लखनऊ (ब्यूरो)। पेशे से टीचर दीपेंद्र मिश्रा और उनकी पत्नी नीलम आज भी मानने को तैयार नहीं है कि उनका जवान बेटा सार्थक अब इस दुनिया में नहीं है। सार्थक की मौत किन हालातों में हुई और इसके लिए कौन जिम्मेदार है, 48 घंटे बीतने के बाद भी इस सवाल का जवाब पुलिस के पास नहीं है। एक तरफ सार्थक का परिवार उसकी हत्या का आरोप लगा रहा जबकि पुलिस इतना समय बीतने के बाद भी पीएम रिपोर्ट, सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल कॉल डिटेल रिपोर्ट के आने का इंतजार कर रही है। यह दर्द अकेले सार्थक के परिवार का ही नहीं है बल्कि एक और पिता अपने बेटे की मौत की वजह तलाश रहा है। मऊ घोसी में रहने वाले किसान त्रिभुवन के बेटे रोहित की 48 घंटे से केवल एक बात कह रहे हैं कि मोबाइल फोन में बेटे की मौत की वजह छिपी है जबकि पुलिस सुसाइड की बात कहकर चुप्पी साधे है।
8.30 बजे तक सीसीटीवी कैमरे में दिखा था सार्थक
अलीगंज के त्रिवेणी नगर निवासी टीचर दीपेंद्र मिश्रा का बेटा सार्थक (20) शुक्रवार को घर से दोस्तों के साथ पार्टी करने की बात कहकर निकला था। शनिवार सुबह उसकी डेडबॉडी डीएलएफ बिल्डिंग के पास नाले में मिली थी। परिवार ने सार्थक की हत्या का आरोप लगाया है। 48 घंटे बाद भी पुलिस न तो सार्थक की मौत की वजह तलाश सकी और न ही उसके साथ हुई साजिश या हादसा का पता लगा पाई। सीसीटीवी फुटेज में सार्थक रात 8.30 बजे तक डीएलएफ बिल्डिंग के बाहर देखा गया था।
आखिर दो घंटे कहां था सार्थक
परिवार वालों के आरोप पर पुलिस ने उसके दोस्त आकाश से पूछताछ कि तो आकाश का कहना है कि सार्थक घर में पूजा की बात कहकर शाम 6.30 बजे बाइक टैक्सी बुक कराके चला गया था। अगर 6.30 बजे उसने बाइक टैक्सी अपने मोबाइल फोन से बुक कराई थी तो उसकी डिटेल अब तक पुलिस नहीं निकाल सकी। वहीं, 6.30 बजे अगर उसने बाइक टैक्सी बुक कराई तो फिर रात 8.30 बजे वह डीएलएफ बिल्डिंग के नीचे सीसीटीवी कैमरे में कैसे देखा गया। आखिर इन दो घंटे में सार्थक के साथ क्या हुआ। दोस्तों का यह भी कहना है कि सार्थक ने शराब भी पी थी। इस पर पुलिस मानना है कि शराब के नशे में नाले में गिरकर उसकी मौत हो गई। जबकि जिस जगह पर नाला है वहां चलती फिरती रोड है और कोई नाले में गिरता है तो ऐसा कैसे हो सकता है कि पूरी रात किसी को इसका पता न चले।
शहर आकर परिवार का नाम रोशन करना चाहता था
वहीं दूसरी तरफ, मूलरूप से मऊ घोसी के रहने वाले त्रिभुवन यादव का बेटा रोहित दो साल पहले लखनऊ आया था। वह सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा था ताकि अपने गांव व परिवार का नाम रोशन कर सके। इसके लिए वह अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए एक मेडिकल कंपनी में जॉब भी करता था। रोहित ने 7 अगस्त को डालीगंज में किराए पर कमरा लिया था। पिता का कहना है कि उससे आखिरी बार 9 अगस्त को फोन पर बात हुई थी। बात करने के दौरान वह कुछ परेशान लग रहा था।
किसान पिता की उम्मीद था रोहित
रोहित ने 9 अगस्त को परिवार से बात करने के बाद फोन स्विच ऑफ कर लिया था। कई बार कॉल करने के बाद भी जब उससे संपर्क नहीं हुआ तो पिता लखनऊ पहुंच गए और अलीगंज थाने में बेटे की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। उधर, मदेयगंज पुलिस डालीगंज स्थित कमरे से तेज दुर्गंध की शिकायत पर पहुंची तो रोहित कमरे में नाइलॉन की रस्सी का फंदा से झूलता मिला। पुलिस का कहना है कि रोहित ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली, जबकि पिता का कहना है कि रोहित बहुत होनहार था और पूरे घर की जिम्मेदारी उसके ऊपर थी। वह अपने छोटे भाई बहनों को पढ़ा भी रहा था और खुद भी तैयारी कर रहा था।
मोबाइल की कॉल डिटेल में मौत की वजह
पिता त्रिभुवन का कहना है कि रोहित कभी परिवार के किसी मेंबर से कभी भी बेरुखी से बात नहीं करता था, लेकिन उसकी अंतिम कॉल बहुत ही बेरुखी थी, उसकी आवाज से लग रहा था वह बहुत परेशान है। पिता का कहना है कि कोई बहुत गहरी वजह है जिसने रोहित की जान ली है। रोहित आत्महत्या नहीं कर सकता। पिता का कहना है कि रोहित की मौत की वजह उसके मोबाइल की कॉल डिटेल में मिल सकती है। वह किससे बात करता था और कौन उसे परेशान कर रहा था, अगर मोबाइल की कॉल डिटेल खंगाली जाए तो उसकी मौत की असल वजह सामने आ सकती है। वहीं, पुलिस रोहित की मौत को सुसाइड बात कर चुप्पी साधे हुए है।