लखनऊ (ब्यूरो)। कई बच्चे बाहर से तो फिट और हेल्दी दिखाई देते हैं, पर इसके बावजूद कई बार उनमें मोटापे की समस्या देखने को मिलती है। इसकी वजह यह है कि फैट शरीर के अंगों में जमा हो रहा है। बच्चों के मामले में फैट लिवर में जमा हो रहा है, जो आगे चलकर बेहद खतरनाक साबित होता है। संजय गांधी पीजीआई के पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के हेड प्रो। उज्ज्ल पोद्दार के मुताबिक, बच्चों में तेजी से बढ़ती यह समस्या वाकई चिंताजनक है। बच्चों को अपनी लाइफस्टाइल सुधारने की बेहद जरूरत है।
ओवर न्यूट्रिशन की बढ़ रही समस्या
डॉ। उज्ज्ल पोद्दार ने बताया कि आजकल बच्चों में न्यूट्रिशन से जुड़ी समस्या काफी बढ़ गई है। पहले हम देश में मालन्यूट्रिशन की समस्या देखते थे, पर अब बच्चों में ओवरन्यूट्रिशन या आसान शब्दों में कहें तो मोटापा की समस्या बढ़ती दिख रही है। ओपीडी में लगातार इस तरह के केस सामने आ रहे हैं, जो चिंता की बात है। इसकी बड़ी वजह बच्चों द्वारा ज्यादा फास्ट फूड और अनहेल्दी या फैट वाले खाने का सेवन होता है, जिससे उनमें मोटापा की समस्या देखने को मिल रही है। मोटापा का मतलब केवल बाहरी शरीर भर से ही दिखना नहीं होता है। इसमें अंदर के अंगों में भी फैट देखने को मिलता है। खासतौर पर बच्चों के लिवर में फैट जमा हो रहा है। आंकड़ों की बात करें तो हर सौ बच्चों में से 10-15 में यह फैट उनके लिवर को डैमेज कर रहा है, जिसकी वजह से लिवर सिरोसिस तक हो जा रहा है।
यह कोई बीमारी या इंफेक्शन नहीं
डॉ। पोद्दार के मुताबिक, यह कोई इंफेक्शन या कैंसर जैसी बीमारी नहीं है। यह एक लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारी है, जिससे बचा जा सकता है। बच्चा हेल्दी डायट ले, एक्सरसाइज करे, फिजिकल एक्टिविटीज में हिस्सा ले तो बचाव हो सकता है। दवा के मुकाबले लाइफस्टाइल बदलना ज्यादा बेहतर ऑप्शन है। यह समस्या जल्द पकड़ में नहीं आती है इसलिए डॉक्टर्स को इसके बारे में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। हालांकि, यह भी देखने में आया है कि ऐसे बच्चे अगर अगले 6 माह में अपने वजन का 10 पर्सेंट भी कम करते हैं्र, तो उनकी लिवर समस्या लगभग ठीक हो जाती है।
ऐसे करें अपना बचाव
- एक्सरसाइज करें
- कोल्ड ड्रिंक न पीएं
- फास्ट फूड न खाएं
- हेल्दी डायट लें
बच्चों में ओवरन्यूट्रिशन की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। हर 100 में से 10-15 बच्चे इससे ग्रसित हैं, इसलिए लाइफस्टाइल में सुधार बेहद जरूरी है।
- प्रो। उज्ज्ल पोद्दार, पीजीआई