लखनऊ (ब्यूरो)। ग्रीन कॉरिडोर परियोजना फेज थ्री के अंतर्गत पिपराघाट से शहीद पथ के बीच बंधे के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। एलडीए वीसी प्रथमेश कुमार के नेतृत्व में दिल्ली गई टीम के साथ सेना के वरिष्ठ अधिकारियों की हुई बैठक में प्रोजेक्ट को ग्रीन सिग्नल मिल गया है। इसमें सेना की तरफ से कुछ जरूरी मांगें रखी गई हैं। जिसे वीसी ने प्रस्ताव में सम्मलित करते हुए अधिकारियों को फाइनल ड्राफ्ट तैयार करने को कहा है।

5.8 किमी लंबा होगा बंधा

प्रोजेक्ट इंप्लीमेंटेशन यूनिट के प्रभारी एके सिंह सेंगर ने बताया कि ग्रीन कॉरिडोर परियोजना पार्ट 3 के अंतर्गत पिपराघाट से शहीद पथ के बीच गोमती नदी के दाहिने तट पर फ्लड इम्बैंकमेंट (बंधा) का निर्माण होना है, जिसकी लंबाई 5.8 किलोमीटर है। बंधे का 2.8 किमी हिस्सा छावनी क्षेत्र में आ रहा है, जिसके लिए लगभग 21.81 हेक्टेयर सैन्य भूमि प्राधिकरण को ट्रांसफर होनी है। तैयार कराये गये प्रस्ताव पर एलडीए के साथ स्थानीय स्तर पर रक्षा संपदा, सेना व सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ पूर्व में बैठक हुई थी। सभी की सहमति मिलने के बाद प्रस्ताव सैन्य मंत्रालय को भेजा गया था।

हाईलेवल मीटिंग हुई

प्रोजेक्ट को लेकर दिल्ली के साउथ ब्लॉक स्थित सैन्य मंत्रालय में एक हाईलेवल बैठक में प्राधिकरण वीसी प्रथमेश कुमार व अपर सचिव ज्ञानेन्द्र वर्मा समेत अन्य अधिकारी शामिल हुए। सैन्य मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी (भूमि एवं कार्य) के साथ हुई इस बैठक में सकारात्मक नतीजे सामने आए। इसमें निर्देश दिये गये कि गंगा बाढ़ नियंत्रण परिषद के मानकों के अनुरूप बंधे के एलाइनमेंट को जितना हो सके नदी की ओर शिफ्ट किया जाए। जिस पर वीसी ने संबंधित अधिकारियों को एक बार फिर स्थल निरीक्षण कर नये सिरे से एलाइनमेंट तैयार करने के निर्देश दिए।

रैैंप व अंडरपास का निर्माण

सेना के अधिकारियों व स्टॉफ के आवागमन के लिए बंधे पर निर्धारित स्थानों पर रंैंप व अंडरपास बनाने के निर्देश दिए गए। इसके लिए सेना के अधिकारियों के साथ निरीक्षण कर स्थान चिन्हित कराया जाएगा। वीसी ने बताया कि ग्रीन कॉरिडोर परियोजना के तहत बंधे का निर्माण होने से बारिश के मौसम में सैन्य भूमि पर होने वाले जलभराव से स्थायी रूप से निजात मिल जाएगा। इससे बाढ़ से प्रभावित होने वाली उक्त सैन्य भूमि की उपयोगिता भी बढ़ जाएगी। इसके अलावा छावनी क्षेत्र में रहने वाले सेना के अधिकारियों व आम नागरिकों को एयरपोर्ट आने-जाने के लिए सीधी कनेक्टीविटी मिल जाएगी। इससे छावनी क्षेत्र में रहने वाले लोगों के साथ ही अन्य इलाकों में रहने वाले लोगों को भी फायदा मिलेगा।