लखनऊ (ब्यूरो)। अगर आपका बच्चा सालभर में 4-5 बार से अधिक बीमार पड़ता है, उसे बार-बार बुखार, जुकाम-खांसी व वेट कम होने आदि की समस्या रहती है, तो सतर्क हो जाएं और तुरंत डॉक्टर से मिलें क्योंकि समय पर ट्रीटमेंट न मिलने से बच्चे का विकास रुक जाता है। अडल्टहुड में उसे कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। यह समस्या खासतौर पर शहरी बच्चों में तेजी से बढ़ रही है। यह चिंता इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीडियाट्रिशियन की यूपी ब्रांच द्वारा आईजीपी, गोमतीनगर में हुई 45वें नेशनल कॉन्फ्रेंस के दौरान देशभर आये पीडियाट्रिशियंस ने जताई।

खानपान का रखें खास ध्यान

बचपन में छोटी-मोटी बीमारियां होती रहनी चाहिए। इससे बच्चों में रोगों से लड़ने इम्युनिटी बढ़ती है। हालांकि, अगर बच्चे को सालभर में 4-5 बार से ज्यादा जुकाम हो रहा है या फिर 2-3 बार से ज्यादा पेट खराब हो रहा है तो हमें सोचना होगा। इसकी वजह खान-पान में मिलावट, प्रोसेस्ड फूड का अधिक सेवन, नेचुरल खाना न खाना या फिर पॉल्युशल आदि हो सकता है। अगर बच्चा बार-बार बीमार पड़ रहा तो हम उसका वेट-हाइट देखते हैं कि वह बढ़ रहा है या नहीं। अगर नहीं बढ़ रहा है तो यह खतरे की घंटी हो सकता है और फिर प्रॉपर इंवेस्टिगेशन करना पड़ता है।

-डॉ। कर्नल आशीष सिमल्टी, देहरादून

बच्चों में बढ़ रही एलर्जी

बच्चों में बार-बार सर्दीजुकाम व खांसी की समस्या एलर्जी की ओर इशारा करती है। यह समस्या आजकल हर दूसरे बच्चे में देखने को मिल रही है। जिसकी वजह से बच्चे में मौसम में बदलाव होने पर या धुंए व मिट्टी के संपर्क में आने पर नाक बंद होना, छींक आना, खांसी आना, शरीर पर दाने आना, नाक बहना या मुंह खोलकर सांस लेने जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। जिसे हम सांस या नाक की एलर्जी कहते है। अगर समय पर ट्रीट न किया जाये तो इंफेक्शन होने से बार-बार एंटीबायोटिक देने के साथ-साथ कई बार अस्पताल तक में भर्ती करना पड़ता है। साथ ही यह समस्या आगे चलकर अस्थमा में बदल सकती है और कई बार जानलेवा तक साबित होती है। हालांकि, आजकल टीके व दवाएं आ गई हैं, जिससे इसे काफी हद तक काबू किया जा सकता है।

- डॉ। नीरज गुप्ता, दिल्ली

डायबिटीज व कोलेस्ट्रॉल की समस्या

शहरी बच्चों में मोटापा ज्यादा देखने को मिल रहा है। इसके अलावा डायबिटीज व कोलेस्ट्राल आदि की भी समस्या दिख रही है। आजकल बच्चे जल्दी-जल्दी बीमार हो रहे हैं क्योंकि एनवायरमेंट के साथ खानपान भी खराब हो गया है। बच्चा चिप्स, पास्ता, बर्गर, पीज्जा, साफ्ट ड़्रिंक्स वगैरह से पेट भर रहा है। पैरेंट्स को चाहिए कि उसे घर का खाना दें, पानी साफ व स्वच्छ हो और उसे सभी तरह का पोषण मिले। बच्चों की जिद के आगे झुककर उन्हें कुछ भी खाने को न दें वरना उम्र बढ़ने पर उसे कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं।

-डॉ। आरएस सेठी, झांसी

बचपन में इन लक्षण पर रखें नजर

- बार-बार नाक बंद होना

- बार-बार नाक बहना

- बार-बार जुकाम व खांसी होना

- शरीर पर दाने होना

- मुंह खोलकर सांस लेना

- लगातार छींके आना

अडल्टहुड में यह हो सकती है समस्या

- हाईट न बढ़ना

- लर्निंग में समस्या

- कंसंटे्रशन में कमी

- इम्युनिटी कमजोर होना

- पूर्ण विकास न होना

पैरेंट्स ऐसे करें बचाव

- घर का पानी साफ

- घर का खाना

- इंडोर पॉल्युशन से बचाएं

- आउटडोर पाल्युशन से बचाएं

- प्रोसेस्ड फूड से बचें

- फिजिकल एक्टिविटी जरूर करवाएं