लखनऊ (ब्यूरो)। कैंसर के मरीजों को ट्रीटमेंट के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। पीजीआई, केजीएमयू, लोहिया और कैंसर संस्थान में कैंसर मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। यहां इलाज कराकर जान बचाने की उम्मीद लेकर आने वाले मरीजों का दर्द लंबी वेटिंग से और बढ़ता जा रहा है। इन संस्थानों में कीमोथेरेपी से लेकर रेडियोथेरेपी तक में लंबी वेटिंग चल रही है।

केजीएमयू

इलाज हो रहा प्रभावित

केजीएमयू में प्रदेशभर से कैंसर के मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं। डॉक्टर्स का मानना है कि अगर समय रहते कैंसर का पता चल जाए और इलाज मिल जाए तो इसके असर को काफी हद तक कम किया जा सकता है। फर्स्ट स्टेज में इसका पता चलने और इलाज मिलने से यह ठीक भी हो जाता है। संस्थान में 150 से 200 मरीजों की कीमोथेरेपी की जा रही है। वहीं, रोज 250 से 260 मरीजों को रेडियो थेरेपी दी जा रही है। जिसमें करीब 10 मिनट का समय लगता है। मरीजों की संख्या अधिक होने के चलते इसमें भी 15 से 20 दिन की वेटिंग चल रही है।

लोहिया संस्थान

3 से 4 हफ्ते में रेडियोथेरेपी जरूरी

लोहिया संस्थान में रोज 50 मरीजों को कीमोथेरेपी दी जा रही है और 160 से 170 मरीजों को रेडियोथेरेपी की सुविधा मिल रही है। यहां भी मरीजों की अधिक संख्या के चलते इसकी वेटिंग एक से डेढ़ माह की है। रेडियोथेरेपी विभाग के हेड डॉ। मधुप ने बताया कि कीमो तो कभी भी दी जा सकती है लेकिन, रेडियाथेरेपी सर्जरी करने के बाद 3 से 4 हफ्ते में देनी चाहिए। हमारे यहां सर्वाधिक हेड एंड नेक कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और जीआईटी कैंसर के मरीज सबसे ज्यादा आते हैं।

कैंसर संस्थान

लंबी वेटिंग बनी सिर दर्द

कल्याण सिंह कैंसर संस्थान में रोज 30 से 40 मरीजों को कीमोथेरेपी दी जा रही है और 70 से 80 मरीजों की रेडियोथेरेपी हो रही है। यहां भी वेटिंग की समस्या से मरीज जूझ रहे हैं। संस्थान के डॉ। आयुष ने बताया कि कीमोथेरेपी मरीज और बीमारी किस स्टेज की है, उसपर निर्भर करती है। अमूमन कीमोथेरेपी औसतन 3 से लेकर 6-7 साइकिल तक रहती है। जबकि, रेडियोथेरेपी 30 से 40 दिन तक चलती है। अगर वेटिंग की बात करें तो दो-दो माह तक की वेटिंग इस समय चल रही है। ओटी का भी यही हाल है। वहीं पीजीआई में भी रोज 100 मरीजों की कीमो हो रही है। 120 मरीजों को ही रेडियोथेरेपी की सुविधा मिल पा रही है। वेटिंग की बात करें तो वह भी डेढ़ से दो माह की चल रही है।

मर्ज बढ़ सकता है

एक्सपर्ट की माने तो समय पर कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी नहीं मिलने से कैंसर गंभीर रूप ले सकता है। कई बार तो इसके इंतजार में ही मरीजों की जान जा रही है। मरीज और परिजन जब डॉक्टरों से इसके लिए गुहार लगाते हैं, तो वे दूसरे संस्थान जाने की बात कह देते हैं। हालांकि, सरकार द्वारा कई स्तरों पर मदद दी जाती है लेकिन, वेटिंग के चलते मरीज ट्रीटमेंट के इंतजार में ही दम तोड़ देता है।

कैंसर मरीजों के लिए वेटिंग तो है लेकिन प्राथमिकता के आधार पर काम किया जा रहा है। साधन-संसाधन भी बढ़ाने की जरूरत है।

-डॉ। सुधीर सिंह, प्रवक्ता, केजीएमयू

मरीजों की संख्या अधिक होने के कारण वेटिंग होती है लेकिन पूरी कोशिश रहती है कि समय पर सभी का इलाज हो सके। इसके लिए जागरुकता भी बेहद जरूरी है।

-डॉ। भुवन चंद्र तिवारी, प्रवक्ता, लोहिया संस्थान

मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। जिसकी वजह से वेटिंग है। इसके लिए जरूरी साधन-संसाधान बढ़ाने की दिशा में काम चल रहा है। ताकि मरीजों को समस्या न हो।

-डॉ। देवाशीष शुक्ला, एमएस, कैंसर संस्थान

कैंसर लगातार बढ़ रहा है। समय रहते इसके पता चले तो इलाज संभव है। वेटिंग को कम करने की दिशा में लगातार काम किया जा रहा है।

-डॉ। आरके धीमन, निदेशक, संजय गांधी, पीजीआई