दवाओं के क्या-क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं इसके बारे में भी विस्तार से जानकारी देनी चाहिए।
-मरीज को भी डॉक्टर से सभी जानकारी लेनी चाहिए, डॉक्टर यह बताने से मना नहीं कर सकता।
नियमों का हो पालन
आईसीएमआर के नियमों के अनुसार, किसी मरीज को दवा ट्रायल में शामिल करने से पहले उसकी पूर्ण सहमति लेनी होगी। जिसमें ट्रायल का कारण, गोपनियता, साइड इफेक्ट्स से लेकर अन्य सभी जानकारी देनी होगी। मरीज के बिना अनुमति के किसी भी प्रकार का ट्रायल नहीं किया जा सकता।
अपने कर्तव्यों को भी जानें
जिस तरह मरीजों को कई अधिकार दिए गये हैं, उसी प्रकार उनके कर्तव्यों के बारे में भी बताया गया है, जैसे
-डॉक्टर को सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी देना।
-जांच व उपचार के दौरान डॉक्टरों के साथ सहयोग करना।
-डॉक्टर द्वारा सभी निर्देशों का पालन करना।
-अस्पतालों द्वारा तय की गई फीस का समय पर भुगतान करना।
-डॉक्टरों और अन्य अस्पताल कर्मचारियों की गरिमा का सम्मान करना।
-हिंसा का सहारा न लेना।
बोले एक्सपर्ट्स
डॉक्टर को मरीजों से कुछ नहीं छुपाना चाहिए। उनको बीमारी से लेकर दवा के बारे में पूरी जानकारी देनी चाहिए। मरीजों को भी डॉक्टर से हर बात पूछनी चाहिए।
-डॉ। अनीस श्रीवास्तव, पूर्व हेड, यूरोलॉजी, पीजीआई
मरीज किसी डॉक्टर पर भरोसा करके ही उसके पास जाता है। ऐसे में, डॉक्टर को उसे सही जानकारी देनी चाहिए, जिसमें बीमारी से लेकर दवा आदि की जानकारी शामिल होती है।
-डॉ। शैली अवस्थी, पूर्व हेड, पीडियाट्रिक विभाग, केजीएमयू
बोली पब्लिक
डॉक्टर केवल बीमारी के बारे में और कौन सी दवा लेनी है, बताकर वापस भेज देते हैं। मरीज भी डर के कारण ज्यादा सवाल नहीं पूछता है।
-ज्ञान तिवारी, प्राइवेट जॉब
मरीजों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए। डॉक्टर्स को भी मरीजों का ध्यान देना चाहिए और उनको सही जानकारी उपलब्ध करानी चाहिए।
-गौरव कंसल, प्राइवेट जॉब