लखनऊ (ब्यूरो)। विधानसभा के सामने आत्मदाह करने की घटना को रोकने के लिए पुलिस की स्पेशल टीम तैनात की गई है। कुछ दिन पहले भी एक महिला ने सीएम आवास से चंद कदमों की दूरी पर आत्मदाह का प्रयास किया था। बाद में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। इसके बाद सीएम आवास, विधानसभा व लोक भवन के आस-पास आत्मदाह करने का प्रयास करने वालों पर शिकंजा करने पुलिस की स्पेशल टीम तैनात की गई है। गुरुवार को एक बार फिर टीम ने पीलीभीत से आत्मदाह करने विधानसभा पहुंचे परिवार को अनहोनी से पहले ही दबोच लिया। उनके पास से बोतल में दो लीटर पेट्रोल भी बरामद किया गया है।
तलाशी लेने पर खुला राज
विधानसभा के सामने गुरुवार को एक कपल अपने तीन बच्चों के साथ आत्मदाह करने पहुंचा। सुरक्षा में तैनात पुलिस को उनकी हरकतें देख कर शक हुआ। जब उनको रोककर तलाशी ली गई तो उनके पास से दो लीटर पेट्रोल और माचिस बरामद हुई। परिवार ने आरोप लगाया कि पीलीभीत के बीसलपुर थाने की पुलिस उनके बेटे की हत्या का मुकदमा दर्ज नहीं कर रही है। हजरतगंज पुलिस ने पीलीभीत एसपी से बातचीत की और कार्रवाई का आश्वासन देकर उन्हें वापस भेज दिया। पीड़ित पीलीभीत के पीसलपुर स्थित जोगीठेर निवासी हैं।
पीलीभीत पुलिस के न सुनने पर लिया फैसला
पीड़ित कृष्ण कुमार ने बताया कि उनके बेटे की हत्या कर उसे फंदे पर लटका दिया गया था। उनका आरोप है कि वह जब मामले की शिकायत करने बीसलपुर थाने पहुंचे तो पुलिस ने कोई सुनवाई नहीं की। निराश होने पर कृष्ण कुमार गुरुवार सुबह 9:30 बजे पत्नी माया देवी, बेटे पंकज और प्रमोद तथा बेटी स्वाति के साथ विधानसभा के सामने आत्मदाह करने पहुंचे थे। हजरतगंज इंस्पेक्टर ने बताया कि विधानसभा के पास तैनात सिपाही पंचराम यादव, शत्रुजीत राय और सुधा ङ्क्षसह ने संदिग्ध लगने पर दंपती को रोका तो उनके पास से दो लीटर पेट्रोल बरामद हुआ। उनके पास से एक प्रार्थना पत्र भी मिला है, जिसमें लिखा था कि गांव के विपिन और अरुण राणा ने उनको परेशान कर रखा है। इन दोनों के कारण ही बेटे की मौत हुई है। दोनों ने घर में घुसकर मारपीट की थी, जिसकी शिकायत करने पर बीसलपुर थाने की पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। दोबारा घर में घुसकर मारपीट की। विरोध करने पर दोनों बेटों को पीटते हुए थाने ले गए और बंद करा दिया।
तीन दिन थाने में रखा, फिर मिला शव
कृष्ण कुमार का आरोप है कि आठ सितंबर को आरोपी दोनों बेटों को थाने लेकर गए और शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया। साथ ही रुपये की मांग की। रुपये न देने पर दस सितंबर तक उनको बंद रखा। इसके बाद जमानत पर छोड़ दिया। इसके अगले दिन बड़े बेटे का शव रेलवे ट्रैक पर मिला। इसकी शिकायत थाने और अधिकारियों से की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।