लखनऊ (ब्यूरो)। देश में हर साल दुर्घटनाओं में लाखों लोगों की मौत हो जाती है, जिसमें सबसे बड़ी वजह हेड इंजरी बनती है। लोहिया संस्थान के न्यूरो सर्जरी विभाग के हेड डॉ। दीपक सिंह ने बताया कि इंडिया में हर साल 15-20 लाख लोग हेड इंजरी के शिकार होते है। इसमें करीब 10 लाख गंभीर रूप से घायल होने के कारण अपनी दैनिक दिनचर्या नहीं कर पाते। वहीं, हर साल 1-1.5 लाख के बीच मौतें हो जाती हैं, जोकि चिंता का विषय है।
सख्ती से हो कानून का पालन
डॉ। दीपक सिंह के मुताबिक, लोग कारणों पर तो बात करते हैं, पर असल जरूरत बचाव की है, जिसके लिए सरकार को भी सख्त होना पड़ेगा। खासतौर पर हेल्मेट और रोड सेफ्टी पर विशेष काम करना चाहिए। पर भारत में इसका सख्ती से पालन करवाने का अभाव है। अगर सख्ती से रॉन्ग साइड चलना, ओवर स्पीडिंग, ट्रिपलिंग, बिना हेल्मेट टू व्हीलर चलाना आदि पर रोक लगाई जाये तो 75 पर्सेंट दुर्घटनाएं रोकीजा सकती हैं।
दुर्घटना स्थल पर मिले सुविधा
डॉ। दीपक के मुताबिक, मरीज को दुर्घटना के तुरंत बाद ट्रामा लेकर पहुंचना चाहिए। साथ ही गोल्डन आवर्स यानि 4-6 घंटे में प्राइमेरी सेंटर पर पहुंचे, वहां डॉक्टर हो और तुरंत इलाज मिले। पर एंबुलेंस का स्टाफ सही से ट्रेंड नहीं होता है। वह केवल मरीज को स्ट्रेचर पर रखकर सीएचसी-पीएचसी या बड़े सेंटर लाकर छोड़ देता है। सरकार को चाहिए कि दुर्घटना स्थल पर ही मरीज को त्वरित इलाज मिले। अगर ऐसा किया जाये तो 50 पर्सेंट मौतें और दिव्यांगता को रोका जा सकता है। इसके अलावा, लोगों को अपने आसपास के ट्रामा सेंटर के बारे में पता होना चाहिए, जहां न्यूरो व आर्थो सर्जन की सुविधा उपलब्ध हो।