लखनऊ (ब्यूरो)। बुधवार को देवशयनी एकादशी मनाई गई, जिसमें सभी ने माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा की। देवशयनी एकादशी की रात में लक्ष्मी-नारायण की पूजा की जाती है। साथ ही रात में भगवान विष्णु को सुलाया जाता है। यह हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इसके बाद 4 महीने तक भगवान विष्णु निद्रा में चले जाते हैैं और इस बीच कोई शुभ काम नहीं होता है। इस समय को चातुर्मास कहते हैैं।
विष्णु पूजन के साथ मनाया जाता है शयन उत्सव
देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इसके बाद रात के समय शयन उत्सव मनाया जाता है, जिसमें भगवान विष्णु की मंत्र के साथ पूजा कर उन्हें सुलाया जाता है। इसमें भगवान विष्णु की फल और फूल चढ़ाकर पूजा की जाती है। साथ ही मंत्र भी पढ़े जाते हैैं। इस पूजा को करने से लोगों को काफी लाभ मिलता है।
भगवान शिव संभालते हैैं कार्यभार
एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु का राक्षस शंखचूर के साथ युद्ध हुआ था, जिसके बाद वह थक गए थे और भगवान शिव को कार्यभार सौंप कर विश्राम करने चले गए थे। मानते हैैं कि इन चार महीने में भगवान शिव सारा कार्यभार देखते हैैं।
4 महीने तक नहीं होते शुभ काम
पंडित हेमंत शुक्ल ने बताया कि चार महीने तक कोई शुभ काम नहीं होते हैैं। उनके मुताबिक, विवाह में वर को नारायण का प्रतीक माना जाता है इसलिए 4 महीने तक विवाह नहीं होते हैैं। इसके अलावा मुंडन, जनेऊ और नूतन ग्रह प्रवेश जैसे शुभ काम भी इन 4 महीनों में नहीं किए जाते हैैं।
कर सकते हैैं भगवान की पूजा
इन चार महीनों में शादी, मुंडन, नूतन ग्रह प्रवेश जैसे शुभ काम तो नहीं होते हैैं, लेकिन भगवान की पूजा अर्चना होती है। इस बीच में सावन के सोमवार, जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी जैसे कई त्योहार पड़ते हैैं, जिन्हें लोग धूमधाम से मनाते हैैं। पंडित हेमंत शुक्ल ने बताया कि इन चार महीनों में पूजा पाठ पर कोई रोक नहीं होती है सभी भगवान की पूजा कर सकते हैैं।