लखनऊ (ब्यूरो)। इन खबरों के बीच केजीएमयूू से एक राहत भरी खबर भी सामने आई है। यहां के न्यूरोलाजी विभाग में की गई एक स्टडी से सामने आया है कि यह वैक्सीन लगवाने के बाद ब्लड क्लाटिंग और न्यूरोलाजिकल समस्याओं की आशंका बेहद कम है। ऐसे में लोगों को डरने की कोई जरूरत नहीं है।
अधिकतर को कोविशील्ड ही
केजीएमयू के न्यूरोलाजी विभाग के हेड और रिसर्च टीम में शामिल डा। आरके गर्ग ने बताया कि सरकार के आंकड़ों के अनुसार जून 2022 तक 1,97,34,08,500 वैक्सीन के डोज लगाए गए थे। जिनमें अधिकांश लोगों को कोविशील्ड वक्सीन ही लगाई गई। इसमें से सिर्फ 10 लोगों में ही ब्रेन क्लाटिंग की समस्या आई। इन आकड़ों का रिव्यू किया गया। रिव्यू करने वालों में डा। हरदीप सिंह मल्होत्रा, डा। इमरान रिजवी और डा। बालेंद्र प्रताप सिंह आदि शामिल थे।
खतरा ना के बराबर
आकड़ों का अध्ययन करने पर सामने आया कि इस वैक्सीन को लगवाने वाले एक करोड़ लोगों में सिर्फ 6 लोगों को ही ब्लड क्लाटिंग की आशंका थी। यह डेटा रिव्यू शुरू करने के दौरान का है। डाक्टर्स के अनुसार वैसे भी जब कोई नई दवा या वैक्सीन लांच होती है, तो उसके साइड इफेक्ट भी होते हंै। जिसको रिपोर्ट करने के लिए एक साइट होती है। जिसके लिए डब्ल्यूएचओ ने मानक तय कर रखे हैं। जिसमें, 498 रिपोर्ट किए गए मामलों की समीक्षा के दौरान सिर्फ 26 में ही पाया कि ब्रेन में क्लाटिंग की आशंका हो सकती है।
साइड इफेक्ट दो सप्ताह के अंदर
डाक्टर्स के अनुसार अधिकतर मामले डोज लगने के दो सप्ताह के अंदर के हैं। 54 मामलों में इम्यून-मीडिएटेड केंद्रीय तंत्रिका प्रणाली विकार, 21 मामलों में गिलेन-बारे सिंड्रोम और अन्य इम्यून-मीडिएटेड पेरिफेरल न्यूरोपैथियों की रिपोर्ट की गई थी। 31 मामलों में पोस्ट-वैक्सिनल हर्पीज जोस्टर था। मानसिक विपरीत प्रतिक्रियाएं छह मामलों में देखी गईं। ये जो भी मामले सामने आए वे अधिकतर दिल्ल, यूपी, पश्चिम बंगाल और केरल से आए थे।
जरूरी नहीं वैक्सीन ही कारण हो
डाक्टर्स के अनुसार इन आकड़ों से यह भी तय नहीं है कि ब्लड क्लाटिंग की समस्या इस वैक्सीन के कारण ही हुई। इसका कारण यह है कि सामान्य मामलों में भी ब्लड क्लाटिंग के मामले इससे अधिक आते हैं। इससे साफ कहा जा सकता है कि विदेशों की तुलना में भारत में ब्लड क्लाटिंग के केस कम सामने आए हैं।
कई बार देर से नजर आता है साइड इफेक्ट
डाक्टर्स के अनुसार कई बार वैक्सीन के साइड इफेक्ट देर से नजर आते हैं। इसीलिए फार्माको विजिलेंस बेहद जरूरी है। ऐसे में आंकड़ों पर नजर डालें तो भारत में हालात बहुत ज्यादा अलार्मिंग नहीं हंै क्योंकि जो भी साइड इफेक्ट हुए हंै वो वैक्सीन लगने के एक-दो हफ्ते के बीच के हैं। उसके बाद इस तरह के मामले सामने नहीं आये हैं। ऐसे में जिन लोगों ने यह वैक्सीन लगवाई है, उन्हें डरने की आवश्यकता नहीं है।
वैक्सीन लगने के बाद ब्लड क्लाटिंग की आशंका बेहद कम होती है। जिस तरह की चर्चाएं चल रही हैं, उससे डरने की जरूरत नहीं है।
- प्रो आरके गर्ग, एचओडी, न्यूरोलॉजी विभाग, केजीएमयू