लखनऊ (ब्यूरो)। केजीएमयू के लारी कार्डियोलॉजी में इलाज को आने वाले मरीजों का सिस्टम की लापरवाही का शिकार होने कोई नई बात नहीं है। सोमवार को भी यहां से एक ऐसा वीडियो वायरल हुआ, जिसने सबको झकझोर कर रख दिया। वीडियो में एक मरीज मुंह पर ऑक्सीजन मास्क लगाए दिखा, जो वहां मौजूद डॉक्टर से अपनी जान बचाने के लिए रोते हुए हाथ जोड़कर गुहार लगा रहा था। पर किसी ने उसकी बात नहीं सुनी। इलाज में देरी की वजह से मरीज की सांसें थम गईं। संस्थान प्रशासन के मुताबिक, मरीज को वेंटीलेटर की जरूरत थी पर संस्थान में बेड फुल होने के चलते उसे रेफर कर दिया गया था।

नाक और मुंह से आया खून

दुबग्गा निवासी सैफ के मुताबिक, पिता 60 वर्षीय अबरार को रविवार देर रात अचानक सीने में तेज दर्द होने पर उन्हें तुरंत केजीएमयू के लारी कार्डियोलॉजी लेकर पहुंचे। यहां डॉक्टर ने दर्द कम करने के लिए उन्हें कुछ इंजेक्शन लगाए। आरोप है कि इंजेक्शन लगने के कुछ देर बाद उनके नाक और मुंह से खून आने लगा। वायरल विडियो में भी एक युवक खून आने की बात कहता हुआ सुनाई दिखा। इस दौरान मरीज हाथ जोड़कर रोते हुए डॉक्टर से विनती कर रहा था कि उसे बचा लिया जाये, पर सुनवाई होती नहीं दिखी। कुछ देर के बाद मरीज की मौत हो गई, जिसके बाद गुस्साए परिजनों ने जमकर हंगामा कर दिया। साथ ही लिखित शिकायत करते हुए कार्रवाई की मांग भी की।

मरीज को वेंटीलेटर की जरूरत थी

मामले को लेकर केजीएमयू पीआरओ सेल द्वारा जवाब जारी किया गया। प्रवक्ता डॉ। सुधीर सिंह के मुताबिक, 60 वर्षीय बुजुर्ग मरीज को दिल की गंभीर बीमारी थी। वर्ष 2018 में कोरोनरी आर्टरी डिजीज की पुष्टि हुई थी। उसके बाद मरीज ने एंजियोप्लास्टी कराई थी। डॉक्टर ने समय-समय पर उन्हें जांच के लिए बुलाया था, पर मरीज के परिजन उसके बाद ओपीडी में फालोअप के लिए नहीं आए। तबीयत बिगड़ने पर मरीज को हार्ट फेल्यर की गंभीर अवस्था में इमरजेंसी में लाया गया। जहां डॉक्टरों ने तुरंत भर्ती कर ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा और जरूरी जांच कराई गई। मरीज की हालत गंभीर थी। हार्ट फ्लेयोर व सांस लेने में तकलीफ की वजह से डॉक्टरों ने उन्हें वेंटीलेटर की जरूरत बताई। दुर्भाग्य से लारी कॉर्डियोलॉजी के सभी आईसीयू-वेंटीलेटर बेड फुल थे। मरीज की जान बचाने के लिए डॉक्टरों की टीम जुट गई। जरूरी दवाएं दी गईं, उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया।

रेफर भी कर दिया गया

इसके बाद मरीज को तुरंत संजय गांधी पीजीआई व लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान ले जाने की सलाह दी गई। रेफरेंस लेटर भी दिया गया। मरीज को दूसरे संस्थान ले जाने के लिए केजीएमयू से एंबुलेंस भी उपलब्ध कराई गई। सारे प्रयास के बावजूद दुर्भाग्य से मरीज को बचाया नहीं जा सका।

अकसर फुल रहते हैं बेड

लारी में राजधानी समेत प्रदेश के अन्य शहरों से भी मरीज रेफर होकर आते हैं। यहां पर 80 बेडों की क्षमता है, जबकि करीब 9 वेंटीलेटर हैं। वहीं, 12 फैकल्टी और करीब 22 रेजिडेंट्स हैं। इमरजेंसी में रोजाना 100 से अधिक मरीज आते हैं। इसमें 20 के करीब एक्यूट हार्ट अटैक और 5-6 मरीज पेसमेकर वाले होते हैं बाकि अन्य इमरजेंसी वाले होते हैं, जिसके चलते यहां की इमरजेंसी समेत सभी बेड अकसर फुल ही रहते है।

डॉक्टर्स पर रहता है काफी लोड

डॉक्टर्स के मुताबिक, वेंटीलेटर के लिए हमेशा मारा-मारी रहती है। लोग ऊपर तक जुगाड़ लगाते हैं, जिसके चलते सभी डॉक्टर्स हमेशा ओवरलोड रहते हैं। उनके ऊपर मरीजों का बेहद दबाव रहता है। छोटे सेंटर्स को अपग्रेड किया जाये और सही रेफरल पॉलिसी बने तो मरीजों के साथ डॉक्टर्स को भी राहत मिलेगी। बेडों की संख्या सीमित होती है। हर मरीज को भर्ती करना आसान नहीं है, पर इसके बावजूद मरीजों को देखा जाता है।

पहले भी सामने आ चुके हैं मामले

केस 1 -सितंबर माह में डालीगंज निवासी खर्शीदा बानो की मौत के बाद परिजनों ने हंगामा काटा। परिजनों का आरोप था हालत गंभीर गंभीर होने के बावजूद डॉक्टर देखने तक नहीं आए।

केस 2 -नवंबर 2022 में मरीज की मौत पर परिजनों ने जमकर हंगामा किया। परिजनों ने डॉक्टर पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया।

केस 3 -अप्रैल 2020 में मरीज की मौत के बाद तीमारदार भड़क गये और उन्होंने तोड़फोड़ की। इलाज में लापरवाही का लगाया आरोप

मरीज गंभीर अवस्था में आया था। वेंटीलेटर की जरूरत थी, पर सभी बेड फुल थे। मरीज को रेफर कर दिया गया था, पर दुर्भाग्य से उसे बचाया नहीं जा सका।

-डॉ। सुधीर सिंह, प्रवक्ता, केजीएमयू