लखनऊ (ब्यूरो)। पिछले साल की तुलना में इस बार दीपावली में पटाखे जलाने को लेकर लोगों ने अधिक सतर्कता बरती। इसका अच्छा परिणाम भी देखने को मिला। दीये और पटाखों की चपेट में आने से 160 लोग केजीएमयू, लोहिया, बलरामपुर, सिविल समेत अन्य अस्पतालों में पहुंचे। इनमें से 50 को अधिक चोट आने की वजह से कुछ देर के लिए भर्ती करना पड़ा, जबकि 42 घायलों को प्राथमिक इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। कई लोगों के हाथ, चेहरे व छाती झुलस गए थे। अब भी अलग-अलग अस्पतालों में 10 घायलों को भर्ती किया गया है।
केजीएमयू
केजीएमयू के प्रवक्ता प्रो। सुधीर ङ्क्षसह ने बताया कि दीपावली के दिन किसी भी घटना से निपटने के लिए ट्रामा सेंटर को अलर्ट मोड पर रखा गया था। पटाखों से चोटिल को तत्काल इलाज मुहैया कराने का निर्देश था। दीपावली के दिन यानी गुरुवार को 23 लोग ऐसे पहुंचे जो पटाखों की चपेट में आने से झुलस गए थे। हालांकि, सिर्फ पांच को भर्ती किया गया और 18 घायलों को प्राथमिक इलाज देकर घर भेज दिया गया।
सिविल अस्पताल
वहीं, सिविल अस्पताल में पटाखा जलाते समय झुलसने से 30 घायल पहुंचे। इमरजेंसी में डाक्टरों ने 27 को प्राथमिक इलाज देकर छुट्टी कर दी, जबकि तीन मरीजों को बर्न यूनिट में भर्ती किया गया है। सीएमएस डा। राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि तीनों मरीज खतरे से बाहर हैं। किसी की स्थिति ङ्क्षचताजनक नहीं है। तीनों को एक-दो दिन में अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।
लोकबंधु अस्पताल
लोकबंधु अस्पताल में 29 घायल पहुंचे, जिसमें तीन बच्चे थे। चिकित्सा अधीक्षक डा। अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया कि सभी घायलों को इलाज मुहैया कराया गया। सबकी हालत सामान्य है। इसके अलावा बलरामपुर अस्पताल में दीपावली की रात 25 घायल पहुंचे। इनमें ज्यादातर पटाखा जलाते समय झुलसे थे। अस्पताल प्रशासन के मुताबिक, कोई भी गंभीर नहीं है। सभी घायलों का इलाज विशेषज्ञ डाक्टरों द्वारा किया जा रहा है।
भाऊराव देवरस अस्पताल
महानगर भाऊराव देवरस अस्पताल में 10 घायल इमरजेंसी में पहुंचे। इनमें दो युवकों के हाथ में मामूली चोटें आई थीं। वहीं, लोहिया संस्थान की इमरजेंसी में 43 घायल पहुंचे। ये सभी पटाखे से झुलसे थे। किसी के चेहरे पर चोट थी तो किसी के हाथ या पैर में। एक युवक का गला मामूली रूप से झुलस गया था। प्रवक्ता प्रो। भुवन चंद्र तिवारी ने बताया कि सभी घायलों को प्राथमिक इलाज मुहैया कराने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। किसी को गंभीर चोटें नहीं आई थीं।