लखनऊ (ब्यूरो)। महिलाओं में इंफर्टिलिटी की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है, जिसकी वजह से लोग आईवीएफ की ओर जा रहे हैं। पर इसके बावजूद उन्हें कंसीव करने में समस्या हो रही है। ऐसी महिलाओं के लिए आयुर्वेद एक बड़ा सहारा बन रहा है। टूडियागंज स्थित राजकीय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज में उत्तर बस्ती पद्धति से विशेष ऑयल व घी से न केवल मां बनने का सुख मिल रहा है बल्कि पीसीओएस और इररेगुलर मेंसटू्रअल में भी लाभ दे रहा है। अबतक कई महिलाओं को इसका लाभ मिल चुका है।

मेडिसिनल ऑयल व घी का करते हैं उपयेाग

संस्थान के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की डॉ। शशि शर्मा ने बताया कि कई महिलाओं में बार-बार गर्भपात, प्री-मैच्योर डिलीवरी, ट्यूब ब्लॉक होना, गड़बड़ महावारी, ब्लीडिंग या गर्भाधारण में समस्या देखने को मिलती है, जिसके चलते वे आईवीएफ के लिए भी जाती हैं, पर इसके बावजूद कंसीव नहीं कर पाती हैं। हमारे यहां उनको उत्तर बस्ती विधि से जिसमें मेडिकेटेड ऑयल और घी, जो औषधियुक्त होते हैं, के उपयोग से ट्रीटमेंट किया जाता है। जिसमें फलगृहिता, क्षार तैलिय, दशमूला तैलिय आदि शामिल होते हैं। इसे इंटायुट्राइन तरीके से किया जाता है। जहां घी या तेल मेडिसिनल हर्ब से तैयार किए हुए होते हैं। सबसे पहले तो पीरियड को रेग्युलर किया जाता है। जब पीरियड रेग्युलर हो जाता है तो 8-9 दिन बाद ट्रीटमेंट शुरू किया जाता है। इसमें किसी मरीजों को तीन दिन तो किसी को एक दिन छोड़कर दो-तीन साइकिल में ट्रीटमेंट दिया जाता है। इसमें कई बार देखा गया है कि महिलाओं की बंद ट्यूब भी खुल गई और वे गर्भ भी धारण कर सकीं।

लगातार आ रहे मरीज

डॉ। शशि बताती हैं कि इस समस्या के साथ अधिकतर 25 वर्ष से अधिक की उम्र की महिलाएं आती हैं, जो किन्ही कारणों से गर्भ धारण नहीं कर पाती हैं या फिर आईवीएफ भी सफल नहीं हो पाया है। साथ ही कई केस रेफर वाले भी आते हैं। ओपीडी में रोज 40-50 मरीज आते हैं, जिनमें 10-15 मरीज इसी समस्या के साथ वाले आते हैं, जिनमें असफल आईवीएफ व अर्बाशन की हिस्ट्री होती है। हालांकि, ट्रीटमेंट मरीज की उम्र, कंडीशन व समस्या आदि को देखकर दिया जाता है। ट्रीटमेंट में पांच-छह माह लग जाते हैं, क्योंकि शुरुआत में मेडिसिन तैयार करते हैं, जिसे देकर समस्याओं को दूर करने का काम किया जाता है। उसके बाद ही उत्तर बस्ती ट्रीटमेंट करते हैं। इस पद्धति से कई महिलाओं को फायदा मिला है। हमारे पास कई संस्थानों से मरीज रेफर होकर आते हैं।

उत्तर बस्ती पद्धति की मदद से न केवल महिलाओं को मातृत्व सुख मिल रहा है बल्कि इसके अलावा, पीसीओएस, अनियमित माहवारी आदि में भी फायदा मिल रहा है।

-डॉ। शशि शर्मा