लखनऊ (ब्यूरो)। साइबर फ्रॉड, जालसाजी और ठगी की मॉडस ऑपरेंडी अलग-अलग होती है और वे कई बार पुलिस से एक कदम आगे नजर आते हैं। इस बार तो जालसाजों ने पुलिस के घर में ही सेंधमारी कर दी। दरअसल, अब जालसाज पुलिस की एफआईआर में सेंधमारी कर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। वे कॉल कर मुकदमे से नाम हटाने, आरोपी के खिलाफ सख्त कर्रवाई करने के नाम पर वसूली कर रहे हैं। अपराधियों के इस तरीके ने यूपी पुलिस समेत पुलिस के टेक्निकल विभाग की भी चिंता बढ़ा दी है। एफआईआर ओपन प्लेटफार्म पर रहती है ऐसे में जालसाजों को कैसे रोका जाए, इसपर विमर्श शुरू हो गया है।
कॉल कर हो रही ठगी
कुछ दिन पहले लखनऊ के रहने वाले शौकत ने अपने साथ हुई मारपीट की एफआईआर दर्ज कराई थी। उसके पास कॉल आई और सामने वाले ने कहा कि वह बसंत विहार थाने से बोल रहा है। उसने पूछा क्या तुमने मारपीट की एफआईआर दर्ज करवाई है। उसने शौकत से पूछा क्या आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करवानी है। इसमें हम तुम्हारी मदद कर सकते हैं। इसके लिए बस एसपी से बात करनी होगी। शौकत ने सहमति दिखाई तो कॉलर किसी से जय हिंद कर बात करने लगा और शौकत के केस की पूरी जानकारी दे दी। इसके बाद कॉलर पूछता है कि सर, कितने पैसे ले लूं, बस इसके बाद ओके जय हिंद बोलता है। फिर शौकत से कॉलर ने कहा कि पांच हजार रुपए गूगल पे कर दो। शौकत पूछता है कि आप कौन हैं तो वह खुद को चौकी इंचार्ज बताता है और शौकत को थाने पर आने की बात कह कॉल काट देता है।
यूपी कॉप एप्लीकेशन से डाउनलोड कर रहे
ऐसे ज्यादातर मामले यूपी के पश्चिम जिलों में सामने आ रहे हैं। साइबर अफसरों की जांच में सामने आया है कि यह जानकारी साइबर अपराधी यूपी कॉप एप्लीकेशन से निकाल रहे हैं। वे वहां से एफआईआर डाउनलोड करते हैं और फिर वहां से वादी की डिटेल निकाल कर उन्हें कॉल करते हैं। लखनऊ के साइबर क्राइम सेल के शिशिर यादव के मुताबिक, साइबर क्रिमिनल्स इस तरह की ठगी की कोशिश सिर्फ एफआईआर दर्ज करवाने वालों के साथ ही नहीं बल्कि आरोपी के साथ भी कर रहे हैं।
पुलिस ऐसे नहीं करती है कॉल
एसीपी साइबर अभिनव कुमार ने बताया कि सभी के लिए यह जानना जरूरी है कि पुलिस या विवेचक कभी किसी वादी या आरोपी को इस तरह कॉल नहीं करती है। ऐसे में, यदि कोई ऐसी कॉल करके रुपए मांगता है तो तत्काल संबंधित थाना इंचार्ज या उससे ऊपर के अफसरों के सीयूजी नंबर पर कॉल कर सूचित करें। यदि ठगी हो चुकी हो तो तत्काल साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें और समीप के साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराएं। इसके अलावा, साइबर क्राइम सेलइसपर फोकस कर रहा है कि कैसे एफआईआर की डिटेल अपराधियों तक जाने से रोका जा सके।