लखनऊ (ब्यूरो)। आप अपने घर से पानी बचाने की शुरुआत करें। आपको जहां भी मदद की जरूरत होगी, नगर निगम आपका साथ देगा। लगातार घट रहे अंडरग्राउंड वॉटर लेवल को देखते हुए कहा जा सकता है कि अब समय आ गया है कि जब हमें और आपको मिलकर पानी बचाने की दिशा में संयुक्त प्रयास करने होंगे। ये प्रयास हमें आने वाली जनरेशन के सुरक्षित भविष्य को ध्यान में रखते हुए करने होंगे। यह अपील की है नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने। 'पानी बड़ी चीज है' कैंपेन के अंतिम चरण में बुधवार को दैनिक जागरण कार्यालय में परिचर्चा का आयोजन किया गया। जिसमें स्टूडेंट्स, एनजीओ, समाजसेवी, व्यापारी, जल प्रहरियों ने हिस्सा लिया और पानी से रिलेटेड अपनी समस्या शेयर करने के साथ ही यह सुझाव भी दिए कि किस तरह से पानी की बूंद-बूंद को बचाया जा सकता है।

परिचर्चा के मुख्य मुद्दे

1-अंडरग्राउंड वॉटर लेवल-परिचर्चा में सामाजिक कार्यकर्ता ममता त्रिपाठी और अमित शुक्ला ने मुद्दा उठाया कि अंडरग्राउंड वॉटर लेवल गिरने की मुख्य वजह से घर-घर में लग रहा सबमर्सिबल है। अगर इस पर रोक लगे तो अंडरग्राउंड वॉटर लेवल को बचाया जा सकता है।

ये होगा प्रयास-नगर आयुक्त ने कहा कि बहुमंजिला इमारतों में सबसे अधिक पानी की बर्बादी होती है। चंडीगढ़ कांसेप्ट को यहां पर लागू किया जाएगा, जिससे डायरेक्ट जमीन से पानी निकालकर टॉप फ्लोर तक नहीं पहुंचाया जा सकेगा, बल्कि इसके लिए अलग से टैैंक की व्यवस्था करनी होगी, जिसमें पानी स्टोर किया जाएगा। इसके बाद वहां से टॉप फ्लोर तक पानी पहुंचाया जाएगा।

2-दूषित जलापूर्ति-परिचर्चा में स्टूडेंट रिया राजपूत, व्यापारी डीके सिन्हा ने कहा कि अक्सर घरों में दूषित जलापूर्ति होती है, जिसकी वजह से बिना आरओ के पानी पीना संभव नहीं है।

ये होगा प्रयास-नगर आयुक्त ने कहा कि अमृत योजना 2.0 के तहत हर घर तक स्वच्छ पानी पहुंचाने की कवायद हो रही है। इसके लिए कई वार्डों में नई पेयजल लाइन बिछाई जाएगी।

3-पब्लिक प्लेसेस पर क्राइसिस/वेस्टेज-परिचर्चा में पर्यावरण विद सुरेंद्र नाथ पांडेय ने कहा कि पब्लिक प्लेस पर पानी की बर्बादी होती है लेकिन लोगों में इसको लेकर दर्द नहीं होता है। सबसे पहले तो लोगों के मन में दर्द होना चाहिए कि पानी वेस्ट न हो। स्टूडेंट आयुषी ने कहा कि कई बार पब्लिक प्लेस पर पानी की बर्बादी होती है और कंपलेन के बावजूद कोई सुनवाई नहीं होती।

ये होगा प्रयास-नगर आयुक्त ने कहा कि अगर कहीं भी पब्लिक प्लेस पर पानी की बर्बादी होती है तो लखनऊ वन सिटीजन मोबाइल एप या फिर कंट्रोल रूम नंबर 0522-2307770 या टोल फ्री नंबर 1533 पर भी कॉल कर सकते हैैं।

4-आरओ प्लांट-परिचर्चा में शामिल स्टूडेंट अवनीश अवस्थी ने कहा कि राजधानी में 100 से अधिक आरओ प्लांट हैैं। किसी को पता ही नहीं है कि ये शुद्ध पानी की सप्लाई कर रहे हैैं या नहीं। इनकी कोई जांच भी नहीं होती है।

ये होगा प्रयास-नगर आयुक्त ने बताया कि भूगर्भ जल डिपार्टमेंट में एनओसी लेने के बाद ही प्लांट संचालन किया जा सकता है। यह भी व्यवस्था है कि प्लांट संचालक खुद ही एनओसी लें, इसके बाद इसी एनओसी के आधार पर अगली प्रक्रिया पूरी होती है। मेरा यही कहना है कि सभी आरओ प्लांट संचालक अपना रजिस्ट्रेशन कराकर एनओसी जरूर लें, अन्यथा एक्शन लिया जाएगा।

5-पानी की टंकी दुरुस्त रखें-परिचर्चा में पर्यावरणविद अतुल मदार ने कहा कि लोग सस्ते के चक्कर में अपने घर की छत पर सस्ती क्वालिटी वाली पानी की टंकी लगवा लेते हैैं और उसका पानी यूज करते हैैं। ये उनकी सेहत के लिए खतरनाक है।

