लखनऊ (ब्यूरो)। वैसे तो डॉक्टर्स अपने अथक प्रयासों से मरीजों को ठीक करने का काम करते ही हैं, पर कई बार वे ट्रीटमेंट करने से इतर भी मरीजों की मानवीय स्तर पर पूरी मदद करने का काम करते हैं। यह डॉक्टर-मरीज के रिश्ते को और मजबूत करने के साथ-साथ विश्वास की डोर को भी मजबूत करता है। कुछ ऐसा ही काम केजीएमयू के क्वीन मेरी की एचओडी प्रो। अंजू अग्रवाल भी कर रही हैं। वह ब्लड डोनर और दवाएं अरेंज करने से लेकर जरूरतमंद मरीजों की फाइनेंशियल हेल्प भी करती हैं। दूसरे डॉक्टर्स भी उनसे मोटिवेशन लेकर ऐसा करने की कोशिश करते हैं।
जब पहली बार किया ब्लड डोनेट
डॉ। अंजू अग्रवाल ने बताया कि मेडिकल की पढ़ाई के दौरान हम लोगों को मरीजों की मदद का पाठ भी पढ़ाया जाता है। साथ ही हम लोग समाज को ब्लड डोनेशन के लिए भी प्रेरित करते हैं। अगर हम खुद ही नहीं करेंगे तो दूसरों को कैसे प्रोत्साहित करेंगे। जब मैं जूनियर थी तब ओटी में डिलीवरी के दौरान प्रसूता को ब्लीडिंग शुरू हो गई, उसे तत्काल ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत थी। इत्तेफाक से मेरा ब्लड ग्रुप मैच हो गया, मैंने तुरंत ब्लड डोनेट किया जिससे उसकी जान बच सकी। इसके बाद मैंने कई बार ब्लड डोनेट किया। अब तक मैं 7-8 बार ब्लड डोनेट कर चुकी हूं। मुझे खुशी होती है कि मैं किसी के काम आ रही हूं। मुझे देखकर कई साथियों ने भी ब्लड डोनेट करना शुरू किया है।
मरीजों की करती हैं मदद
क्वीन मेरी में गरीब और जरूरतमंद मरीज काफी आते हैं। डॉ। अंजू बताती हैं कि कई बार मरीजों के पास दवा और जांच तक के लिए पैसे नहीं होते हैं। ऐसे में कई बार अपने स्तर से ही उनकी मदद करती हूं। जो दवा के सैंपल मिलते हैं, उनको जरूरतमंद मरीजों में बांट देती हूं, अगर दवा नहीं मिलती है तो अपने खर्च से उनको मंगवाकर दे देते हैं ताकि उनका इलाज न प्रभावित हो। आखिर मरीजों की मदद अगर हम डॉक्टर्स नहीं करेंगे तो और कौन करेगा। हमारा काम इलाज करने के साथ मरीज का ध्यान रखना भी होता है।
कई स्तर पर कर रही हैं मदद
डॉ। अंजू बताती हैं कि इसके अलावा कई एनजीओ से टाइअप करते हुए गरीब मरीजों को हर संभव मदद कर रहे हैं। कई बार मरीजों को अस्पताल से एंबुलेंस की व्यवस्था करके उनको घर तक भेजते हैं, जबकि कई बार अपने खर्च पर भी उनको भेजने का काम किया है। थोड़ा बहुत अपने स्तर से एफर्ट करती रहती हूं ताकि मरीजों की मदद हो सके। मेरे इस काम में कई अन्य लोग भी मदद करने लगे हैं। मेरा मानना है कि मरीज जब आपको आशीर्वाद देता है तो आपकी खुशी का ठिकाना नहीं होता है, क्योंकि मरीज के चेहरे पर मुस्कान आना ही आपकी असली कमाई होती है।