लखनऊ (ब्यूरो)। पुलिस क्राइम और क्रिमिनल्स पर लगाम लगाने के साथ-साथ और भी कई तरह से पब्लिक की मददगार बनती है। फिर चाहे किसी की कंप्लेन दर्ज कराने की व्यवस्था हो या फिर उन्हें मदद पहुंचना हो। आधुनिक समय में पुलिस की वेबसाइट भी लोगों के लिए कई तरह से मददगार बन रही है। अब थाना चौकी के चक्कर लगाए बिना भी अपनी कंप्लेन दर्ज कराई जा सकती है। यही नहीं, उस कंप्लेन या फिर एप्लीकेशन का स्टेटस भी बिना पुलिस स्टेशन के चक्कर लगाए खुद ऑनलाइन भी जान सकते हैं।
ऑनलाइन दर्ज करा सकते हैं एफआईआर
ऑनलाइन एफआईआर दर्ज कराने के लिए आप जिस राज्य से हैं, उसकी ऑफिशियल पुलिस वेबसाइट पर जाएं। वेबसाइट रजिस्ट्रेशन करना होगा, जिसमें आपको कुछ निजी जानकारियां जैसे नाम, लिंग, मोबाइल नंबर और पता आदि देना होता है। मोबाइल नंबर को ओटीपी के जरिए वेरिफाई करना होगा। इसके बाद आप लॉगिन कर सकते हैं। फिर वेबसाइट पर ई-एफआईआर ऑप्शन पर क्लिक करें। एक फॉर्म खुलेगा। फॉर्म आपको अपनी पर्सनल डिटेल, घटना की लोकेशन, समय, तारीख और क्या घटना हुई, इसके बारे में विस्तार से जानकारी देनी होगी। फॉर्म सबमिट करने के बाद वेरिफिकेशन होगा, इस तरह आपकी ऑनलाइन एफआईआर दर्ज हो जाएगी। इसके बाद पुलिस आपके घर आकर या फोन के जरिए वेरिफिकेशन करेगी, जिसके बाद आपको एफआईआर कॉपी मिल जाएगी।
किन मामलों में की जा सकती है ऑनलाइन एफआईआर
खोया-पाया, चोरी, वाहन चोरी, धमकी, किसी अपने के गुमशुदा होने समेत अन्य गैर संज्ञीय मामलों की एफआईआर दर्ज करवा सकते हैं, जबकि मर्डर, डकैती और रेप व गैैंग रेप जैसे संज्ञेय अपराध के लिए आपको थाने ही जाना ही होगा।
कितने दिन बाद शिकायत दर्ज कर सकते हैं
घटना होने के बाद आप कभी भी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं, इसके लिए कोई तय समय सीमा नहीं है, लेकिन जितनी जल्दी शिकायत दर्ज कराई जाएगी, उतना अच्छा रहेगा। भारतीय साक्ष्य अधिनियम 468 के मुताबिक, जिस अपराध की सजा एक साल है तो शिकायत एक साल के अंदर दर्ज हो जानी चाहिए। इससे देर होने पर आपको देरी का कारण लिखित में बताना होगा।
इन सर्विस का भी ले सकते हैं लाभ
ऑनलाइन एफआईआर के अलावा, आप पुलिस विभाग से जुड़ी अन्य सर्विस जैसे- किरायेदार रजिस्ट्रेशन, चरित्र प्रमाण पत्र, घरेलू सहायता, किसी कार्यक्रम या प्रदर्शन के लिए आवेदन, किरायेदार का सत्यापन और पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आदि सेवाओं के लिए भी आवेदन कर सकते हैं।
बच्चे के पैरेंट्स को सूचना का अधिकार
आप का बच्चे किसी तरह के अपराधिक घटना में शामिल होता है और अगर पुलिस पूछताछ के लिए हिरासत में लेती है तो उससे पहले बच्चे के एक पैरेंट्स को सूचना देना भी आवश्यक होता है। पुलिस को 18 साल से कम उम्र के किशोर को गिरफ्तार करने या हिरासत में लेने के बाद कम से कम एक अभिभावक को जल्द से जल्द बताना होता है। पुलिस को अभिभावकों को यह बताना चाहिए कि किशोर को किस अपराध के लिए गिरफ्तार किया गया है। अगर पुलिस किशोर को हिरासत में लेती है, तो उसे अभिभावकों को यह भी बताना चाहिए कि किशोर को कहां हिरासत में लिया गया है। यदि पुलिस माता-पिता तक नहीं पहुंच पाती है, तो उन्हें किसी अन्य वयस्क से संपर्क करना चाहिए जिसे किशोर जानता हो।
हर थाने में महिला के लिए हेल्प डेस्क
महिलाओं से संबंधित अपराध के मामले में पिंक बूथ, हर थाने में महिला हेल्प डेस्क बनाई गई है। महिला का अधिकार है कि अगर वह थाने पर किसी तरह की कंप्लेन लेकर जाती है तो उसने महिला पुलिस कर्मी ही मिलकर उसकी कंप्लेन सुनेगी और एफआईआर दर्ज करनी है तो महिला पुलिस कर्मी उसकी कंप्लेन टाइप करेंगी।
मोबाइल गिरने, चोरी होने पर भी सर्विस
लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट के पांचों सर्किल में मोबाइल गिरने, चोरी होने या फिर गायब होने पर पीड़ित अपने सर्किल एरिया के हेल्प डेस्क या फिर सर्विलांस सेल में ऑनलाइन, ऑफलाइन कंप्लेन कर सकता है। इसके अलावा, यूपी कॉप एप के जरिए भी वह कंप्लेन व एफआईआर दर्ज करा सकता है।