लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में नियम विरुद्ध दौड़ रहे स्कूली वाहनों से आये दिन हादसे हो रहे हंै। खासतौर पर ई-रिक्शा भी स्कूली बच्चों को लोने-ले जाने का काम कर रहे हैं। ऐसे वाहनों पर कार्रवाई का काम आरटीओ के जिम्मे है। इसे लेकर आरटीओ-प्रशासन संजय तिवारी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि लगातार नियम विरूद्ध दौड़ रहे वाहनों के खिलाफ चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है और नोटिस दी जा रही है। शिक्षा विभाग और स्कूलों से अपेक्षित सहयोग नहीं मिलता है।

लगातार हो रही चेकिंग
आरटीओ संजय तिवारी ने बताया कि विभाग स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह सजग है। स्कूली वाहनों को लेकर लगातार चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है। जहां बिना परमिट या फिटनेस आदि के मिलने पर ऐसे स्कूली वाहनों के खिलाफ एक्शन लिया जा रहा है।

स्कूलों से नहीं मिलता सहयोग
हादसों के बाद जिला प्रशासन, ट्रैफिक, पुलिस, शिक्षा विभाग, स्कूल और आरटीओ विभाग द्वारा बैठक होती है लेकिन कोई नतीजा नहीं निकलता है। इसपर आरटीओ संजय तिवारी बताते हैं कि स्कूल वालों को कोर्डिनेशन सही नहीं है। उनके यहां से सही जानकारी नहीं मिलती है कि कितने वाहनों से बच्चे स्कूल आ रहे हंै। शिक्षा विभाग भी इसे लेकर काम नहीं कर रहा है। जबकि, उनका दायित्व है कि सभी स्कूलों में आने-जाने वाले वाहनों का डेटाबेस रखें।

जवाब तक नहीं देता स्कूल प्रशासन
नोटिस के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होने के सवाल पर आरटीओ संजय तिवारी ने बताया कि नियम विरुद्ध स्कूली वाहन मिलने पर हर बार वाहन स्वामियों और स्कूल संचालकों को नोटिस दी जाती है। अकसर कई स्कूलों से कोई जवाब ही नहीं आता है। जबकि, विभाग द्वारा की जा रही सभी कार्रवाई की जानकारी डीआईओएस को भेजी जाती है। हम लोग मान्यता खत्म करने की संस्तुति के लिए नहीं लिख सकते हैं। यह काम डीआईओएस का है कि वो नोटिस पर जांच करवाये और उसके अनुसार कार्रवाई करें।

सभी का सहयोग जरूरी है
स्कूली वाहनों से होने वाले हादसों में रोकथाम को लेकर उन्होंने बताया कि बच्चों की सुरक्षा के लिए पैरेंट्स से लेकर सभी विभाग को मिलकर काम करना होगा। पैरेंट्स को चाहिए कि जिस वाहन से उनके बच्चे स्कूल जा रहे हैं उनका खुद भी निरीक्षण करें और जरूरी कागजों की जानकारी करें। बच्चों को भी इसके प्रति अवेयर करें और उनसे ड्राइवर के व्यवहार और गाड़ी चलाने के अंदाज के बारे में जानकारी करें। स्कूलों को इसमें हमारी मदद करनी चाहिए। उनको भी बच्चों को अवेयर करने से लेकर स्कूल आने वाले वाहनों की पूरी जानकारी करनी चाहिए।