लखनऊ (ब्यूरो)। डेंगू की समय से पहचान और ट्रीटमेंट से इसके डंक से बचा जा सकता है। डेंगू से डरने की नहीं, सतर्क रहने की जरूरत है। डॉक्टर्स के अनुसार अगर बुखार के साथ बदन दर्द व हड्डियों में दर्द तीन-चार दिन लगातार बना रहे तो डेंगू की जांच करानी चाहिए। रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर डॉक्टर की सलाह पर ही दवाएं लेनी चाहिए। डेंगू का कोई इलाज नहीं है। लक्षणों के आधार पर ही इसका इलाज किया जाता है।
डायग्नोसिस की बड़ी तैयारी
डेंगू जांच की सुविधा सीएचसी-पीएचसी के साथ ही सिविल अस्पताल, बलरामपुर अस्पताल, लोकबंधु अस्पताल, केजीएमयू, पीजीआई व लोहिया संस्थान समेत अन्य सरकारी अस्पताल में उपलब्ध है। जहां, एंटीजन से लेकर एलाइजा और पीसीआर जांच की सुविधा है। वहीं, सरकारी अस्पतालों से एंटीजन जांच पॉजिटिव आने पर सैंपल स्टेट लैब में भी एलाइजा जांच के लिए भेजे जाते हंै। इस दौरान डॉक्टर लक्षणों के आधार पर मरीज का ट्रीटमेंट करते हैं। निजी लैब में भी जांच की सुविधा है। जांच रेट पहले ही तय किए जा चुके हंै। डेली सभी पॉजिटिव रिपोर्ट की जानकारी पोर्टल पर अपलोड करनी होती है ताकि प्रोटोकॉल को फॉलो किया जा सके।
हॉट जोन के लिए स्पेशल प्लान
जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ। निशांत निर्वाण ने बताया कि राजधानी में डेंगू के हॉट जोन अलीगंज, आलमबाग, आशियाना, कानपुर रोड, कृष्णा नगर, महानगर, गोमती नगर, रायबरेली रोड, तेलीबाग आदि हॉट स्पॉट एरिया हैं। इन एरिया में 60 से 70 फीसदी से अधिक मामले आते हैं। ऐसे में इन इलाकों में मार्निंग अभियान चलाया जा रहा है। हॉटस्पॉट एरिया की मैपिंग कराई गई है। एंटी लार्वा छिड़काव, फॉगिंग, सोर्स रिडक्शन और अवेयरनेस का काम लगातार किया जा रहा है। इसके अलावा पूछा जा रहा है कि घर में किसी को बुखार तो नहीं है। अगर है तो उसके ट्रीटमेंट का काम किया रहा है।
सिस्टोमेटिक ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल्स
केजीएमयू के डॉ। डी हिमांशु के मुताबिक लोगों को डेंगू का खुद से इलाज नहीं करना चाहिए। लक्षण दिखने पर 2 से 5 दिन में एनएस1 जांच करा सकते हैं। आईजीएम टेस्ट 4 से 5 दिनों में करवाना चाहिए। वहीं, सबसे एडवांस पीसीआर टेस्ट को शुरुआती 5 दिनों में करवा लेना चाहिए ताकि डेंगू का पता चल सके। डेंगू ठीक होने में 7 से 10 दिन का समय लग सकता है। वही, डेंगू पॉजिटिव रिपोर्ट होने के बाद मरीज को सबसे पहले अपने डॉक्टर्स के ट्रीटमेंट के लिए जाना चाहिए। रिपोर्ट और लक्षणों के आधार पर ही डॉक्टर ट्रीटमेंट तय करता है।
पूरा कोर्स करें
डॉक्टर के आधार पर दवाओं का पूरा कोर्स लगभग एक सप्ताह में पूरा करना होगा। पॉजिटिव रिपोर्ट के आने के बाद पांचवें दिन एक बार फिर से आपको डेंगू की जांच करानी चाहिए। जिससे पता चल जाएगा कि डेंगू के डंक का असर आपकी बॉडी से बाहर हुआ है या नहीं। वहीं, प्लेटलेट्स भी 2 से 4 दिनों के बाद बढऩे लगते हैं।
गवर्नमेंट हॉस्पिटल में बेड रिजर्व
डेंगू को लेकर सीएमओ द्वारा पहले से ही सभी अस्पतालों को अलर्ट भेजा जा चुका है। सरकारी अस्पतालों में बेड रिजर्व कर डेंगू वार्ड तैयार किया गया है। 100 से अधिक बेड रिजर्व हैं। वार्ड में सभी जरूरी दवाएं और सुविधाएं उपलब्ध हैं। जरूरत पडऩे पर बेडों की संख्या को भी बढ़ाया जा सकता है।
समय-समय पर स्टाफ को ट्रेनिंग
सीएमओ डॉ। एनबी सिंह के मुताबिक डेंगू समेत विभिन्न संचारी रोगों को लेकर डॉक्टर्स से लेकर सभी हेल्थ केयर स्टॉफ को वर्कशॉप में ट्रेनिंग देने का काम किया जाता है। हाई रिस्क एरिया समेत अरबन व रूरल एरिया में जाकर कैसे लोगों को अवेयर किस तरह करना है, इसकी जानकारी भी दी जाती है। साथ ही वर्कर्स का फीडबैक भी लिया जाता है। जिसकी डिजिटल रिपोर्ट मुख्यालय भेजी जाती है।
डेंगू को लेकर बेड, जांच और सभी जरूरी दवाओं समेत पूरे इंतजाम किए जा चुके हैं। जरूरत पडऩे पर बेडों की संख्या को बढ़ाया जा सकता है। लोगों को लगातार अवेयर किया जा रहा है।
डॉ। एनबी सिंह, सीएमओ, लखनऊ