लखनऊ (ब्यूरो)। हर साल यही होता है लेकिन चौंकाने वाला तथ्य यह है कि इसके बाद भी सड़कों पर अनफिट स्कूली वाहन दौड़ते रहते हैं और इनसे हादसे भी होते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इस बार भी ऐसा ही होगा या फिर अनफिट स्कूली वाहनों पर सख्त एक्शन लिया जाएगा।

बच्चों की सुरक्षा की चिंता नहीं
स्कूली वाहनों को लेकर 13 पैरामीटर्स की गाइडलाइन तैयार की गई है। जिसपर खरा उतरने के बाद ही फिटनेस सर्टिफिकेट मिलता है। इस गाइडलाइन का सख्ती से पालन नहीं होता है। जिसकी वजह से बड़ी संख्या मेें अनफिट वाहन बच्चों को लेकर सड़कों पर दौड़ रहे हैं। वहीं, हादसा होने पर स्कूल प्रशासन ड्राइवर और कंडक्टर को हटाकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं।

नोटिस तक सिमटी कार्यवाई
आरटीओ अधिकारी हर साल स्कूली वाहनों की चेकिंग का अभियान चलाते हैं। नियमों का उल्लंघन करने वाली गाडिय़ों का चालान किया जाता है और गाडिय़ां सीज भी की जाती हैं। हालांकि इन वाहनों को फाइन देकर छुटा लिया जाता है। वहीं कई वाहन स्वामी तो नोटिस का जवाब भी नहीं देते हैं। विभागीय अधिकारी भी बड़ा एक्शन लेने से बचते हैं।

आसानी से बन जाता है फिटनेस सर्टिफिकेट
वहीं, फिटनेस के दौरान सांठगांठ के चलते स्कूल वाहन स्वामी आराम से गाड़ी का फिटनेस सर्टिफिकेट बनवा लेते हैं। इसका खुलासा हादसा होने पर ही होता है। निजी बस स्वामी अधिकारियों के साथ मिलकर ये खेल करते हैं। अधिकारी डीआईओएस को नियमानुसार कार्यवाही के लिए लिखते हैं लेकिन कार्यवाही आजतक किसी भी स्कूल पर नहीं हुई है। ऐसे में समझा जा सकता है अधिकारी और स्कूल प्रशासन बच्चों की सुरक्षा को लेकर कितने सर्तक हैं।

नियमोंं का नहीं होता पालन
नियमानुसार स्कूली वाहन में तय सीमा से अधिक बच्चों को नहीं बैठाया जा सकता है। हालांकि इसका उल्लंघन कई स्कूली वाहनों में देखने को मिलता है। अखिलेश द्विवेदी, एआरटीओ-प्रशासन बताते हैं कि स्कूली वाहन की क्षमता का डेढ़ गुना तक बच्चों को बैठा सकने का नियम है। अगर कोई गाड़ी 8 सीटर है तो उसमें 12 बच्चे और 20 सीटर वाहन में 30 बच्चों को बैठाया जा सकता है। वहीं, स्कूल बस में कंडक्टर के साथ टीचर का होना भी जरूरी है। इसके बावजूद कई स्कूल संचालक इन नियमों को पूरी तरह से नहीं मानते हैं। इन पर जल्द एक्शन भी नहीं लिया जाता है।

इन पैमानों पर होती है जांच
- बीमा
- लाइसेंस
- फिटनेस सर्टिफिकेट
- परमिट
- एचएसआरपी
- प्रदूषण नियंत्रण सर्टिफिकेट
- ड्राइवर-स्कूल का नाम व नंबर
- स्पीड कंट्रोल डिवाइस
- सीसीटीवी
- खिड़कियों पर लोहे की राड
- स्कूल वाहन का रंग पीला हो
- आग बुझाने का उपकरण
- दरवाजे पर लॉक सिस्टम

नियमों को लेकर लगातार स्कूल और वाहन संचालकों को लिखा जा रहा है। लगातार कार्रवाई भी की जा रही है। सभी से अपील है कि बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए नियमों का पूरी तरह से पालन करें।
- अखिलेश द्विवेदी, एआरटीओ-प्रशासन