लखनऊ (ब्यूरो)। साइबर क्राइम तेजी से अपनी जड़े मजबूत करता जा रहा है। हर दिन लोग बड़ी संख्या में इसके शिकार हो रहे हैं। हालांकि, साइबर क्राइम पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस भी मजबूती से काम कर रही है। अगर साइबर फ्रॉड के शिकार वारदात के तुरंत बाद एक्टिव हो जाएं तो उनकी लुटी हुई रकम भी वापस आ सकती है। ऐसा ही एक मामला कृष्णा नगर में सामने आया। जहां साइबर फ्रॉड के शिकार अंकित तिवारी ने वारदात के चंद घंटे में कंप्लेन की और मजबूत पैरवी से साइबर क्रिमिनल्स के अकाउंट से उनकी पाई-पाई वापस आ गई।

ऐसे हुआ था साइबर फ्रॉड

कृष्णा नगर में रहने वाले अंकित तिवारी प्राइवेट जॉब करते हैं। 1 जुलाई को उनके एक परिचित सीनियर आईएएस अफसर का मैसेज आया। मैसेज में लिखा था कि सीआरपीएफ में कमांडेंट उनके दोस्त का ट्रांसफर हो गया है। वह घरेलू सामान बेचना चाहते हैं। मैसेज में कमांडेंट दोस्त का मोबाइल नंबर भी उन्होंने शेयर किया था। अंकित ने उस नंबर पर कांट्रेक्ट किया तो तथाकथित कमांडेंट ने घरेलू सामान में एसी, सोफा, गीजर, साइकिल समेत तमाम सामान की फोटो भेजी। सामान लेने की बात फोन पर फाइनल हो गई, लेकिन जब अंकित ने सामान देखने भी बात कहते हुए उनके बिजनौर स्थित कैंप में आने की बात कही तो कुछ देर बाद कमांडेंट का दोबारा कॉल आया तो उसने कहा कि सामान सब पैक हो गया है, डिलिवरी आपके घर पर करा दी जाएगी। विश्वास के लिए उसने अपना आर्मी का आईडी कार्ड और अन्य दस्तावेज भी भेजे।

सीनियर आईएएस की आईडी हुई थी हैक

कमांडेंट से बातचीत के आधार पर अंकित ने ऑनलाइन पेमेंट की बात कही। उसे 7294073675 नंबर पर पेमेंट ऑनलाइन करने को कहा गया। अंकित ने 1 जुलाई को शाम 4.39 बजे पहले 100 का पेमेंट किया और दोबारा 94,900 रुपये का पेमेंट किया। इसके बाद कमांडेंट का दोबारा कॉल आया, उसने और पैसों की डिमांड की। अंकित को बातचीत संदिग्ध लगी और शक होने पर उसने इसकी पड़ताल शुरू की। जब उसने सीनियर आईएएस को संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि उनकी आईडी हैक की गई है और कई लोगों को ऐसे मैसेज भेजे गए हैं ।

बिना देर किए करें 1930 पर कॉल

साइबर फ्रॉड का शिकार होने पर अंकित तिवारी ने सबसे पहले साइबर हेल्पलाइन 1930 नंबर पर कॉल की। कॉल कर आपको ठगी से जुड़े पूरी डिटेल बतानी होगी। इसके अलावा उन्होंने गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम पोर्टल cybercrime.gov.in पर भी कंप्लेंट की। इसके बाद लखनऊ कमिश्नरेट के साइबर क्राइम सेल में भी जाकर रिटर्न कंप्लेन की। 2 जुलाई को कृष्णा नगर थाने में साइबर फ्रॉड की एफआईआर भी दर्ज कराई।

हर घंटे ट्रांसफर होता रहा पैसा

साइबर क्राइम सेल ने 1 जुलाई को जिस अकाउंट में पैसा ट्रांसफर किया गया था उसका पता लगाया। वह अकाउंट था रायबरेली की बैैंक ऑफ पंजाब का। जब तक बैैंक से संपर्क कर अकाउंट फ्रीज कराने का प्रोसेस किया जा रहा था तभी अकाउंट से पैसा मुंबई की बैैंक ऑफ महाराष्ट्र में ट्रांसफर हो गया। देखते-देखते सिटी बैैंक, सेंट्रल बैैंक ऑफ इंडिया के अलग-अलग अकाउंट में पैसा ट्रांसफर हो गया। हालांकि, साइबर क्राइम सेल ने लगातार बैैंकों से संपर्क कर हर ब्रांच में उस अकाउंट को फ्रीज करा दिया।

