लखनऊ (ब्यूरो)। लखनऊ की सड़कों पर ई-रिक्शा चालकों की अराजकता हर दिन देखने को मिल जाती है। ई-रिक्शा का नाम आते ही मन में उसे चलाने वालों की गलत इमेज बनती है। पर एक ऐसा ई-रिक्शा ड्राइवर भी है, जो दिव्यांगों, बुजुर्गों व जरूरतमंदों का सहारा बना हुआ है। वह उन्हें अपने ई-रिक्शा में फ्री राइड देता है। उनका नाम है सुनील शुक्ला, जो मूलरूप से गोंडा के रहने वाले हैं, पर अब लखनऊ में रहते हैं। सुनील का कहना है कि इस सेवा से उन्हें आत्मसंतुष्टि मिलती है, जो उन्हें काफी सुकून पहुंचाती है।
11 माह में 748 लोगों की मदद
सुनील वर्तमान में इंदिरा नगर के मुलायम नगर इलाके में परिवार संग रहते हैं। वह यहां करीब पांच-छह सालों से बैट्री रिक्शा चालकर अपना घर चला रहे हैं। सुनील का कहना है कि करीब 11 माह पहले उन्होंने दिव्यांगों और बेसहारा बुजुर्ग महिला व पुरुषों की मदद करने के लिए फ्री सेवा की पहल शुरू की थी। उन्होंने अपने ई-रिक्शे पर एक पोस्टर लगाया, जिसमें लिखा कि वह दिव्यांगों और बेसहारा बुजुर्ग महिला व पुरुषों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए फ्री सेवा देते हैं। इस पहल के चलते सुनील अब तक 11 माह में करीब 748 लोगों की मदद कर चुके हैं।
एक दिन में 8 से 10 लोगों की सेवा
सुनील के अनुसार, वह अपना रिक्शा तय रूट पर ही चलाते हैं, जहां दिन में कई जरूरतमंदों की मदद करते हैं। लेकिन खास तौर पर वह अपना रिक्शा इलाके में स्थित अस्पतालों के बाहर लेकर खड़े हो जाते हैं, ताकि वह ज्यादा से ज्यादा लोगों की सेवा कर पाएं और उन्हें उनके गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचा दें। वह करीब 8 से 10 लोगों की रोजाना मदद करते हैं।
आगे का सपना और भी बड़ा
सनील ने बातचीत में बताया कि उनके पास अभी एक ही ई-रिक्शा है, जो ईएमआई पर है। इसकी किश्तेें पूरी होने के बाद वह और भी रिक्शे निकलवाकर ज्यादा से ज्यादा जरूरतमंदों की मदद करेंगे और उनमें से कुछ वाहनों को सिर्फ बेसहारा व जरूरमंदों की मदद के लिए फ्री चलवाएंगे।
भावुक हो जाते हैं लोग
सुनील का कहना है कि कई बार ऐसा होता है कि जब किसी दिव्यांग व बेसहारा बुजुर्ग की मदद करते हैं तो वह उनकी निस्वार्थ सेवा देख भावुक हो जाते हैं। वे लोग बस यही कहते हैं कि हम लोगों को अपनों ने तो बेघर कर दिया, कम से कम तुम हमारे जैसे लोगों को अपना होने का एहसास दे रहे हो। सुनील के इस सराहनीय कार्य के दौरान ऐसे भावुक पलों के कई वीडियो भी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुए थे।