ये होगा प्रयास-नगर आयुक्त ने कहा कि इस दिशा में पब्लिक को खुद जागरूक होना होगा।

इन मुद्दों पर भी मंथन

1-लाइफलाइन को बचाना होगा-पार्षद रणजीत सिंह ने कहा कि गोमा को स्वच्छ रखने के लिए वे लोग हर रविवार को श्रमदान करते हैैं। हर किसी को गोमा की सफाई के लिए आगे आना चाहिए। अगर गोमती साफ नहीं होगी तो स्वच्छ जल नहीं मिल सकता है।

2-प्लास्टिक से दूरी-पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने वाले कृष्णानंद राय ने कहाकि पानी बचाना है तो सबसे पहले प्लास्टिक पर रोक लगानी होगी। प्लास्टिक को नाले-नालियों में फेंक दिया जाता है, जिससे भूगर्भ जल दूषित होता है।

बोले लोग

घर-घर लगने वाले सबमर्सिबल व्यवस्था पर रोक लगनी चाहिए, इसके लिए कड़े कदम उठाए जाएं या कोई पॉलिसी बनाई जाए, जिससे भूगर्भ जल के बेतहाशा दोहन पर रोक लगे।

ममता त्रिपाठी, सामाजिक कार्यकर्ता

लोगों में जागरूकता की कमी है। सबसे पहले तो लोग खुद पानी बचाने के लिए जागरूक हों। जब तक लोगों की आदत में सुधार नहीं होगा, तब तक पानी बचाने की कल्पना सार्थक नहीं होगी।

सुरेंद्र नाथ पांडे, पर्यावरणविद

हम अपने स्तर से पानी बचाने का प्रयास कर रहे हैैं और लोगों को भी रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए जागरूक कर रहे हैैं। अगर लोग रेन वॉटर हार्वेस्टिंग करने लगें तो काफी मात्रा में कीमती पानी बच सकता है।

विकास मिश्रा, व्यापारी

लोगों को पानी आराम से मिल रहा है, इस वजह से उन्हें कोई दर्द नहीं है। ऐसे में लोगों को पहले तो बताना होगा कि पानी न मिलने पर उन्हें क्या तकलीफें होंगी। जलापूर्ति के लिए ट्रायल के तौर पर नया सिस्टम बनाए जाने की जरूरत है।

मनमोहन सिंह, समाजसेवी

मैैंने घर की छत पर गार्डन बनाया है और वहीं पर वाशिंग मशीन भी रखी है। जिसका पहली बार का पानी फर्श की सफाई में यूज होता है, जबकि बाद का पानी पेड़ों में डाला जाता है। यही कदम सबको उठाना होगा।

अतुल मदार, पर्यावरणविद

मैैं एक साल पहले बहराइच की तरफ गई थी, तब नदी में पानी था। अब नदी सूख चुकी है। ऐसे में प्राकृतिक जलस्त्रोत को बचाया जाना चाहिए।

रिया राजपूत, स्टूडेंट

आरओ प्लांट को नियमों के दायरे में लाया जाना चाहिए। यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि आरओ प्लांट से शुद्ध पेयजल की ही आपूर्ति की जाए। जिससे पब्लिक की सेहत बेहतर रहे।

अवनीश अवस्थी, स्टूडेंट

अगर कहीं पानी बर्बाद हो रहा है तो उसकी तुरंत कंपलेन की जानी चाहिए। नगर निगम को भी हर एक कंपलेन पर तुरंत एक्शन लेना होगा। जिससे पानी वेस्ट न हो।

आयुषी, स्टूडेंट

अगर साफ पानी चाहिए तो सबसे पहले गोमती को स्वच्छ रखना होगा। अभी तो लोग गोमती में जमकर गंदगी फेंक रहे हैैं। इस आदत में तत्काल सुधार की जरूरत है।

रणजीत सिंह, पार्षद

मैैं अपने स्तर से लोगों को पानी और पर्यावरण बचाने के लिए जागरूक करता रहता हूं। नगर निगम को सबसे पहले प्लास्टिक पर रोक लगानी होगी।

कृष्णानंद राय, पर्यावरण संरक्षक

उत्तराखंड में पानी बचाने की दिशा में काफी काम किया है। अब राजधानी में भी लोगों को पानी बचाने के लिए जागरूक करने संबंधी मुहिम शुरू करने जा रहा हूं।

ब्रजेश मिश्रा, जल प्रहरी

सार्वजनिक स्थानों पर पेयजल के इंतजाम किए जाने चाहिए। जिससे लोगों को पानी खरीदकर पीने के लिए मजबूर न होना पड़े। इस तरफ ध्यान देना होगा।

डीके सिन्हा, व्यापारी

मेरा तो यही मानना है कि हर किसी को रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए अपने स्तर से प्रयास करना होगा। पानी बचाना हर किसी का कर्तव्य है।

अमित शुक्ला, समाजसेवी

नगर आयुक्त ने बताया प्लान

1-कई इलाकों में नई पेयजल लाइन

2-विस्तारित एरियाज में भी जलापूर्ति

3-हर घर को पानी का कनेक्शन

4-रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए जागरूकता

5-नए एसटीपी बन रहे, जिससे गोमा साफ होगी

6-मियावॉकी फॉरेस्ट पर काम

7-गोमा में गिरने वाले नाले टैप हुए