लखनऊ (ब्यूरो)। कुकरैल नदी के उद्गम स्थल अस्ती गांव में जब प्राकृतिक जल स्त्रोत संवर जाएंगे तो इसका सीधा फायदा कुकरैल के साथ-साथ गोमा को भी मिलेगा। इसकी वजह यह है कि पेपर मिल कॉलोनी के पास कुकरैल नदी सीधे गोमा में आकर मिलती है।

अभी स्थिति है चिंताजनक

स्वच्छ पर्यावरण आंदोलन सेना की ओर से हर रविवार को गोमती नदी में सफाई अभियान चलाया जाता है। सेना के संयोजक एवं पार्षद रणजीत सिंह ने बताया कि अभी तक जहां जो वेस्ट निकाला जाता था, उसमें प्लास्टिक वेस्ट का आंकड़ा 25 से 30 फीसदी रहता था लेकिन अब स्थिति यह है कि जो अभियान के दौरान जो वेस्ट निकाला जा रहा है, उसमें प्लास्टिक वेस्ट का ग्राफ 50 फीसदी तक पहुंच गया है। जिससे साफ है कि गोमा में जमकर प्लास्टिक वेस्ट फेंका जा रहा है।

लाखों पॉलीथिन के पैकेट्स निकले

दो दिन पहले चले अभियान के दौरान करीब 20 कुंतल वेस्ट निकाला गया था। करीब तीन घंटे तक चले अभियान के दौरान गोमा में से लाखों पालीथीन पैकेट्स, डायपर, सैकड़ों की संख्या में मूर्तियां, कई कुंतल जलकुंभी तथा जानवरों के मांस के टुकड़े भी निकाले गए।

सीएम को लिखा गया पत्र

गोमा में नाले न मिलेें साथ ही प्लास्टिक वेस्ट न जाए, इसके लिए कार्ययोजना भी बनाई गई थी। पहले तो पब्लिक को जागरूक किया जाना था साथ ही घाटों के आसपास चेतावनी बोर्ड भी लगाए जाने थे लेकिन अभी तक न तो पब्लिक को जागरूक किया गया न ही कोई बोर्ड लगाया गया। जिसकी वजह से लोगों की ओर से गोमा में जमकर प्लास्टिक वेस्ट फेंका जा रहा है। मामले की गंभीरता को देखते हुए संस्था की ओर से सीएम को पत्र लिखा गया है और तत्काल इस दिशा में ध्यान दिए जाने संबंधी मांग की गई है।

इस प्रयास का दिखेगा असर

हाल में ही एलडीए, सिंचाई विभाग की ओर से अस्ती गांव में प्राकृतिक जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करने का काम शुरू किया गया है। अस्ती गांव में जितने भी प्राकृतिक जल स्त्रोत हैैं, उनके माध्यम से कुकरैल नदी में साफ पानी लाया जाएगा। अभी तक यह नदी एक नाले के रूप में थी। जब कुकरैल नदी साफ होगी तो गोमा में भी पॉल्यूशन लेवल में कमी आएगी। इसके साथ ही गोमा के आसपास भी वृहद स्तर पर सफाई अभियान चलाए जाने संबंधी कार्ययोजना तैयार की गई है। नगर निगम की ओर से गोमा के घाटों के आसपास भी सफाई अभियान चलवाकर गंदगी हटवाई जाएगी। अगर कोई दोबारा गंदगी करेगा तो उसके खिलाफ एक्शन होगा।

पौधरोपण पर फोकस

एलडीए की ओर से इस समय कुकरैल नदी के आसपास पौधरोपण कराए जाने पर फोकस किया जा रहा है। इसके लिए वन विभाग की ओर से पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे। कुकरैल नदी के दोनों तरफ दो अलग तरह के वन विकसित किए जा रहे हैैं।