लखनऊ (ब्यूरो)। अगर आप क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) से ग्रसित है तो अपने हार्ट का विशेष ध्यान रखें। सीओपीडी मरीजों में हार्ट अटैक का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है। अकसर डॉक्टर भी लंग अटैक और हार्ट अटैक को लेकर कन्फ्यूज हो जाते हैं, जिससे मरीज की जान तक पर बन आती है। केजीएमयू में इस तरह के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, सीओपीडी मरीजों को समय-समय पर कार्डियोलॉजिस्ट से मिलकर अपना चेकअप जरूर करवाना चाहिए।

हार्ट, लिवर व किडनी पर पड़ता है असर

केजीएमयू के रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग के हेड प्रो। सूर्यकांत बताते हैं कि सीओपीडी आमतौर पर सिगरेट पीने के अलावा, वायु प्रदूषण और परोक्ष धूम्रपान की वजह से भी हो सकता है। अस्थमा फेफड़े और सीओपीडी पूरे शरीर की बीमारी है। इसकी वजह से फेफड़ों के अलावा हार्ट, लिवर और किडनी तक पर असर पड़ता है, जिससे ये आर्गन भी खराब हो सकते हैं। सीओपीडी मरीजों में डायबिटीज से भी हार्ट अटैक का खतरा रहता है। ऐसे में, कई बार सीओपीडी की वजह से लंग या हार्ट अटैक है, समझ नहीं आता। वार्ड में रोजाना 1-2 मरीज इसके भर्ती रहते हैं। वार्ड में आने वाले मरीजों की स्टडी में देखने को मिला कि सीओपीडी मरीजों में हार्ट अटैक का खतरा रहता है।

सीआरपी टेस्ट करवाना चाहिए

डॉ। सूर्यकांत ने बताया कि सीओपीडी क्रोनिक इन्फ्लेेमेट्री बीमारी है, जो पूरे शरीर में फैलती है। इन मरीजों को सी रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी) टेस्ट जरूर कराना चाहिए। इन मरीजों में सी रिएक्टिव प्रोटीन बढ़ता है, जो हार्ट अटैक के कारणों को बढ़ाता है। दूसरी ओर, इस मर्ज में सांस फूलती है और बढ़ती जाती है। चूंकि इसकी वजह से मरीज एक्सरसाइज नहीं कर पाता, जिससे लाइफ सिडेंट्री हो जाती है। ऐसे में ब्लड क्लाटिंग का खतरा भी बढ़ जाता है, जो हार्ट अटैक के खतरे को बढ़ाता है। इसके अलावा, सीओपीडी के मरीजों में डिपे्रशन, स्ट्रेस व नींद की कमी भी देखने को मिलती है। इससे भी हार्ट अटैक का खतरा होता है। इसके अलावा ओबेसिटी और बीपी भी रिस्क फैक्टर को बढ़ाता है।

कार्डियोलॉजिस्ट को दिखाना चाहिए

सीओपीडी मरीजों को अपने दिल का विशेष ध्यान रखना चाहिए। साथ ही जो डॉक्टर्स सीओपीडी मरीजों को देखते हैं, उनको ईसीजी जरूर करवाना चाहिए ताकि हार्ट की स्थिति के बारे में पता चल सके। साथ ही वार्ड में ईसीजी मशीन रखें। क्योंकि अटैक की स्थिति में पता चल सके कि हार्ट अटैक आया है और उसी अनुसार तुरंत इलाज शुरू कर सकें। कई बार कार्डियोलॉजिस्ट के आने तक मरीज की मौत तक हो जाती है। मरीजों को बचाव के लिए समय-समय पर कार्डियोलॉजिस्ट को दिखाकर कार्डिएक स्क्रीनिंग करानी चाहिए।

सीओपीडी मरीजों में हार्ट अटैक का खतरा कई गुणा अधिक रहता है। इन मरीजों को कार्डिएक स्क्रीनिंग जरूर करवानी चाहिए ताकि समय रहते बचाव किया जा सके।

-प्रो। सूर्यकांत, केजीएमयू