लखनऊ (ब्यूरो)। प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों में पुराने 2जी, 3जी तकनीकी के लगाए गए लगभग 12 लाख स्मार्ट मीटर और आरडीएसएस योजना से लगाये जा रहे 27000 करोड़ के स्मार्ट प्रीपेड मीटर मामले में नियामक आयोग ने बड़ा कदम उठाया है। यूपी पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक सहित अध्यक्ष पावर कारपोरेशन को सख्त निर्देश भेजते हुए 15 दिन में पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की गई है।
मैन्युअल काम कर रहे मीटर
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने अपनी याचिका के माध्यम से मुद्दा उठाया की बिजली कंपनियों में जो पुराने 12 लाख स्मार्ट मीटर लगे हैं, वे मैन्युअल काम कर रहे हैं। स्मार्ट मीटर के उपभोक्ताओं का बकाया पर बिजली कनेक्शन कट जाता है और पैसा जमा होने के बाद 8 से 10 घंटे तक विद्युत आपूर्ति चालू नहीं हो पाती है। सभी बिजली कंपनियों में 27 हजार करोड़ के स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा रहे हैं, वे आज तक पावर कारपोरेशन के बिलिंग आरएमएस सर्वर से इंटीग्रेटेड नहीं हो पाए हैं।
15 दिन में मांगी रिपोर्ट
विद्युत नियामक आयोग के सचिव की तरफ से जारी निर्देश में पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक व अध्यक्ष से 15 दिन में पूरी स्टेटस रिपोर्ट मांगी गई है। ये भी निर्देश दिए गए हैं कि विद्युत नियामक आयोग द्वारा बनाए गए कानून में स्मार्ट मीटर के डिसकनेक्टहोने पर बकाया जमा करने पर हर हाल में दो घंटे में विद्युत आपूर्ति सुचारू हो। विद्युत नियामक आयोग ने पुराने स्मार्ट मीटर और आरडीएसएस स्कीम से लगाए जा रहे मीटरों के मामले में ब्यौरा तलब किया है और कहा है कि बिजली कंपनियों को बताना होगा कि कितने मीटर लगाए गए और कितने मीटर रिमोटली रीडिंग दे रहे हैं और बिलिंग कर रहे हैं।