लखनऊ (ब्यूरो)। चैत्र नवरात्र अब अपने समापन की ओर है। मंगलवार को मां के आंठवें स्वरूप महागौरी का पूजन और अराधना की गई। मंदिरों में विभिन्न फूलों और वस्त्रों से मां का श्रृंगार और हवन आदि किया गया। वहीं, बुधवार को व्रत के पारण के साथ कन्या पूजन किया जाएगा। नवरात्रों में कन्यापूजन का विशेष महत्व है।
फूलों से हुआ मां का भव्य श्रृंगार
नवरात्र के पावन अवसर पर देवी मंदिरों में मां का भव्य श्रृंगार, महाआरती, पूजन, हवन, दुर्गा सप्तशति पाठ और प्रसाद का वितरण किया गया। वहीं, पूर्वी देवी मंदिर में मां का महागौरी रूप में भव्य श्रंृगार के साथ शाम को महाआरती की गई। इसके बाद भक्तों में मां का प्रसाद वितरित किया गया। चौपटिया स्थित संदोहन देवी मंदिर ने मां सिंह पर सवार होकर भक्तों को दर्शन दिए। इसके अलावा चौक स्थित छोटी-बड़ी कालीजी मंदिर में मां का वस्त्रों और मेवा आदि से श्रृंगार किया गया। साथ ही दुर्गा मंदिर, घसियारी मंडी स्थित काली मंदिर समेत अन्य देवी मंदिरों में मां का भव्य श्रृंगार किया गया। इस दौरान भक्तों की भीड़ देखते ही बन रही थी। वहीं, महिला व्रतियों द्वारा मां के मंगल गीत गाए गए।
कंजिका पूजा का महत्व
पं। राकेश पांडेय के मुताबिक, महानवमी व्रत बुधवार को है। चैत्र शुक्ल नवमी तिथि शाम 5:22 तक है। इसलिए पूर्णाहूति उपरोक्त समय के बीच सूर्योदय से लेकर शाम 5:22 तक कभी भी किया जा सकता है। कुमारी कन्याओं के पूजन पूर्णाहुति के बाद ही करना चाहिए। शास्त्रों में 10 वर्ष तक की ही कन्या को कुमारी कहा गया है। इसलिए 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की ही कन्या होनी चाहिए। साथ में 1 बालक बटुक के रूप उनका भी पूजन अवश्य करना चाहिए। धर्मशास्त्रानुसार एक कन्या पूजन से ऐश्वर्य की प्राप्ति, दो कन्या पूजन से भोग एवं मोक्ष की प्राप्ति, तीन कन्या पूजन से धर्म, अर्थ व काम की प्राप्ति, चार कन्या पूजन से पद व प्रतिष्ठा की प्राप्ति, पांच कन्या पूजन से विद्या बुद्धि की प्राप्ति, छह कन्या पूजन से षट्कर्म की प्राप्ति, सात कन्या पूजन से बल व पराक्रम की प्राप्ति, आठ कन्या पूजन से धन व ऐश्वर्य की प्राप्ति और नौ कन्या पूजन से समस्त सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
ऐसे करें मां सिद्धिदात्री को प्रसन्न
मां की उपासना से सर्व सिद्धि की प्राप्ति होती है। भक्त को चाहिए के स्नानादि के बाद संकल्प करते हुये मां की मूर्ति या तस्वीर के सामने घी का दीपक जलाने के साथ मां को कमल का फूल अर्पित करें। जो भी फल या भोजन मां को अर्पित करें वह लाल वस्त्र में लपेट कर दें। मां को अधिक प्रसन्न करने के लिए नारियल, खीर, नैवेद्य और पंचामृत का भोग लगाएं। इसी के साथ व्रत का पारण भी करें।