लखनऊ (ब्यूरो)। साइबर क्राइम का ग्राफ दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। साइबर क्रिमिनल्स के टारगेट पर हर तीसरा शख्स है, जो सोशल मीडिया और ऑनलाइन बैैंकिंग में ज्यादा एक्टिव है। कई बार उनके जाल में फंस कर पढ़े-लिखे लोग भी ठगी का शिकार बन रहे हैं। साइबर क्रिमिनल्स पर शिकंजा कसने के लिए पुलिस ने भी अपनी वर्किंग को स्मार्ट किया है। पुलिस अब साइबर क्रिमिनल्स पर 'डबल अटैक' कर रही है। इस कड़ी में लखनऊ साइबर क्राइम सेल ने न केवल 6 महीनों में फ्रॉडस्टर्स के 11 हजार सिम कार्ड ब्लॉक किए बल्कि फ्रॉड की रकम को भी बड़े पैमाने पर फ्रीज किया है।
6 महीनों में 11 हजार सिम ब्लॉक
साइबर क्राइम सेल ने साइबर क्रिमिनल्स पर शिकंजा कसने के लिए उनके सबसे मजबूत हथियार यानि इंडियन सिम कार्ड पर शिकंजा कसा है। पहले साइबर फ्रॉड्स एक फेक सिम कार्ड के जरिए 10 से 12 लोगों के साथ फ्रॉड करते थे। कंप्लेन के बाद भी उनके सिम कार्ड को ब्लॉक या लॉक करने की व्यवस्था बहुत कठिन थी। इसका फायदा साइबर फ्रॉड उठाते थे। सबसे पहले पुलिस ने उनके फेक सिम कार्ड के नेक्सेस को तोड़ा और फिर सिम कार्ड खरीदने के बनाए गए कड़े नियम के चलते फ्रॉड करने वालों के लिए मुश्किल बढ़ गई। यहीं नहीं, पिछले 6 महीनों में जिस भी तरह की साइबर कंप्लेन आई सबसे पहले पुलिस ने उन नंबरों को ब्लॉक (बंद) कराने का काम किया। जिससे उन नंबरों का यूज दूसरों के साथ फ्रॉड करने में न किया जा सके। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 6 महीने में पुलिस ने साइबर क्रिमिनल्स के 11 हजार नंबर ब्लॉक करा दिए।
कैसे आपकी आईडी का सिम बेचा जाता है
जब आप सिम कार्ड लेने मोबाइल शॉप पर जाते है तो कई बार शॉपकीपर आपकी आईडी की फोटो खींच लेते हैं और आप से फिंगरप्रिंट एक ही जगह दो बार यह कहकर लेते हैं कि ठीक से नहीं आया। आपकी एक सिम पर दो बार आईडी ली जाती है। एक सिम आपकी आईडी से दे दिया जाता है जबकि आपकी ही आईडी से दूसरे सिम को एक्टिवेट कर साइबर क्रिमिनल्स को बेच दिया जाता है।
विदेशों में भेेजे जाते हैं फेक सिम कार्ड
साइबर क्रिमिनल्स विदेशों में बैठकर इंडियन सिम कार्ड के जरिए भी फ्रॉड कर रहे हैं। इसके लिए वे अपने एजेंट्स की मदद से फेक सिम कार्ड खरीदते हैं और बड़ी संख्या में उन्हें विदेशों में सप्लाई किया जाता है। एसटीएफ ने हाल ही में राहुल सिन्हा नाम के एक एजेंट को गिरफ्तार किया था। जिससे पूछताछ में खुलासा हुआ था कि हॉन्गकॉन्ग, कम्बोडिया, नेपाल, थाईलैैंड समेत कई देशों में बैठे साइबर फ्रॉड्स इंडियन सिम कार्ड का यूज करके भारतीय लोगों को साथ साइबर फ्रॉड करते हैं। इन्हीं फेक सिम कार्ड के जरिए लोन एप, गेमिंग के जरिए भी साइबर फ्रॉड किया जाता है।
इस तरह रहें सतर्क
- कहीं भी अपनी आईडी देते समय बेहद सतर्क रहें।
- आईडी जिस वजह से दे रहे हैं उसका कारण व साइन करके दें।
- आईडी के परपज का कारण उसकी कापी पर जरूर लिख दे।
- भरोसेमंद व लीगल एजेंट से ही आईडी देकर सीएम कार्ड ले।
- आईडी की फोटो स्टेट कराते समय सावधानी रखें, फोटोकापी गंदी हो तो उसे रद्दी में न डालें।
- शॉपकीपर के व्हाट्सअप पर आईडी सेंड कर रहे हैं तो उसकी कापी लेने के बाद आईडी को डिलिट कराना न भूलें।
- ऑनलाइन चेक कर सकते हैं कि आप की आईडी पर वर्तमान में कितने सिम चल रहे हैं।
- जिस नंबर का यूज न कर रहे हों या फिर खो गया हो, उसकी जानकारी पुलिस को जरूर दें।
पीएम कुसुम स्कीम के नाम पर करोड़ों का फ्रॉड
सरकार की चलाई जा रही स्कीम के नाम की फेक वेबसाइट बनाकर भी साइबर क्रिमिनल्स लोगों को चूना लगा रहे हैं। ऐसा ही एक मामला हाल ही में सरोजनीनगर पुलिस ने दर्ज किया था। जिसमें वादी ने एफआईआर दर्ज कराई थी कि पीएम कुसुम योजना के नाम पर उसके साथ सोलर पंप लगाने के नाम पर फ्रॉड किया गया। इस मामले की जांच कर रही लखनऊ साइबर क्राइम सेल ने भिंड में रहने वाले सुमित चौहान उर्फ राहुल को गिरफ्तार किया है। सुमित ने औरैया निवासी अपने साथी सचिन सिंह के साथ मिलकर यूपी समेत कई राज्यों में लोगों के साथ फ्रॉड किया था। वे सरकारी वेबसाइट की तरह फेक वेबसाइट बनाकर लोगों को सोलर पंप लगाने के लिए 90 प्रतिशत सब्सिडी देने का ऑफर देते थे। वैरिफिकेशन ऑफिसर बनकर फर्जी एप्रूबल लेटर, रजिस्ट्रेशन लेटर और टैक्स इनवॉइस के जरिए झांसे में लेते थे और आवेदन करने वालों से ऑनलाइन सोलर पंप की 10 प्रतिशत रकम ले लेते थे। साइबर क्राइम सेल की मदद से सरोजनीनगर पुलिस ने सुमित उर्फ राहुल को गिरफ्तार कर लिया जबकि सचिन अभी फरार है, जिसकी तलाश की जा रही है।