लखनऊ (ब्यूरो)। वहीं, इस बार कई मरीजों डेंगू शॉक सिंड्रोम भी देखने को मिल रहा है। केजीएमयू व लोहिया संस्थान में रोज ऐसे 3 से 5 मरीज भर्ती हो रहे हंै। डॉक्टर्स के मुताबिक डेंगू की शुुरुआत से ही फ्लूएड इनटेक मैनेजमेंट सही होना चाहिए, ताकि समय रहते इसके गंभीर होने से बचा जा सके।
लगातार आ रहे मरीज
केजीएमयू के मेडिसिन विभाग के डॉ। डी हिमांशु ने बताया कि डेंगू की गंभीर अवस्था को शॉक सिंड्रोम कहते हैं। जिसमें मरीज को तेज कपकपी, पसीने से तर होना, लाल चकत्ते अधिक गहरे होना जैसी समस्या होती है। समस्या गंभीर होने पर इंटरनल ब्लीडिंग और मल्टीपल आर्गन फेल्योर तक हो सकता है। डेंगू शॉक सिंड्रोम के 2 से 3 मरीज रोज भर्ती हो रहे हंै। इस सीजन में इस तरह के केस देखने को मिलते हंै। अगर डेंगू की शुरुआत से ही फ्लूइड मैनेजमेंट सही रहता है तो ऐसा होने की आशंका कम रहती है।
तो हो जाएं सावधान
वहीं, लोहिया संस्थान के एमएस डॉ। विक्रम सिंह ने बताया कि अगर किसी को डेंगू दूसरी या तीसरी बार हो जाए जो उसको डेंगू शॉक सिंड्रोम होने की आशंका अधिक रहती है, क्योंकि जब यह फिर से होता है तो इम्युनिटी ज्यादा तेज रिस्पांस करती है। इससे डेंगू गंभीर हो जाता है। इस समय रोज 1 से 2 मरीज भर्ती हो रहे हैं।
200 फीसद बढ़ी प्लेटलेट्स की डिमांड
केजीएमयू के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की हेड प्रो। तुलिका चंद्रा ने बताया कि आम दिनों में 80 से 100 के बीच ही प्लेटलेट्स की डिमांड रहती है। अब यह डिमांड 200 से 250 के बीच हो गई है। इसमें डेंगू का मेजर पोर्शन है। जहां सिंगल डोनर प्लेटलेट्स की 5 से 6 यूनिट सप्लाई हो रही है। जिसे डोनर से लेने के बाद ही दिया जाता है।
बेवजह न चढ़वाएं प्लेटलेट्स
प्रो। तुलिका चंद्रा ने बताया कि ध्यान रखना चाहिए कि प्लेटलट्स कम होते ही इसे नहीं चढ़ाना चाहिए। एक हेल्दी इंसान में डेढ़ से साढ़े चार लाख केबीच प्लेटलेट्स होती हैं। अगर इंसान हेल्दी है तो 10 हजार काउंट तक वेट कर सकते हैं। इसके नीचे होते ही तुरंत प्लेटलेट चढ़ाना होता है। लोहिया संस्थान के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के डॉ। सुभ्रत चंद्रा ने बताया कि इस समय रोज 40 से 50 आरडीपी व 1 से 2 एसडीपी हो रही है। सभी को प्लेटलेट्स उपलब्ध कराई जा रही है।
इन लक्षणों का रखें ध्यान
- लो बीपी होना
- अचानक तेज बुखार आना
- मरीज के जोड़ों में दर्द
- गहरे लाल चकत्ते होना
- हाथ-पैर ठंडे होना
- मसूड़ों और नाक से खून आना
- सांस लेने में परेशानी होना
- मानसिक स्थिति में बदलाव आना
ऐसे करें बचाव
- घर के आसपास साफ पानी न जमा होने दें
- शरीर को पूरी तरह से कपड़ों से कवर रखें
- वॉटर इनटेक मेनटेन रखें
- यूरिन आउटपुट से 800-1200 एमएल ज्यादा फ्लुएड इनटेक हो
- खुद से कोई ट्रीटमेंट न करें
- डॉक्टर की सलाह पर ही दवा लें
- समस्या गंभीर हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं
डेंगू शॉक सिंड्रोम के मरीज लगातार आ रहे हैं। इस सीजन में ऐसे मरीज देखने को मिलते हैं। लोगों को सावधानी रखनी चाहिए।
- डॉ डी हिमांशु, केजीएमयू
जिनको डेंगू दोबारा या तीसरी बार होता है, उनमें शॉक सिंड्रोम का खतरा ज्यादा रहता है। लोगों को खुद से कोई इलाज नहीं करना चाहिए।
- डॉ विक्रम सिंह, लोहिया संस्थान
प्लेटलेट्स की डिमांड बढ़ गई है। जिसमें डेंगू मरीजों का हिस्सा अधिक है। बिना जरूरत के प्लेटलेट्स नहीं चढ़वानी चाहिए।
- प्रो तुलिका चंद्रा, केजीएमयू