लखनऊ (ब्यूरो)। लोगों को कई बार अपनी बात या विचारों को उन लोगों तक पहुंचाने में दिक्कत होती है जो उम्र में उनसे बड़े या छोटे हों। ऐसा इस लिए होता है क्योंकि उनके और दूसरों के बीच जेनरेशन गैप होता है। जेनरेशन गैप तब होता है जब अलग-अलग जेनरेशन के लोगों की राय या नजरिया किसी चीज को लेकर एक जैसा नहीं होता।
जेनरेशन गैप किसे कहते हैैं
जेनरेशन गैप पीढ़ियों के बीच में विचारों, काम करने के तरीकों और मूल्यों का अंतर है। इसमें पुरानी पीढ़ी के विचार नई पीढ़ी के विचार से नहीं मिलते हैैं। पुराने समय में इतना विकास नहीं हुआ था जितना अब है। इसके चलते पुरानी पीढ़ी समय के साथ खुद में बदलाव नहीं कर पाती, जिससे जेनरेशन गैप बढ़ता है। जेनरेशन गैप का असर पेरेंट्स और बच्चों पर भी पड़ता है।
क्या है एक्सपर्ट की राय
एलयू के सोशियोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड डॉ। डीआर साहू का कहना है कि सन 2000 से पहले का समय अलग था और उसके बाद का समय अलग। इंटरनेट के आने से काफी बदलाव देखने को मिले हैैं। इसी के चलते पहले की जेनरेशन और आज की जेनरेशन के सोचने और काम करने के तरीकों में बदलाव आया है। पहले जिन जानकारियों के लिए अलग-अलग किताबें खोलनी पड़ती थीं अब वही जानकारी तुरंत इंटरनेट पर मिल जाती है। पहले बच्चे पेरेंट्स से बात करने में संकोच करते थे लेकिन अब पेरेंट्स बच्चों के दोस्त बन चुके हैैं। हालांकि, जेनरेशन गैप से कई बार मन मुटाव भी हो जाते हैैं। ये इसलिए होता है क्योंकि दोनों की विचारधारा में काफी अंतर होता है।
खुद को बदलने की कर रहे कोशिश
डॉ। एचसी पालीवाल ने बताया कि उनकी एक बेटी है। उनके विचार पुराने जमाने के हैैं जबकि उनकी बेटी के विचार नए जमाने के, जिससे कई बार थोड़ा मन मुटाव हो जाता है। हालांकि, वह पूरी कोशिश करते हैं कि उसे उसकी पसंद के सारे काम करने दें। नई जेनरेशन के पास नए अवसर होते हैैं और उन्हें कोई भी काम करने से रोकना नहीं चाहिए। उनके मुताबिक, उन्हें समय के साथ बदलने में दिक्कत तो हो रही है, लेकिन वह पूरी कोशिश कर रहे हैैं।
लोगों को बैलेंस बनाकर चलना चाहिए
एक पेरेंट डॉ। रितु टंडन का कहना है कि विकास होना नेचुरल प्रोसेस है और बहुत जरूरी भी है, लेकिन हमें अपने संस्कारों को नहीं भूलना चाहिए। पहले के समय में तकनीक तो इतनी विकसित नहीं थी लेकिन लोगों के अंदर संस्कार थे। उनका मानना है कि सभी लोगों को बैलेंस बनाकर चलना चाहिए। पेरेंट्स और ग्रैैंड पेरेंट्स को बच्चों से आधुनिक चीजों के बारे में सीखना चाहिए और बच्चों को पेरेंट्स और ग्रैैंड पेरेंट्स से संस्कार सीखने चाहिए। इससे दोनों जेनरेशंस एक-दूसरे को समझ पाएंगी।
बच्चों की भी बात सुनें पेरेंट्स
हाल ही में कॉलेज से पास आउट हुईं बेदिका अवस्थी ने बताया कि जेनरेशन गैप के कारण बहुत बार उनकी पेरेंट्स से कहासुनी हो जाती है। उनके हिसाब से बच्चे हमेशा अपने पेरेंट्स की सुनते आए हैैं और ऐसा ही होना चाहिए। जब दो लोगों के विचार मेल नहीं खाएंगे तो मनमुटाव होना स्वाभाविक है। पेरेंट्स को भी बच्चों की बात समझनी चाहिए।
अपने दौर से कम्पैरिजन सही नहीं
इंटर्नशिप कर रहे यश अग्रवाल का मानना है कि पेरेंट्स को सिर्फ अपनी बातें नहीं रखनी चाहिए बल्कि बच्चों की भी बात को समझना चाहिए। वे अपने समय से बच्चों को कंपेयर करते हैैं जो कि सही नहीं है। आज का दौर अलग है और पेरेंट्स को ये बात समझनी चाहिए।