लखनऊ (ब्यूरो)। ऊर्जा क्षेत्र की सबसे बड़ी संवैधानिक कमेटी राज्य सलाहकार समिति की नियामक आयोग में हुई बैठक में यह स्पष्ट हो गया है कि बिजली दरों में बढ़ोत्तरी नहीं होगी, जिससे प्रदेशभर के तीन करोड़ से अधिक उपभोक्ताओं को राहत मिली है। अब नियामक आयोग की ओर से यह निर्णय लिया जाएगा कि बिजली दरें कम होंगी या पूर्ववत रहेंगी।
बिजली दरों को अंतिम रूप
विद्युत नियामक आयोग सभागार में सोमवार को आयोग अध्यक्ष अरविंद कुमार की अध्यक्षता में एवं सदस्य संजय कुमार सिंह की उपस्थिति में हुई बैठक में अपर मुख्य सचिव ऊर्जा नरेंद्र भूषण, प्रबंध निदेशक पंकज कुमार, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, नगर विकास सचिव अजय कुमार शुक्ला, प्रबंध निदेशक मध्यांचल भवानी सिंह खंगारौत, डायरेक्टर नेडा अनुपम शुक्ला, विशेष सचिव आईटी राहुल सिंह, विशेष सचिव कृषि टीके शिबू, स्मार्ट ग्रिड फोरम के अध्यक्ष रेजयी कुमार पिल्लई व अन्य प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
सभी पक्षों को सुना गया
सबसे पहले विद्युत नियामक आयोग की तरफ से बिजली कंपनियों की तरफ से दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता वर्ष 2024-25 पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन व यूपीएसएलडीसी सहित नोएडा पावर कंपनी की राजस्व आवश्यकता पर एक प्रस्तुतीकरण सभी सदस्यों के सामने किया गया। विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार ने कहा कि सभी पक्षों को सुन लिया गया है। अब बिजली दर को अंतिम रूप दिया जाएगा। सब मिलाकर उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष के तर्कों के बाद आज की बैठक से यह तो सिद्ध हो गया कि उत्तर प्रदेश में बिजली की दरें नहीं बढ़ने वाली हैैं।
दरों में बढ़ोत्तरी की जाए
सभी बिजली कंपनियों की तरफ से पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक पंकज कुमार ने कहा कि कलेक्शन एफिशिएंसी एवं लाइन हानियों में सुधार हुआ है। बिजली कंपनियों के पास केवल सरकार से मिलने वाली सब्सिडी व बिजली दर से तय किया गया राजस्व ही दो स्रोत हैं। ऐसे में बिजली कंपनियों की तरफ से वर्ष 2024-25 हेतु दाखिल राजस्व गैप 11203 करोड़ के एवज में आयोग उसकी प्रतिपूर्ति करने पर विचार करें यानी की दरों में बढ़ोतरी करें। इसके बाद प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं की तरफ से अपनी बात रखते हुए उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि बिजली कंपनियों का गैप 11203 करोड़ का आंकड़ा केवल दिखाने के लिए है, मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन के मानक के अनुसार जैसे इसका परीक्षण किया जाएगा यह गैप समाप्त हो जाएगा और उपभोक्ताओं का सरप्लस निकल आएगा।
करोड़ों का सरप्लस निकल रहा
विद्युत उपभोक्ताओं का वर्ष 2017-18 के अंत तक लगभग 13337 करोड़ का सरप्लस निकल रहा है और वर्ष 2021-22 में लगभग 6507 करोड़ का सरप्लस निकल रहा है और वर्ष 2023-24 के बिजली दर के आदेश में 7988 करोड़ का सरप्लस निकल रहा है। कुल सरप्लस लगभग 27833 करोड़ है, जब इसे कैरिंग कास्ट के साथ देखा जाएगा तो यह लगभग 33122 करोड़ के करीब पहुंचेगा। ऐसे में विद्युत नियामक आयोग एक साथ 40 प्रतिशत अथवा अगले 5 वर्षों तक 8 प्रतिशत बिजली दरों में कमी के लिए आदेश पारित करना चाहिए। पावर कॉरपोरेशन की तरफ से अपने रेगुलेटरी ऐसेट पर आयोग से पुनर्विचार की बात करने पर उपभोक्ता परिषद ने पावर कारपोरेशन को आड़े हाथों लेते हुए कहा की विद्युत नियामक आयोग अपने किसी भी आदेश पर रिव्यू नहीं कर सकता। स्मार्ट ग्रिड फोरम के अध्यक्ष रजई पिल्लई ने टाइम ऑफ यूज का मुद्दा उठाया और कहां इसे लागू किया जाए। यूपी मेट्रो के प्रबंध निदेशक सुशील कुमार ने मेट्रो की बिजली दरें कम करने का मुद्दा उठाया।