लखनऊ (ब्यूरो)। बीते कुछ महीनों में देशभर में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां लोगों को जिम करते, डांस करते या बैठे-बैठे ही हार्ट अटैक हो गया। ऐसी सिचुएशन में सबसे पहले लोगों के जहन में पीड़ित को कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) देने का ख्याल आता है। हालांकि, ज्यादातर लोगों को सीपीआर देने का सही तरीका नहीं पता होता। इस समस्या का हल अब एक डिवाइस बन सकती है। दरअसल, केजीएमयू और आईआईटी-कानपुर के सहयोग से एक पॉकेट फ्रेंडली सीपीआर डिवाइस तैयार की गई है। इसकी खासियत यह है कि जरूरत पड़ने पर बस इसे मरीज के सीने पर रखकर ऑन करना होगा और डिवाइस सीपीआर के लिए आपको सही गाइडेंस देगी, जिससे मरीज की जान बचाई जा सकेगी।
सीपीआर देने में करेगा मदद
केजीएमयू लारी कार्डियोलॉजी विभाग के डॉ। ऋषि सेठी ने बताया कि एसआईबी-शाइन प्रोजेक्ट के तहत आडियो फीडबैक के साथ सीपीआर डिवाइस तैयार की गई है। इसे मेरे अलावा आदित्य राज भाटिया, शाइन फेलो, उर्वशी, क्लीनिकल इंस्ट्रक्टर, केजीएमयू, डॉ। जे रामकुमार, आईआईटी-कानपुर ने मिलकर तैयार किया है। इस डिवाइस को सीपीआर देने के वक्त मरीज के सीने पर रखकर ऑन करना होगा। जिसके बाद यह डिवाइस सही प्रेशर, कितनी बार सीना दबाना और कितना दबाना आदि की जानकारी देगी ताकि समय रहते ब्लड फ्लो और ऑक्सीजिनेशन टू ब्रेन की प्रक्रिया को तेज किया जा सके। यह इमरजेंसी टीम के पहुंचने तक मरीज को बचाने का काम करेगा।
कहीं भी रखा जा सकेगा इसे
डॉ। ऋषि सेठी ने बताया कि यह डिवाइस तैयार हो चुकी है। इसका पेटेंट भी हो चुका है, जिसे गवर्नमेंट को भेजा गया है। इसमें कुछ अपग्रेड्स किए जा रहे हैं ताकि इसे और एडवांस किया जा सके। इस डिवाइस को पॉकेट या कहीं भी रखकर साथ ले जाया जा सकता है। यह खासतौर पर मॉल्स, मार्केट्स, स्कूल्स, हॉस्पिटल्स, ऑफिसेस आदि में बेहद कारगर साबित हो सकती है। हालांकि, इसकी कीमत क्या होगी, यह अभी तय नहीं है। डिवाइस अपग्रेड होने के बाद टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का काम किया जाएगा। डॉ। ऋषि सेठी ने बताया कि सीपीआर देने के लिए छाती के बीच में एक मिनट में 100-120 बार जोर-जोर से और तेजी से धक्का देना चाहिए। ऐसा तबतक करना चाहिए, जब तक इमरजेंसी मेडिकल टीम न पहुंच जाये या आदमी को होश न आ जाये। ऐसा करने से मरीज की जान बचाई जा सकती है।
सीपीआर डिवाइस को मरीज की छाती पर रखने के बाद सही सीपीआर देने की गाइडेंस मिलेगी। इस डिवाइस को आसानी से कहीं भी अपने साथ कैरी किया जा सकता है।
-डॉ। ऋषि सेठी, लारी कार्डियोलॉजी विभाग, केजीएमयू