लखनऊ (ब्यूरो)। जो हमेशा दूसरों की मदद के लिए खड़ा होता था, उसकी जिंदगी बचाने का सौदा गोताखोर महज 10 हजार रुपये के लिए करते रहे। जब तक उन्हें पैसा नहीं मिला तब तक वह गंगा की लहरों में उसे डूबता देखते रहे। उन्नाव में गंगा नहाने गए हेल्थ डिपार्टमेंट के डिप्टी डायरेक्टर आदित्य वर्धन सिंह 72 घंटे बाद भी लापता हैं और गंगा नदी में उनकी तलाश में एनडीआरएफ समेत कई टीमें लगी हैं। गोताखोरों द्वारा उनकी जान बचाने के बदले पैसों का सौदा करने की बात सुनकर उनके दोस्त, पड़ोसी और आसपास के दुकानदारों भी गुस्से में हैं। उनका कहना है कि अगर आदित्य को गोताखोर समय से बचा लेते तो उन्हें 10 नहीं 50 हजार का ईनाम मिलता।

गांव जाते समय आखिरी बार हुई मुलाकात

इंदिरानगर सेक्टर 16 स्थित मकान नंबर 1435 आज अपने मालिक के आने का इंतजार कर रहा है। सुने पड़े घर के बाहर उनकी आड़ी तिरछी खड़ी गाड़ी देख कर सामने कपड़ों में प्रेस करने वाले सुभाष का कहना है कि आदित्य भैया आएंगे तो गाड़ी सही से खड़ा कर देंगे। जब उसे उनके गंगा में डूबने का पता चला तो उसने सिर पकड़ लिया। सुभाष ने बताया कि उसकी बेटी की फीस नहीं जमा हो पा रही थी, जैसे ही आदित्य भैया ने परेशान देखा तो उन्होंने तत्काल उनकी बेटी की फीस जमा करवा दी। ऐसे आदमी को अगर गोताखोर बचा लेते तो 10 क्या भैया 50 हजार इनाम में देते।

जानवरों की मदद में भी आगे रहते थे

डिप्टी डायरेक्टर आदित्य के पड़ोसी पंकज वैश्य ने बताया कि 20 सालों से उनके घर के बगल में रह रहा हूं। आदित्य को जब भी देखा किसी की मदद करते हुए ही देखा। इंसान हो या जानवर, हर समय मदद के लिए वह आगे रहते थे। सिर्फ पैसों के लालच में एक नौजवान डूब गया, यह बहुत दुखद है।

लालच में इंसानियत को भी भूल गए

आदित्य के घर पर फिलहाल सन्नाटा पसरा हुआ है। परिचित, दोस्त और रिश्तेदार सभी बिल्हौर, उन्नाव में उनके शव को तलाश रहे हैं, लेकिन यहां विजय कुमार सिंह, जो आदित्य के पड़ोसी हैं, वह काफी परेशान है। विजय बताते हैं कि शनिवार को आदित्य पड़ोस में रहने वाले बिंटू तिवारी के साथ कहीं जा रहे थे। उनकी मुलाकात हुई तो आदित्य ने बताया कि गांव घूमने जा रहे हैं, लेकिन शाम को बिंटू का कॉल आया तो उसने बताया कि नानामऊ घाट के लोग बहुत लालची हैं और इस लालच ने आदित्य को हम लोगों से दूर कर दिया। विजय के अनुसार, आदित्य के दोस्त गोताखोरों के सामने गिड़-गिड़ाता रहे थे, लेकिन उन्होंने पैसा मिलने तक आदित्य को डूबने से बचाने से इंकार कर दिया।

काफी मिलनसार थे, हर किसी से हंस कर मिलते थे

पड़ोस में रहने वाले विजय प्रताप ने बताया कि आदित्य के पिता रमेश चंद्र सिंचाई विभाग में इंजीनियर थे। आदित्य के अलावा उनकी एक बहन है, जो आस्टे्रलिया में रहती है और इन दिनों उनके माता-पिता भी ऑस्टे्रलिया गए हुए हैं। उनकी वाइफ महाराष्ट्र में जज हैं और वह भी वहीं रहती हैं। आदित्य बनारस में तैनात थे और अक्सर इंदिरा नगर आकर रहते थे। वह बहुत मिलनसार थे और सबसे हंस कर मिलते थे। उनके हंसता हुआ चेहरा उन्हेें जानने वालों की आंखों से ओझल नहीं हो रहा है। सब यही सोचकर परेशान हैं कि महज 10 हजार रुपये के लालच में उन्होंने एक ऐसा इंसान खो दिया जिसकी सोसाइटी को बहुत जरूरत थी।

क्या हुआ था 72 घंटे पहले

शनिवार को उन्नाव में बिल्हौर के नानामऊ घाट पर वाराणसी में तैनात हेल्थ डिपार्टमेंट के डिप्टी डायरेक्टर आदित्य वर्धन सिंह अपने दोस्तों के साथ गंगा नहाने गए थे। इस दौरान आदित्य चाहते थे कि उनका सूर्य भगवान को अर्ध देते हुए फोटो खिंचा जाए। इसी बीच आदित्य खतरे के निशान को पार कर गंगा के गहरे हिस्से की ओर चले गए। तैरना आने के बाद भी गंगा के तेज बहाव के चलते वह खुद को संभाल नहीं सके और बहने लगे। उनके दोस्तों के मुताबिक, उन लोगों ने वहां खड़े निजी गोताखोरों से मदद मांगी, लेकिन उनसे कहा गया कि पहले 10 हजार रुपये दीजिए। जब उन्होंने कहा कि उनके पास कैश नहीं है तो उनसे ऑनलाइन पेमेंट की मांग की गई। जब तक पैसे ट्रांसफर होते तब तक आदित्य बहकर दूर चले गए थे। 72 घंटे बाद भी एनडीआरएफ व अन्य टीमें गंगा नदी में उनकी तलाश कर रही है।