लखनऊ (ब्यूरो)। लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था लागू हुए साढ़े चार साल से भी ज्यादा का वक्त बीत चुका है। हालांकि, कमिश्नरेट पुलिस की वर्किंग को लेकर हर बार पुलिस कठघरे में खड़ी होती है। कार्रवाई में लापरवाही बरतने के मामले में पहले भी दो पुलिस कमिश्नर पर गाज गिर चुकी है। मातहतों की लापरवाही के चलते हर बार आला अफसरों पर कार्रवाई की गाज गिरती है। पिछले एक माह में कई ऐसे मामले सामने आए जिसके चलते लखनऊ कमिश्नरेट की किरकिरी हुई। यहां तक कि पुलिस कमिश्नर को कोर्ट के सामने माफी तक मांगनी पड़ी।

मां की कंप्लेन पर कोर्ट ने किया तलब

जानकीपुरम में एक युवती को बंधक बनाने के मामले में मां ने पुलिस से कंप्लेन की थी। जानकीपुरम पुलिस ने महिला की प्राथमिक कंप्लेन व गुमशुदगी नहीं दर्ज की थी। पुलिस के कार्रवाई न करने पर महिला ने गुहार कोर्ट से लगाई थी। महिला ने कोर्ट बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की थी। जिसपर हाईकोर्ट ने जानकीपुरम इंस्पेक्टर उपेंद्र सिंह समेत लखनऊ पुलिस कमिश्नर को तलब किया था। 24 जुलाई को लखनऊ कमिश्नर कोर्ट के समक्ष उपस्थिति हुए थे।

गलती मानते हुए मांगी माफी

पुलिस कमिश्नर ने कोर्ट के सामने प्रस्तुत हो कर इस प्रकरण में जानकीपुरम पुलिस के कार्रवाई में शिथिलता बरतने की बात सहज रूप से स्वीकार करते हुए कोर्ट से माफी मांगी। आगे लखनऊ कमिश्नर के सभी थाना प्रभारियों को नोटिस देकर ऐसी लापरवाही दोबारा न करने के लिए निर्देश भी दिए।

कम नहीं हैं लापरवाही के किस्से

यह पहला मामला नहीं था कि जब पुलिस कमिश्नर को नोटिस जैसी कार्रवाई करनी पड़े, इससे पहले भी लापरवाही व कार्रवाई में लापरवाही बरतने पर इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर व पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की गाज गिर चुकी है।

केस 1

बंथरा के ऋतिक मर्डर केस में नजर आई लापरवाही

बंथरा इलाके में बिजली को लेकर हुए विवाद में प्रापर्टी डीलर ऋतिक की पीट पीटकर हत्या के मामले में पुलिस की घोर लापरवाही सामने आई थी। ऋतिक मर्डर केस में अब तक एक भी आरोपी का पुलिस सुराग नहीं लगा सकी। इसे लेकर स्थानीय लोगों में पुलिस के प्रति आक्रोश है और लोगों ने कैंडल मार्च निकालकर अपना विरोध प्रदर्शन भी किया था। मर्डर केस के बाद जागे अफसरों ने बंथरा इंस्पेक्टर, दो सब इंस्पेक्टर व कांस्टेबल पर लापरवाही की रिपोर्ट डीसीपी को सौंपी थी। जिसके बाद जेसीपी क्राइम की रिपोर्ट पर कमिश्नर ने उन्हें सस्पेंड कर कार्रवाई की।

केस 2

लूट पीड़ित लगाता रहा 48 दिनों तक चक्कर

लखनऊ कमिश्नर की कार्रवाई में लापरवाही की दास्तां यहीं खत्म नहीं होती है। कुछ दिन पहले ही 48 दिन तक अपने साथ लूट की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए पीड़ित युवक तीनों थानों के चक्कर लगाता रहा। यहां तक कि तीनों थानों के चक्कर लगाने के बाद वह हार कर 18 जुलाई को पुलिस कमिश्नर से भी कंप्लेन करने उनके महानगर मुख्यालय पहुंचा था। उसके बाद भी उसकी एफआईआर दर्ज नहीं की गई। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने इस मुद्दे को उठाया तो 23 जुलाई को 51 दिन बाद पीड़ित की हुसैनगंज पुलिस ने लूट की एफआईआर दर्ज की।

केस 3

पुलिस ने पीड़िता से मांगे 6 एयर टिकट

एक महिला ने अपने साथ हुई दरिंदगी की शिकायत गाजीपुर पुलिस की थी, लेकिन उसकी सुनी नहीं गई। इसके बाद उसने लखनऊ कमिश्नर से शिकायत की थी। 21 जून 2024 को गाजीपुर थाने में कश्मीर में रहने वाले उसके सौतेले बेटे और उसके जीजा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। पीड़िता के मुताबिक, एफआईआर दर्ज होने के 15 दिन बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उसने थाने पहुंच विवेचना अधिकारी से मुलाकात की। जिस पर पुलिस ने उससे कहा कि कार्रवाई करने के लिए दो-दो महिला व पुरुष दारोगा समेत छह पुलिस कर्मी कश्मीर जायेंगे। सरकारी बजट मिलता नहीं है तो उनके लिए छह एयर टिकट करवा दें तो कार्रवाई कर दी जाएगी।