लखनऊ (ब्यूरो)। अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान व भातखंडे संस्कृति महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में श्रीराम सहस्त्रनाम का भव्य नृत्य नाट्य संगीतमय मंचन सोमवार को कलामंडपम में किया गया। जहां 22 दिवसीय रामलीला कार्यशाला में प्रशिक्षण के साथ तैयार संगीतमय रामायण नाट्य प्रस्तुति दी जा रही है। भातखंडे राज्य विश्वविद्यालय की वीसी प्रो। मांडवी सिंह, कुलसचिव डॉ। सृष्टि धवन, आईआरवीआरआई के निदेशक संतोष कुमार शर्मा के मार्गनिर्देशन में इस प्रस्तुति की परिकल्पना, लेखन, संगीत व निर्देशन वरिष्ठ नौटंकी व नाट्य निर्देशक अमित दीक्षित रामजी द्वारा की गई। इसमें प्रभु श्रीराम के जन्म से लेकर धनुष यज्ञ तक के प्रसंग की लीला का मंचन किया जाएगा।

श्रीराम के जीवन प्रसंग

इस संगीतमय संगीतमय नृत्य-नाट्य प्रस्तुति में प्रभु राम के आदर्श व चरित्र का पूर्ण चित्रण है। पहली बार रामायण के प्रसंग में मंच पर नारदजी का आना और सूत्रधार के रूप में समाज को प्रभु श्रीराम की लीला व उनके सुकुत्यों का वर्णन कर उनके मर्यादित व्यक्तित्व व उत्कृष्ट भावों से समाज को अभिप्रेरित करना प्रस्तुति में नवीनता दर्शाता है। कथा रावण के महायज्ञ में दसशीश के समर्पण से आरंभ होती है।

शिवजी से मिलता है वरदान

शिव जी से वरदान के उपरांत वो और भी अधिक बलशाली और अत्याचारी हो जाता है। उसके इन कुकृत्यों के परिणाम स्वरूप प्रभु को अवतरित होना पड़ता है। नाट्य प्रस्तुति में यह संदेश देने का प्रयास किया गया है कि मानवता को ही धर्म मानने वाले प्रतीक पुरुष वीतरागी श्रीराम का जीवन कठिन अवश्य था पर उसमे समाज के प्रत्येक व्यक्ति के कल्याण का मूलमंत्र था।

जीवन का संदेश दे गया उधार का पति

चित्रण कला मंच समिति द्वारा सोमवार को एसएनए के वाल्मीकि रंगशाला में उधार का पति नाटक का मंचन किया गया। यह नाटक वनमाल भवलाकर द्वारा लिखित और निर्देशन विपिन कुमार का रहा। नाटक के माध्यम से संदेश दिया गया कि लोगों को दुनिया के दिखावे के चक्कर में नहीं आना चाहिए। जिसके पास जो और जैसा है उसमें ही खुश रहना चाहिए। मंच पर पोषिता राज, अक्षत ऋषि, शीलू मलिक, सुमित श्रीवास्तव व पीहू गुप्ता समेत ने भावपूर्ण भूमिका निभाई।