लखनऊ (ब्यूरो)। बच्चा जब कोई गलती करता है तो पैरेंट्स अकसर उसे डांटते हैं और कई बार उसके साथ जरूरत से ज्यादा सख्त शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, जिसकी वजह से कई बार बच्चा शर्मिंदगी महसूस करने लगता है। वह उन गलतियों से सीखने की जगह बार-बार उन्हें दोहराने लगता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, बच्चों की गलतियों पर पैरेंट्स द्वारा उनको शर्मिंदा करने की जगह 'हैप्पी शेमिंग' पॉलिसी अपनानी चाहिए। बच्चे को डांटने की जगह, उस गलती से क्या सीखना चाहिए, इसपर फोकस होना चाहिए ताकि बच्चा उन गलतियों को समझे और दोबारा ऐसा करने से बचे।

ये 3 स्टेप्स आएंगे आपके काम

बच्चों में हैप्पी या हेल्दी शेमिंग कैसे जगाएं, यह जानना बेहद जरूरी है। इसके लिए तीन स्टेप्स फॉलो करें

पहला

बिहेवियर के बारे में समझाएं

जब कोई बच्चा गलती करे तो उसे 'तुम बुरे हो, तुम गलत हो' आदि नहीं कहना है। इसकी जगह, 'तुम्हारा काम, एक्शन या तुम्हारा बिहेवियर बुरा है' इसके बारे में बताना है। इसके साथ ही क्या गलत और क्यों गलत है, इसपर पैरेंट्स का फोकस होना चाहिए। क्योंकि बच्चे को मारने या डांटने से वह कुछ सीखता नहीं है। इसलिए उस गलती से क्या-क्या सीख सकता है, उस पर पैरेंट्स को फोकस करना चाहिए। क्योंकि बच्चा अगर कोई गलती करे तो उसे यह जरूर बताएं। लेकिन, इसका यह मतलब नहीं कि बच्चे में कोई खराबी है।

दूसरा

'तुम' नहीं 'आप' का प्रयोग करें

जब बच्चा कोई गलती करे तो पैरेंट्स को 'तुम ऐसे हो, तुम वैसे हो' कहने की जगह 'मैं देख रहा/रही हंू कि आप ऐसा कर रहे हो, यह सही नहीं है, आपको कैसा लग रहा है' कहना चाहिए ताकि बच्चा खुद से सोचे और समझे कि उसने जो किया वह वाकई में गलत है और उसे सुधारने की खुद से कोशिश करे।

तीसरा

बच्चे को समझाएं, आप सीख सकते हो

बच्चों को गलती में क्या सीख मिले, इसपर फोकस करें क्योंकि गलती सभी करते हैं। बच्चों को बार-बार समझाएं कि तुम सीख सकते हो, इससे निकल सकते हो और सुधार कर सकते हो। इससे बच्चे को भी लगेगा कि मैं इस गलती से सीखकर खुद में सुधार लाऊंगा तो पैरेंट्स का प्यार ज्यादा मिलेगा। गलती के बाद उसे शर्म नहीं महसूस होगी बल्कि खुद से एहसास होगा और वह खुद से सुधार का प्रयास करेगा।

गलती पर रिवार्ड वापस लेना चाहिए

साइकियाट्रिस्ट डॉ। अभिनव पांडे ने बताया कि लोग गलती से ही सीखते हैं। खासतौर पर बच्चों की बात की जाये तो यह उनके लिए लर्निंग फेज होता है। अमूमन देखा जाता है कि बच्चे के निगेटिव बिहेवियर पर पैरेंट्स सजा देते हैं, जिससे बच्चे को लगता है कि अगर मैं कुछ गलत करूंगा तो सजा ही मिलेगी और कुछ नहीं होगा। ऐसे में, पैरेंट्स को हैप्पी या हेल्दी शेमिंग के तहत पॉजिटिव और रीइनफोर्समेंट, दोनों करना है। रिवार्ड भी वापस लेना चाहिए। आसान शब्दों में, बच्चा टाइम पर स्कूल नहीं जा रहा, कपड़े रेडी नहीं कर रहा, समय पर सो नहीं रहा या टीवी देख रहा है, तो उसे डांटने या मारने की जगह बोलें कि अगर सही एक्शन व बिहेवियर होगा तो रिवार्ड मिलेगा। उसकी पसंद की डिश, ट्रिप, किसी से मिलाना आदि हो सकता है। पर वह ऐसा नहीं करेगा तो उसे कोई रिवार्ड नहीं मिलेगा, जिससे बच्चे के मन में आता है कि अच्छा बिहेव करूंगा तो पैरेंट्स का प्यार और मिलेगा, इससे वह अपनी गलतियों से सीखते हुए उसमें सुधार लाता है।

कंपेयर नहीं करना चाहिए

साइकियाट्रिस्ट डॉ। शाश्वत सक्सेना ने बताया कि आज के दौर में बच्चे चाहते हैं कि उनको जल्दी सफलता मिल जाये। क्योंकि जब वे दूसरों को जल्द सफल होता देखते हैं तो परेशान हो जाते हैं। उनको कंपेयर नहीं करना चाहिए क्योंकि सफलता तुरंत नहीं मिलती है। पैरेंट्स को चाहिए कि वे उनको गलतियों के बारे में बताएं और समझाएं ताकि वे समझ सकें कि कई बार चीजें जैसी दिखती हैं, वैसी होती नहीं हैं। दूसरों को देखकर कई बार जेलेसी होती है, जिससे गलतियां भी होती हैं। उन गलतियों से सीखने पर जोर देना चाहिए।

बच्चों के बिहेवियर के अनुसार रिवार्ड देना या वापस लेना ही हैप्पी या हेल्दी शेमिंग है। डांटने या मारने से बच्चे समझते हैं कि इससे ज्यादा उनके साथ और कुछ नहीं होगा।

-डॉ। अभिनव पांडे

बच्चे दूसरों को जल्द सफल होता देख खुद को उनसे कंपेयर करने लगते है, पर ऐसा नहीं होना चाहिए। पैरेंट्स भी उन्हें समझाएं कि खुद का हैप्पी क्राइटेरिया होना चाहिए।

-डॉ। शाश्वत सक्सेना