एफआईआर के बाद कोर्ट आर्डर का प्रोसेस

साइबर क्राइम सेल एसआई शिशिर यादव और उनकी टीम फ्रॉड की रकम जिस-जिस बैैंक में ट्रांसफर हो रही थी उन बैैंकों से संपर्क कर उसके अकाउंट को फ्रीज कराती गई। इधर, कृष्णा नगर में एफआईआर दर्ज होने के बाद रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट में एक प्रार्थना पत्र दिया गया। करीब एक सप्ताह के प्रोसेस के बाद एडवोकेट नीरज श्रीवास्तव की मदद से कोर्ट आर्डर भी मिल गया। कोर्ट आर्डर मिलने के बाद कृष्णा नगर पुलिस ने साइबर क्राइस सेल की मदद से जिन बैैंकों के अकाउंट में फ्रॉड का पैसा ट्रांसफर हुआ था उन बैैंकों को कोर्ट आर्डर के साथ मेल की गई। करीब तीन माह के लंबे प्रोसेस के बाद अलग-अलग बैैंकों से अंकित के अकाउंट में फ्रॉड की पूरी रकम वापस आ गई।

आपके साथ हो फ्रॉड तो क्या करें

-बैंक से करें संपर्क, कॉर्ड ब्लॉक कराएं।

-1930 पर शिकायत करने के बाद तुरंत अपने बैंक से संपर्क करें और अपने खाते, डेबिट या क्रेडिट कार्ड को ब्लॉक करवाएं।

-तुरंत अपने करीबी थाने या साइबर सेल पहुंचें, यहां आपको शिकायत दर्ज करानी होगी।

-शिकायत दर्ज कराते समय बैंक पासबुक कॉपी, आईडी और एड्रेस प्रूफ, बैंक स्टेटमेंट पुलिस स्टेशन या साइबर सेल में देनी होगी।

स्टेप 1

दो-तीन घंटे में पुलिस को बताएं

साइबर एक्सपर्ट शिशिर यादव ने बताया कि साइबर ठगी होने के बाद यदि आप 1930 को कॉल करने से लेकर बैंक व पुलिस को अगले दो से तीन घंटे में सूचना दे देते हैं तो आपको पैसे वापस मिलने की संभावना प्रबल हो जाती है। समय से सूचना मिलने पर साइबर पुलिस अपनी कार्रवाई जल्दी शुरू कर देती है और उन्हें समय मिल जाता है जालसाजों को ट्रेस करने का।

स्टेप 2

अकाउंट कराएं सीज

लखनऊ साइबर सेल इंचार्ज इंस्पेक्टर सतीश साहू बताते हैं कि जब हमारे पास पीड़ित शिकायत लेकर आता है तो हम यह देखते हैं कि जो ठगी यूपीआई या डेबिट और क्रेडिट कार्ड से हुई है, उसका पैसा किन खातों में गया है। साइबर ठग शातिर होते हैं, ऐसे में वे ठगी गई रकम को कई अकाउंट में कुछ ही देर में ट्रांसफर करते रहते हैं। ऐसे में उनके खातों को ट्रेस करने में थोड़ा समय जरूर लग जाता है, लेकिन हम उन्हें ट्रेस कर बैंक अधिकारियों से बात कर उसे फ्रीज करवाते हैं

दूसरे खाते में ट्रांसफर करते हैं रकम

इंस्पेक्टर सतीश साहू ने बताया किसाइबर ठगी होने के बाद हम तक सूचना पहुंचना बहुत आवश्यक है। क्योंकि साइबर जालसाज ठगी गई रकम को अधिक देर के लिए खातों में नहीं रखते हैं। वे कई खातों से ट्रांसफर करते हुए आखिर में उसे निकाल लेते हैं। ऐसे में यदि समय से सूचना मिल जाए तो हमारी टीम समय से जालसाजों के बैंक खातों की डिटेल निकाल पाती है फिर उन्हें स्टडी कर बैंक के अधिकारियों से संपर्क कर महज 72 घंटों में पीड़ित के पैसों को वापस दिलाने के लिए प्रोसेस शुरू कर देते हैं।

साइबर फ्रॉड होने पर कैसे करें काम

-आप अपने साथ हुई धोखाधड़ी की रिपोर्ट अपने बैंक से करें। इससे बैंक में जांच शुरू हो जाएगी।

-आपके बैंक के पास जांच करने के लिए 15 दिन का समय है और फिर वह आपको पैसा वापस देगा या नहीं, इसकी रिपोर्ट देगा।