लखनऊ (ब्यूरो)। अमूमन घरों से चार तरह का वेस्ट निकलता है। वैसे तो हर घर में हम से कम तीन अलग-अलग डस्टबिन रखे ही जाने चाहिए, पर भवन स्वामी अगर दो डस्टबिन भी रख लें तो काफी हद तक वेस्ट के दुष्प्रभाव से खुद को और वेस्ट कलेक्शन करने वाले निगम कर्मियों की सेहत को सुरक्षित रखा जा सकता है। हालांकि, राजधानी के करीब 90 फीसदी भवन स्वामियों को यह तक नहीं पता होता है कि उनके घर से कितने तरह का वेस्ट निकलता है और उसे किस तरह से अलग-अलग रखना चाहिए।

4 तरह का वेस्ट निकलता है घरों से

1-सूखा वेस्ट-इसमें कागज, बोतल, बिस्कुट-ब्रेड के पैकेट, चिप्स के पैकेट इत्यादि शामिल हैैं।

2-गीला वेस्ट-किचन से निकलने वाले वेस्ट को गीले वेस्ट की श्रेणी में रखा गया है। घरों से सबसे ज्यादा किचन वेस्ट ही निकलता है। इसमें चाय की पत्ती, सब्जी-फल या अंडे के छिलके इत्यादि शामिल हैैं।

3-मेडिकल वेस्ट-अधिकतर भवन स्वामी घर से निकलने वाली एक्सपायर्ड मेडिसिन को भी सूखे या गीले वेस्ट के साथ डाल देते हैैं, जो सेहत के लिए बेहद खतरनाक है। कई बार तो गंभीर मरीजों में यूज की गई रूई या बैैंडेज को भी वेस्ट में ही शामिल कर फेंक दिया जाता है।

4-ठोस वेस्ट-अमूमन त्योहारों के आसपास घरों से इस तरह का वेस्ट ज्यादा निकलता है। जब घरों का मेंटीनेंस कराया जाता है तो मलबा इत्यादि को अलग रखने के बजाए कॉमन वेस्ट में शामिल करते हुए सिंगल डस्टबिन में डाल दिया जाता है। जबकि ठोस वेस्ट को भी अलग रखे जाने की जरूरत है। नगर निगम की ओर से इस वेस्ट का इस्तेमाल सड़क निर्माण इत्यादि में किया जा सकता है।

इस तरह करें डस्टबिन यूज

1-ग्रीन डस्टबिन-इस तरह के डस्टबिन में किचन वेस्ट को डाला जाना चाहिए। जिसमें सब्जी-फलों के छिलके, चायपत्ती इत्यादि शामिल होती है।

2-ब्लू डस्टबिन-इस डस्टबिन का यूज घरों से निकलने वाले हार्ड वेस्ट के लिए किया जा सकता है। इसमें आप ब्रेड-चिप्स पैकेट के रैपर, प्लास्टिक बोतल, दूध के पैकेट, मेटल निर्मित वस्तुएं इत्यादि डाल सकते हैैं।

3-रेड डस्टबिन-इसका मुख्य रूप से यूज ठोस अपशिष्ट के लिए किया जाना चाहिए। जिसमें एक्सपायर्ड दवाएं, सेनेटरी पैड, रूई-पट्टïी इत्यादि शामिल हैैं।

4-ब्लैक डस्टबिन-अमूमन इस कलर के डस्टबिन का यूज अस्पतालों या पैथोलॉजी में किया जाता है। इसके परिवहन की अलग से व्यवस्था की जाती है।

डस्टबिन की कंडीशन एक नजर में

70 फीसदी घरों में एक ही डस्टबिन की व्यवस्था

20 फीसदी घरों में एक भी डस्टबिन नहीं रखा जाता

10 फीसदी घरों में ही दो डस्टबिन नजर आते हैं

मार्केट एरिया में भी यही स्थिति

आवासीय के साथ-साथ कॉमर्शियल एरिया जैसे मार्केट इत्यादि में भी दुकानों के बाहर सिर्फ एक ही डस्टबिन नजर आता है। एक ही डस्टबिन में दुकानों से निकलने वाले हर तरह के वेस्ट को डाला जाता है, जो नियमों के विपरीत है। ऐसे में नगर निगम को मार्केट एरिया में भी वृहद स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जाने की जरूरत है। जिससे दुकानों के बाहर भी कम से कम दो अलग-अलग रंग के डस्टबिन नजर आएं। दुकानों के बाहर दो अलग-अलग रंग के डस्टबिन रखे जाने से यह फायदा भी होगा कि मार्केट पूरी तरह से स्वच्छ नजर आएगा साथ ही व्यापारियों के साथ-साथ ग्राहकों की हेल्थ भी बेहतर रहेगी।

वेस्ट मिलाने पर ये होता है नुकसान

-ग्रीनहाउस गैस एमिशन

-टॉक्सिक गैस निकलना

-वेस्ट लैंडफिल

-एयर, सॉइल, वॉटर पॉल्युशन वगैरह

बोले लोग

सूखे और गीले वेस्ट को अलग-अलग क्यों रखना चाहिए, इसको लेकर जागरूकता की काफी कमी है। इसके बारे में सुना जरूर था, लेकिन अब हम सूखा और गीला वेस्ट अलग-अलग ही रखेंगे।

राजेश सोनी

हमारे घर में तो एक ही डस्टबिन रखा हुआ है। जानकारी होने के बाद अब हम कम से कम हरा और नीले रंग का डस्टबिन रखने की व्यवस्था करेंगे, ताकि हमारी सेहत और पर्यावरण सेफ रहे।

आकाश अग्रवाल

जागरूकता की कमी के चलते हम सूखा और गीला वेस्ट एक साथ रखते हैैं। अब हम अपनी आदत में बदलाव करेंगे और वेस्ट को अलग-अलग रखेंगे। हम अपने पड़ोस में रहने वाले बाकी लोगों को भी जागरूक करेंगे।

निशांत दुबे

निश्चित रूप से सूखा, गीला और मेडिकल वेस्ट अलग-अलग रखा जाना चाहिए। नगर निगम को भी इस संबंध में वार्डवार जागरूकता अभियान चलाना चाहिए ताकि भवन स्वामी अपने स्तर से पहल कर सकें।

अरुण मिश्र

सोशल मीडिया पर आए कमेंट्स

1-नगर निगम को सबसे पहले तो शत प्रतिशत घरों को वेस्ट कलेक्शन की व्यवस्था से जोड़ा जाना चाहिए ताकि लोग खुले में वेस्ट न फेंके।

राकेश, चिनहट

2-पब्लिक को भी सूखा और गीला वेस्ट अलग-अलग रखने के लिए जागरूक होना होगा। सूखा और गीला वेस्ट एक साथ नहीं रखा जाना चाहिए।

स्वप्निल, आशियाना

3-नगर निगम को वृहद स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जाने की जरूरत है ताकि सभी लोग डस्टबिन के कांसेप्ट को लेकर जागरूक हो सकें।

आकाश, कैसरबाग

4-शहर तभी स्वच्छ होगा, जब हर कोई अपनी जिम्मेदारी समझेगा। वर्तमान समय में तो ज्यादातर लोग रोड साइड वेस्ट फेंक देते हैैं। इस आदत में सुधार की जरूरत है।

रवि, आलमबाग

5-नगर निगम को जोनवार जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। पब्लिक को बताया जाना चाहिए कि सूखा और गीला वेस्ट एक साथ रखने से क्या नुकसान हो सकता है।

अंबर, मड़ियांव