लखनऊ (ब्यूरो)। विदेशों के मुकाबले भारत में ऑर्गन डोनेशन की संख्या बेहद कम है। इसमें भी साउथ इंडिया के मुकाबले नार्थ के लोगों में जागरूकता का अभाव और लोगों में झिझक के चलते बेहद सीमित संख्या में ऑर्गन डोनेशन होता है, जिसके चलते लाखों गंभीर मरीज ऑर्गन ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे हैं। राजधानी में भी लिवर और किडनी ट्रांसप्लांट के हजारों मरीज वर्षों से डोनर मिलने की खुशखबरी का इंतजार कर रहे हैं। डॉक्टर्स के अनुसार, लोग अगर कैडेवर (मृतक) के ऑर्गन डोनेट करें तो इससे काफी हद तक राहत मिल सकती है। लोगों को समझना चाहिए कि आपका यह दान जरूरतमंद को नया जीवन दे सकता है।

संजय गांधी पीजीआई

हजारों मरीज ट्रांसप्लांट के इंतजार में

संजय गांधी पीजीआई में किडनी ट्रांसप्लांट बढ़ी संख्या में हो रहे हैं। यहां औसतन 150 किडनी ट्रांसप्लांट हर साल होते हैं, लेकिन इसके बावजूद करीब 500 से अधिक मरीजों की वेटिंग की चल रही है। कई मरीजों के पास डोनर भी हैं, लेकिन मरीजों का दबाव ज्यादा होने की वजह से उन्हें एक से दो साल तक की वेटिंग मिल रही है। वहीं, लिवर ट्रांसप्लांट बीते दो साल से ठप चल रहा था, जो तमाम प्रयासों के बाद शुरू हो सका। बीते माह एक लिवर ट्रांसप्लांट हुआ था और जल्द ही दूसरा ट्रांसप्लांट करने की तैयारी चल रही है। हर माह यहां करीब 15 मरीज लिवर ट्रांसप्लांट वाले आ रहे हैं।

लोहिया संस्थान

यहां भी लंबी वेटिंग

लोहिया संस्थान की बात करें तो यहां अबतक 200 किडनी ट्रांसप्लांट हो चुके हैं। यहां हर साल करीब 35-40 किडनी ट्रांसप्लांट हो रहे हैं, लेकिन ट्रांसप्लांट के लिए यहां पर दो-तीन माह की वेटिंग चल रही है। इसके अलावा, लिवर ट्रांसप्लांट अबतक शुरू नहीं हो सका है। हालांकि, यहां पर ट्रांसप्लांट सेंटर शुरू करने की कवायद चल रही है। यहां कार्निया ट्रांसप्लांट की सुविधा नहीं है, लेकिन इसे भी जल्द शुरू करने की तैयारी चल रही है।

केजीएमयू

किडनी ट्रांसप्लांट ठप

केजीएमयू में बीते एक साल से किडनी ट्रांसप्लांट ठप है। यह 2022 में शुरू हुआ था, लेकिन एक साल में महज 5 ही किडनी ट्रांसप्लांट हो पाये थे, जबकि 50 से अधिक मरीज किडनी ट्रांसप्लांट के इंतजार में हैं। वहीं, केजीएमयू में लिवर ट्रांसप्लांट भी हो रहा है। यहां अबतक 30 से अधिक लिवर ट्रांसप्लांट हो चुके हैं, जबकि 20 से अधिक मरीजों की वेटिंग चल रही है। संस्थान प्रशासन के मुताबिक, किडनी ट्रांसप्लांट जल्द ही शुरू कर दिया जाएगा।

डायलिसिस का खर्चा बढ़ रहा

किडनी ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे मरीजों को डायलिसिस करवानी पड़ रही है। पीजीआई में नेफ्रोलॉजी विभाग के हेड प्रो। नारायण प्रसाद के मुताबिक, अगर पांच साल तक किडनी का सही ट्रीटमेंट न किया जाए तो इसका 30 पर्सेंट हिस्सा खराब हो जाता है। ऐसे मरीज डायलिसिस पर आ जाते हैं, जिसके बाद ट्रांसप्लांट ही विकल्प बचता है। हालांकि, हर मरीज ट्रांसप्लांट नहीं करवा सकता।

ऑर्गन ट्रांसप्लांट बेहद कम

भारत की बात करें तो यहां ऑर्गन ट्रांसप्लांट के मुकाबले डोनेशन बेहद कम है। भारत में हर साल 1.8 लाख लोगों में किडनी फेलियर की समस्या हो रही है। पर किडनी ट्रांसप्लांट महज 6 हजार ही हो पा रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार, हर साल दो लाख लोग लिवर फेलियर या लिवर कैंसर की वजह से मर रहे हैं। इसमें करीब 10-15 पर्सेंट मरीजों की जान लिवर ट्रांसप्लांट से बचाई जा सकती है। यह संख्या 25-30 हजार हो सकती है। पर करीब 1500 ही लिवर ट्रांसप्लांट हो पा रहे हैं। वहीं, हार्ट फेलियर से हर साल करीब 50 हजार लोग पीड़ित होते हैं, पर महज 10-15 ही हार्ट ट्रांसप्लांट हो पा रहे हैं। इसी तरह कार्निया ट्रांसप्लांट में 1 लाख के सापेक्ष महज 25 हजार ही ट्रांसप्लांट हो पा रहे हैं।

लोग आगे आएं तो मिले राहत

स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट के ज्वाइंट डायरेक्टर डॉ। राजेश हर्षवर्धन के मुताबिक, ऑर्गन डोनेशन को बढ़ाने के लिए लगातार काम किया जा रहा है। लोगों में धीरे-धीरे जागरूकता बढ़ रही है। अगर कैडेवर से ऑर्गन मिले तो अधिक से अधिक गंभीर मरीजों की जान बचाई जा सकती है। लोगों का समझना चाहिए कि उनके अंगदान से कई लोगों को दूसरा जीवन मिलता है।

संस्थान को ट्रांसप्लांट हब बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है। किडनी और लिवर ट्रांसप्लांट चल रहा है। जल्द ही मरीजों को और बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।

-प्रो। आरके धीमन, निदेशक, पीजीआई

अभी केवल किडनी ट्रांसप्लांट ही हो रहा है। संस्थान में डेडिकेटेड ट्रांसप्लांट सेंटर शुरू करने की तैयारी चल रही है। इसके शुरू होने से मरीजों को काफी लाभ मिलेगा।

-डॉ। भुवन चंद्र तिवारी, प्रवक्ता, लोहिया संस्थान

संस्थान में ट्रांसप्लांट किए जा रहे हैं। जल्द ही किडनी ट्रांसप्लांट भी शुरू हो जाएगा। मरीजों के हित में लगातार काम किया जा रहा है।

-डॉ। सुधीर सिंह, प्रवक्ता, केजीएमयू