लखनऊ (ब्यूरो)। एलडीए में गुरुवार को जनता अदालत का आयोजन किया गया, इसमें कुछ अफसरों की अनुपस्थिति के चलते जनता के कार्य में विलंब हुआ तो प्राधिकरण के नव नियुक्त वीसी प्रथमेश कुमार ने सभी अफसरों की हाजिरी ले ली। वीसी ने तत्काल आदेश जारी किये कि अब से जनता अदालत में सभी अनुभाग के अधिकारियों की उपस्थिति अनिवार्य होगी और सभी की हाजिरी दर्ज की जाएगी। इसमें जो गैर हाजिर होगा, उसका एक दिन का वेतन रोक दिया जाएगा। वीसी ने पूर्व में प्राप्त शिकायतों के निस्तारण की रिपोर्ट भी तलब कर ली। इसमें पाया गया कि कुछ शिकायतों में आधी-अधूरी रिपोर्ट लगी थी, जबकि कुछ का निस्तारण गुणवत्तापूर्वक नहीं किया गया था। इस पर वीसी ने अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि अब से प्रत्येक शिकायत का दो सप्ताह के अंदर गुणवत्तापूर्ण निस्तारण करना होगा।

अतिरिक्त ब्याज लगाया जा रहा

जनता अदालत में पहुंचे ऐशबाग के रामनगर निवासी मनीष श्रीवास्तव ने प्रार्थना पत्र दिया कि वर्ष 1980 में प्राधिकरण ने उनकी दादी अशर्फी देवी को ईडब्ल्यूएस भवन संख्या-एस-56 आवंटित करते हुए अनुबंध के आधार पर भौतिक कब्जा दे दिया गया था। मनीष के मुताबिक, दादी के देहांत के बाद उन्होंने भवन का नामांतरण अपने पक्ष में करा लिया। इस बीच उनसे भवन के पंजीकरण की 300 रुपये की मूल रसीद कहीं खो गई। अब रजिस्ट्री के लिए आवेदन करने पर प्राधिकरण द्वारा गणना करके 2 लाख 30 हजार रुपये की धनराशि व अतिरिक्त ब्याज लगाया जा रहा है, जिसे चुका पाने में वह असमर्थ है। इस पर वीसी ने निर्देश दिये कि उक्त प्रकरण का समाधान हाल ही में प्राधिकरण बोर्ड की बैठक में पारित हुए प्रस्ताव के तहत ब्याज हटाकर कराया जाए।

अवैध कब्जा कर लिया

जानकीपुरम के सेक्टर-एफ से आये वीरेंद्र पांडेय व अन्य लोगों ने शिकायत की कि मकान संख्या-446 से लेकर 450 के सामने वाली सड़क पर कुछ लोगों ने दीवार बनाकर व निर्माण सामग्री फैला करके अवैध कब्जा कर लिया है, जिससे स्थानीय लोगों का आवागमन बाधित हो रहा है। इस पर वीसी ने जोन-5 के अधिशासी अभियंता को तीन दिन के अंदर स्थल निरीक्षण करके कार्रवाई करने के निर्देश दिए। जानकीपुरम विस्तार के सेक्टर-8 निवासी अंबरीश कुमार ने भवन के दाखिल खारिज के संबंध में प्रार्थना पत्र दिया, जिस पर वीसी ने एक सप्ताह के अंदर कार्रवाई करने के निर्देश दिए।

कुल 33 प्रार्थना पत्र आए

अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा ने बताया कि जनता अदालत में नामांतरण, फ्री होल्ड, रजिस्ट्री व अवैध निर्माण आदि से संबंधित कुल 33 प्रार्थना पत्र प्राप्त हुए, जिनमें से 10 प्रकरणों का मौके पर ही निस्तारण कर दिया गया। वहीं, शेष प्रकरणों के निस्तारण के संबंध में वीसी द्वारा समय-सीमा निर्धारित की गई।