लखनऊ (ब्यूरो)। बोर्ड एग्जाम और कॉम्प्टीशन की तैयारियों का बोझ बच्चों पर दिखने लगा है। पढ़ाई का बोझ उनमें स्ट्रेस और एंग्जायटी बढ़ा रहा है, जिसके चलते काउंसलिंग कराने वाले बच्चों की संख्या में इजाफा हो रहा है। हालांकि, एक्सपर्ट की माने तो यह केवल टेंपरेरी समस्या है। थोड़ा सा अपने शेड्यूल में बदलाव कर इससे छुटकारा मिल सकता है। साथ ही पैरेंट्स को बच्चों पर अधिक बोझ डालने से बचना चाहिए।

काउंसलिंग कराने वाले बच्चों की संख्या बढ़ी

सीबीएसई और आईएससी के एग्जाम शुरू हो चुके हैं, जिसके चलते बच्चों पर अच्छे मार्क्स लाने का दबाव रहता है। ये दबाव उनमें स्ट्रेस, एंग्जायटी आदि की समस्या को बढ़ाता है। केजीएमयू में साइकियाट्री विभाग के चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट प्रो। अमित आर्य ने बताया कि इधर बच्चों में मानसिक समस्याएं बढ़ी हैं, क्योंकि अब बोर्ड एग्जाम के साथ-साथ कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स की तैयारी का बोझ बढ़ गया है। पहले 11वीं क्लास तक बच्चों में काई समस्या नहीं होती थी। पर अब कॉम्प्टिीशन की तैयारी 9वीं क्लास से शुरू हो जाती है, जिसके चलते बच्चों पर अतिरिक्त दबाव रहता है और उनको काउंसलिंग करवानी पड़ रही है। पहले जहां ओपीडी में 10 में 4-5 बच्चों में यह समस्या होती है। वहीं, अब यह संख्या बढ़कर 7-8 तक हो गई है।

केवल टेंपरेरी है यह समस्या

डॉ। अमित आर्य के अनुसार, बच्चों में यह समस्या महज टेंपरेरी है। पर इसपर ध्यान न दिया जाये तो यह गंभीर हो सकती है। एग्जाम के दौरान लगातार पढ़ाई से बच्चे अकसर चिढ़चिढ़ेपन का शिकार हो जाते हैं, जिससे वे पढ़ाई पर फोकस नहीं कर पाते, लोगों से नहीं मिलते, गुस्सा करने लगते, निराश रहते, उनमें डर लगना जैसे लक्षण दिखने लगते हैं। ऐसे में बच्चों को अपना टाइमटेबल ऐसा बनाना चाहिए, जिसमें वे खुद के लिए भी समय जरूर निकालें। इस दौरान वे स्पोर्ट्स में हिस्सा लें, म्यूजिक सुनें, फ्रेंड से बातचीत करें, हेल्दी डायट लें और अपनी किसी हॉबी को जरूर फॉलो करें।

बच्चे को दें शांत माहौल

साइकियाट्रिस्ट डॉ। देवाशीष शुक्ला ने बताया कि एग्जाम के दौरान बच्चों में टेंशन और एंग्जायटी होना आम समस्या है। पैरेंट्स को चाहिए कि बच्चा पढ़ाई के साथ-साथ दिन में पूरी नींद भी ले, एक्सरसाइज करे, मेडिटेशन करे और लगातार पढ़ाई के बीच कुछ समय का ब्रेक जरूर ले। पढ़ाई हमेशा शांत माहौल में करें। वहीं, बच्चों में इस दौरान कोई समस्या हो तो काउंसलर से मिलें और अपनी समस्या को उनके सामने रखें। आजकल स्कूलों में भी काउंसलर हैं, जो बच्चों की समस्या को आसानी से हल कर देते हैं। पैरेंट्स बच्चों पर अनावश्यक दबाव न डालें ताकि बच्चा खुले मन से एग्जाम की तैयारी करे।

ऐसे करें बचाव

-पैरेंट्स सपोर्ट दें

-बच्चों पर अनावश्यक दबाव न डालें

-बच्चा 1 घंटा जरूर खेले

-योगा व मेडिटेशन

-फ्रेंड से बातचीत

-हॉबी के लिए समय निकालें

-हेल्दी डायट

-समस्या होने पर एक्सपर्ट से मिलें