लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में डग्गामार वाहन स्वामियों को प्रवर्तन अधिकारियों का कोई डर नहीं है। डग्गामार निजी गाड़ियों से सवारी ले ही जा रहे हैं। इन बसों के ड्राइवर सरकारी बस स्टैंड के सामने से ही सवारियां भरने का काम कर रहे हैं, जिससे विभाग को राजस्व की हानि हो रही है। वहीं दूसरी तरफ, प्रवर्तन अधिकारी कार्रवाई के नाम पर केवल खानापूर्ति करके अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते हैं, जिससे डग्गामार वाहनों के संचालकों के हौसले बुलंद हैं।
आउटर व बस अड्डे से भर रहे सवारियां
राजधानी में धड़ल्ले से डग्गामार छोटी गाड़ियां, बसों और ट्रकों का संचालन हो रहा है। इन वाहनों में यात्रियों की जान भी खतरे मेें रहती है। दुर्घटना होने पर इन वाहनों में यात्रा करने वालों को बीमा वगैरह का फायदा भी नहीं मिलता है। छोटी निजी गाड़ियां खासतौर पर शहर के आउटर एरिया से सवारियां भरने का काम करती हैं। वहीं, कुछ डग्गामार बस अड्डों के सामने तक से सवारी भरने का काम करते हैं। जनवरी में ही चारबाग बस स्टेशन के सामने से कर्मचारियों की शिकायत पर 3 डग्गामार बसों को सीज किया गया था। पर इसके बावजूद उनमें कोई डर नहीं है, जबकि इससे पहले 13 वाहनों का चालान के साथ 1 बस को सीज किया गया था। हालांकि, साठगांठ के चलते ये वाहन छूट जाते हैं और दोबारा सवारी भरने लगते हैं।
कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति
प्रवर्तन विभाग भी डग्गामार और अवैध संचालन के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति करता है। अधिकारियों के मुताबिक, औसतन हर माह महज 50-70 चालान और 15-20 वाहन ही सीज किए जाते हैं, जबकि हजारों की संख्या में डग्गामार और अनाधिकृत वाहनों का संचालन हो रहा है। पूरे माह 200 चालान तक करना मुश्किल हो रहा है, जबकि गाड़ी सीज करने से बचा जाता है। यह कार्यवाही भी तब होती है जब शासन-प्रशासन से आदेश आता है वरना अधिकारी ऑफिस से बाहर निकलने तक की जहमत नहीं उठाते हैं।
इसलिए नहीं होती कार्रवाई
डग्गामार वाहनों के संचालन से सरकार को हर दिन करोड़ों के राजस्व का नुकसान तो हो रहा है। इसके अलावा लोड फैक्टर भी प्रभावित होता है। जिसकी वजह से बसों को कम सवारी के साथ संचालित किया जा रहा है। इसको लेकर कई बार परिवहन के कर्मचारियों द्वारा प्रदर्शन भी हो चुके हैं, क्योंकि कम लोड होने पर उनपर सख्ती की जाती है। हालांकि, कुछ दिनों के लिए कार्रवाई तो की जाती है, लेकिन बाद में फिर डग्गामारी शुरू हो जाती है। इसकी बड़ी वजह भ्रष्टाचार है क्योंकि चुनाव से लेकर अन्य सरकारी आयोजनों के लिए गाड़ियों की व्यवस्था करनी होती है। ऐसे में प्रवर्तन विभाग कार्रवाई करता है तो वाहन स्वामी गाड़ी देने से मना कर देता है, जिससे समस्या बढ़ जाती है। यही वजह है कि अधिकारी डग्गामार वाहनों पर कार्रवाई से बचते हैं और डग्गामार वाहन के ड्राइवर बेखौफ सवारी भरकर गाड़ी चलाते हैं।
पहले से बता रहे कहां होगी चेकिंग
हाल ही में सीएम ने भी बिना परमिट और बिना फिटनेस दौड़ रही गाड़ियों पर कार्रवाई का आदेश दिया है। पर आलम यह है कि अधिकारी पहले से ही बता रहे हैं कि कौन सा अधिकारी किस रूट पर चेकिंग करने वाला है, वह भी दिन, समय और जगह के नाम के साथ। ऐसे में, डग्गामार और अनाधिकृत संचालन करने वाले सतर्क हो जाते हैं और दूसरे रूट पर चलने लगते हैं। इस पर अधिकारी बचाव करते हुए कहते हैं कि डग्गामार व अनाधिकृत संचालन वालों को पता रहेगा तो वे निकलेंगे ही नहीं, जबकि हम भी चाहते हैं कि इनका संचालन बंद हो।
लगातार कर रहे कार्रवाई
आरटीओ-प्रवर्तन संदीप पंकज ने बताया कि डग्गामार वाहन और अनाधिकृत तौर से चल रहे वाहनों के खिलाफ लगातार कार्रवाई करने का काम किया जा रहा है। खासतौर पर छोटी निजी गाड़ियों के खिलाफ, जो बतौर प्राइवेट वाहन रजिस्टर्ड हैं, लेकिन सवारी लाने-ले जाने का काम कर रही हैं। वहीं, जो बसें अनाधिकृत तौर पर संचालन कर रही है उनके खिलाफ भी चालान और गाड़ी सीज का काम किया जा रहा है।
डग्गामार वाहनों और अनाधिकृत तौर पर संचालित हो रही गाड़ियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है। सवारी भर रही निजी गाड़ियों पर विशेष फोकस किया जा रहा है।
-संदीप पंकज, आरटीओ, प्रवर्तन