लखनऊ (ब्यूरो)। भारतीय परिवेश की बात करें तो पैरेंट्स में आज भी बेटे का मोह कम नहीं हो रहा है। खासतौर पर जिनकी बेटियां है, उनमें एक बेटे के लिए और संतान की चाहत सबसे ज्यादा है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 का सर्वे भी इस ओर इशारा करता है। जहां प्रदेश में ऐसे दंपत्तियों से सवाल पूछा गया जिनकी दो संतानें थीं, जिसमें दो बेटियों वाले दंपत्ति में 56 पर्सेंट ने बेटे की चाहत में एक और संतान की बात कही। अधिकारियों के मुताबिक, समाज में बदलाव धीरे-धीरे ही आता है। इस सोच में बदलाव लाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

सन प्रिफरेंस समाज के बारे में बताता है

एलयू के सोशियोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड प्रो। डीआर साहू ने बताया कि यह सन प्रिफरेंस यानि पितृ सत्तात्मक समाज के बारे में बताता है। क्योंकि सुरक्षा, वंश व कर्मकांड के नाम पर लोग बेटे की चाहत रखते हैं। बेटियों को लेकर कानून व बदलाव तो हो रहे हैं, लेकिन लोग बेटियों को प्रापर्टी देने में संकोच करते हैं। लोगों की सोच बदलने में समस्या हो रही है। भारतीय समाज की परंपरा व जीवनशैली जो है, उसमें आज भी ग्रामीण समाज की सोच है। उनकी अगली पीढ़ी जो शहर में रहने तो लगी हैं, लेकिन उनमें बेटे के प्रति मोह पहले जैसा ही है। लोग बिरादरी व जाति व्यवस्था से हट नहीं पाये हैं।

धीरे-धीरे आ रहा बदलाव

प्रो। डीआर साहू आगे बताते हैं कि आज के दौर में लोगों ने विज्ञान को अपनाया है, नई पीढ़ियों में बदलाव आया है। पर सभी लोग ऐसे हों, यह जरूरी नहीं है। संपन्न, शिक्षित परिवार में बदलाव आ रहा है। सरकार भी बदलाव को लेकर कार्यशील है लेकिन इसमें समय लगेगा। केरला, तमिलनाडु आदि में बदलाव देखने को मिल रहा है, पर यूपी, बिहार, एमपी राजस्थान में ऐसा देखा जा सकता है।

सरकार लगातार काम कर रही है

एनएचएम में जीएम, परिवार नियोजन सूर्यांशु ओझा बताते हैं कि लोगों में बेटे की चाहत हमेशा से रही है। समाज में समय के साथ इसमें बदलाव आ रहा है। सरकार भी लोगों को इसके प्रति जागरूक कर रही है। जिसके चलते शहरों में बेटा-बेटी का भेद लगातार कम हो रहा है। ग्रामीण अंचल में यह सोच बनी हुई है, पर इस सोच को दूर करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

सर्वे रिपोर्ट

दो बेटे-15 पर्सेंट बोले, चाहिए तीसरी संतान

एक बेटा-बेटी-19 पर्सेंट बोले, चाहिए तीसरी संतान

दो बेटियां-56 पर्सेंट बोले, चाहिए बेटा