लखनऊ (ब्यूरो)। परिवहन विभाग ने ई-रिक्शा से बच्चों को स्कूल लाने और ले जाने पर रोक लगा रखी है। इसके बाद भी बड़ी संख्या में पैरेंट्स अपने बच्चों को ई-रिक्शा से ही स्कूल भेज रहे हैं। हैरानी के बात यह है कि जिम्मेदार अधिकारी इस पर अपनी आंखें बंद कर रखे हैं।

चार का मानक, बैठा रहे दो गुना

ई-रिक्शा में महज चार लोगों के बैठने की जगह होती है, लेकिन इसमें आठ से दस बच्चों तक को बैठाकर स्कूल जाया और ले जाया जा रहा है। वहीं कई स्कूल वैन में तो ड्राइवर की सीट के पीछे पट्टा लगाकर बीस-बीस बच्चों को बैठाकर स्कूल पहुंचाया जा रहा है।

स्कूलों के बाहर ई रिक्शा की कतार

शहर में कई इलाकों में स्थित प्राइवेट स्कूलों के बाहर छुट्टी के दौरान अनेक ई-रिक्शा आ जाते हैं। इन्हीं पर सवार होकर बच्चे अपने घरों को वापस लौटते हैं। लेकिन स्कूल मैनेजमेंट इस पर गौर नहीं करता।

ओवर लोडिंग के चलते प्रॉब्लम

ई-रिक्शा बच्चों से इतने भरे हुए होते हैं कि ड्राइवर को हैंडल तक मोड़ने में प्रॉब्लम होती है। जिसके चलते पहले कुछ हादसे भी हो चुके हैं। जिम्मेदार अधिकारी इस पर भी ध्यान नहीं दे रहे हैं।

स्कूली बच्चे नहीं ले जा सकते

आरटीओ प्रवर्तन संदीप पंकज ने बताया कि वैसे तो कोई भी ई-रिक्शा स्कूली छात्रों को ले जाने के लिए रजिस्टर्ड नहीं है। वो केवल पैसेंजर्स ले जा सकते हंै। समय-समय पर नियम विरूद्ध दौड़ रहे ई-रिक्शा पर कार्रवाई भी की जाती है। कई बार तो पैरेंट्स का सहयोग ही नहीं मिलता है। वो अपने बच्चों को ई-रिक्शा से भेज देते हैं।

क्या है स्कूली वैन के लिए मानक

-जीपीएस सीसीटीवी होना जरूरी है।

-पारदर्शी फर्स्ट एड बॉक्स होना चाहिए।

-एसएलडी (40 किमी से कम) लगा होना चाहिए।

-व्हीकल में फायर फाइटिंग सिस्टम होना चाहिए।

-स्कूली व्हीकल में अलार्म घंटी व सायरन होना जरूरी है।

-खिड़की में कम से कम चार क्षैतिज स्टील रॉड इस तरह लगी हो।

-छोटे व्हीकल में जाली या रॉड लगाने के निर्देश हैं।

स्कूली बच्चों को ले जाने के लिए ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन नहीं होता है। इसके बावजूद ई-रिक्शा से बच्चों को स्कूल पहुंचाया जा रहा है। पैरेंट्स सहयोग नहीं करते हैं।

-संदीप पंकज, आरटीओ-प्रवर्तन, लखनऊ